नमस्कार किसान भाइयों सोचिए आप कितनी मेहनत से खेत में बीज बोते हो, समय पर पानी, खाद, देखभाल सब करते हो, लेकिन एक दिन अचानक देखो कि पत्तियों में छेद हो रहे हैं, फल गल रहे हैं या पौधे मुरझा रहे हैं। समझ ही नहीं आता कि फसल में क्या गड़बड़ हो गई। फसल में कीड़ा लगने पर क्या करें असल में यही वो समय होता है जब कीड़े (या कीट) आपकी फसल पर हमला बोल चुके होते हैं। और अगर समय रहते कुछ न किया जाए तो पूरी मेहनत पर पानी फिर सकता है।
तो चलिए आज जानते हैं आसान और असरदार तरीके , फसल में कीड़ा लगने पर क्या करें, ताकि नुकसान से बचा जा सके।

1. पहले समझो – कौन सा कीड़ा है?
हर कीड़े का इलाज अलग होता है। इसलिए सबसे पहले ये पता लगाना जरूरी होता है कि कौन-सा कीट फसल को नुकसान पहुँचा रहा है।
- अगर पत्तियां मुड़ने लगें, तो थ्रिप्स या सफेद मक्खी हो सकती है।
- फल में सुराख दिखे तो फल छेदक कीट हो सकता है।
- पौधे मुरझाने लगे तो जड़ वाले कीड़े (टर्माइट, सफेद कीट) हो सकते हैं।
टिप: खेत में सुबह-शाम ध्यान से निरीक्षण करें। कीड़े की शक्ल, रंग और नुकसान के पैटर्न को नोट करे ।
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2. तुरंत एक्शन लें – देरी ना करें।
अगर एक बार कीट फैल गया तो उसे रोकना मुश्किल हो जाता है। इसलिए जैसे ही कीड़े का पहला लक्षण दिखे:
- संक्रमित पत्तियों या फलों को काटकर जला दें।
- दूसरे खेतों से दूरी बना लें ताकि कीड़े इधर-उधर न फैलें।
- फसल पर नीम तेल या गौमूत्र का छिड़काव करें, जो कि प्राकृतिक कीट नियंत्रण का बेहतरीन तरीका है।
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3. जैविक (Organic) तरीके अपनाएं – नुकसान नहीं होगा।
बहुत से किसान अब जैविक कीट नियंत्रण की ओर बढ़ रहे हैं। यह न सिर्फ फसल को बचाते हैं, बल्कि ज़मीन और इंसान दोनों के लिए सुरक्षित होते हैं।
जैविक कीट नियंत्रण उपाय:
- नीम का तेल (Neem Oil): 5ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- ट्राइकोडर्मा और बीटी बैसिलस जैसे जैविक कवक और बैक्टीरिया भी असरदार होते हैं।
- पीले और नीले चिपचिपे ट्रैप खेत में लगाएं, जिससे उड़ने वाले कीट फँस जाएं।
- गौमूत्र और लहसुन-नीम घोल का मिश्रण बनाकर छिड़कें।

4. रासायनिक दवा कब और कैसे लगाएं?
अगर कीड़े बहुत तेजी से फैल चुके हों, तो कुछ मामलों में रासायनिक दवा का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन याद रहे:
- सही दवा का चुनाव करें – जैसे कि थायमेथोक्सम, इमिडाक्लोप्रिड, साइपरमेथ्रिन आदि।
- डोज़ का खास ध्यान रखें, ज़्यादा दवा फसल को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
- कटाई से कम से कम 10-15 दिन पहले दवा न छिड़कें ताकि ज़हर फसल में न बचे।
सुझाव: स्थानीय कृषि विभाग या KVK से सलाह लेकर ही रासायनिक दवा का प्रयोग करें।
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5. फसल चक्र और सही मिट्टी का भी असर होता है
हर बार एक ही फसल उगाना कीटों को बढ़ावा देता है। इसलिए कोशिश करें:
- एक साल गेहूं उगाएं तो अगले साल दलहन।
- मिट्टी में नीम की खली और गोबर खाद मिलाएं ताकि मिट्टी मजबूत हो और कीट पनप न सकें।
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6. समय पर छिड़काव और देखरेख करें
- 7-10 दिन में एक बार निरीक्षण करें।
- फसल के अनुसार कीट प्रबंधन का शेड्यूल बनाएं।
- बारिश के तुरंत बाद छिड़काव न करें, दवा बह जाएगी।
निष्कर्ष – कीड़े आएं, उससे पहले तैयार रहें।
भाईयों, फसल में कीट लगना आम बात है लेकिन अगर हम समय से सतर्क रहें, जैविक और वैज्ञानिक तरीके अपनाएं, तो नुकसान को रोका जा सकता है। हमेशा याद रखें, कीड़े का इलाज कीट दिखने के बाद नहीं, उससे पहले शुरू होना चाहिए।
अगर ये जानकारी आपको सही लगी हो तो इसे अपने किसान भाइयों के साथ ज़रूर शेयर करें, ताकि सबकी मेहनत बच सके।
आज के समय में खेती सिर्फ मेहनत का नहीं, समझदारी का भी खेल बन चुका है। अगर आप सोच रहे हैं कि फसल में कीड़ा लगने पर क्या करें, तो जवाब है – समय पर जैविक और घरेलू उपाय अपनाना। किसान भाइयों के बीच अब नीम तेल का छिड़काव, लहसुन-नीम घोल, और पीले चिपचिपे ट्रैप जैसे organic pesticide for crops in Hindi बहुत लोकप्रिय हो चुके हैं। इनसे न केवल कीटों को रोका जा सकता है, बल्कि ज़मीन भी बर्बाद नहीं होती। अगर आप गूगल पर फसल बचाने के घरेलू उपाय या कीट नियंत्रण के उपाय ढूंढ़ रहे हैं, तो यकीन मानिए – ये उपाय सबसे ज्यादा असरदार और सुरक्षित हैं। समय पर किया गया छिड़काव और कीट पहचान ही आपकी पूरी फसल को बचा सकती है।