Chikori Ki Kheti – चिकोरी की खेती से कम लागत में ज्यादा मुनाफा, जानिए पूरी जानकारी।

नमस्कार किसान भाइयों अगर आप भी एक किसान है और आप खेती में कुछ अलग और मुनाफे वाला विकल्प ढूंढ़ रहे हैं, तो chikori ki kheti आपके लिए एक शानदार मौका हो सकता है। चिकोरी एक जड़ी-बूटी की तरह का पौधा है, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से कॉफी में मिलाने, दवा बनाने और हेल्थ सप्लीमेंट्स में किया जाता है। इसकी मांग आजकल देश-विदेश में तेजी से बढ़ रही है, और यही वजह है कि किसान अब चिकोरी की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं। Chikori Ki Kheti – चिकोरी की खेती से कम लागत में ज्यादा मुनाफा, जानिए पूरी जानकारी।

इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि चिकोरी की खेती कैसे की जाती है और  कौन-सी जमीन इसके लिए उपयुक्त होती है, और इसमें मुनाफा कितना होता है। 

Chikori Ki Kheti – चिकोरी की खेती से कम लागत में ज्यादा मुनाफा, जानिए पूरी जानकारी।

चिकोरी क्या होती है?

चिकोरी एक जड़दार पौधा है, जिसका वैज्ञानिक नाम Cichorium intybus है। इसकी जड़ें सुखाकर कॉफी पाउडर के साथ मिलाई जाती हैं। कई देशों में इसे कॉफी का हेल्दी विकल्प भी माना जाता है क्योंकि यह कैफीन-फ्री होती है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल पेट दर्द, भूख बढ़ाने और पाचन सुधारने वाली दवाओं में भी होता है।

भारत में चिकोरी की खेती कहां की जाती है?

भारत में चिकोरी की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश (कन्नौज, इटावा, कानपुर), गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में की जाती है। इन क्षेत्रों की जलवायु और मिट्टी इस फसल के लिए अनुकूल मानी जाती है।

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chikori ki kheti कैसे करें?

1. मिट्टी और जलवायु:

  • चिकोरी की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
  • पीएच वैल्यू 6.0 से 7.5 तक होनी चाहिए।
  • ठंडी और सूखी जलवायु इसकी जड़ों के अच्छे विकास में मदद करती है।

2. बीज की बुवाई का समय:

  • अक्टूबर से नवंबर तक चिकोरी की बुवाई करना सबसे अच्छा समय होता है।
  • बीजों की बुवाई 1-2 सेमी गहराई पर करें और कतार से कतार की दूरी 30 सेमी रखें।

3. सिंचाई व्यवस्था:

  • चिकोरी को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती।
  • पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद और फिर हर 15 से 20 दिन में हल्की सिंचाई करें।

4. खरपतवार नियंत्रण:

आपको शुरुआती 40 दिनों में खरपतवार निकालना जरूरी है नहीं तो पौधों की ग्रोथ पर असर पड़ता है।

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5. कटाई और खुदाई:

  • बुवाई के लगभग 5 से 6 महीने बाद इसकी जड़ें खुदाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
  • जब पौधे सूखने लगें और पत्तियां पीली हो जाएं, तब जड़ों को निकालना चाहिए

चिकोरी की प्रोसेसिंग और मार्केटिंग ।

कटाई के बाद चिकोरी की जड़ों को धोकर छोटे टुकड़ों में काटा जाता है और फिर सुखाकर पाउडर बनाया जाता है। ये पाउडर कॉफी कंपनियों, दवा कंपनियों और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों को बेचा जाता है। आजकल ऑनलाइन मार्केटिंग और FPO (Farmer Producer Organisation) के माध्यम से किसान सीधे फैक्ट्री या कंपनियों से संपर्क कर अच्छी कीमत पा रहे हैं।

Chikori Ki Kheti – चिकोरी की खेती से कम लागत में ज्यादा मुनाफा, जानिए पूरी जानकारी।

चिकोरी की खेती में लागत और मुनाफा।

लागत: एक एकड़ में चिकोरी की खेती में लगभग ₹15,000 से ₹20,000 की लागत आती है।

उपज: एक एकड़ से 25-30 क्विंटल तक सूखी जड़ें निकलती हैं।

रेट: सूखी चिकोरी की जड़ों का भाव ₹40 से ₹70 प्रति किलो तक मिलता है।

मुनाफा: एक एकड़ में आसानी से ₹60,000 से ₹80,000 तक का मुनाफा हो सकता है।

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सरकार की सहायता और सब्सिडी।

  • कुछ राज्यों में औषधीय फसलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जाती है।
  • आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या कृषि अधिकारी से संपर्क करके सब्सिडी और योजना की जानकारी ले सकते हैं।
  • कई जगहों पर राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (NMPB) और MSME योजना के तहत भी मदद मिलती है।

निष्कर्ष: Chikori Ki Kheti?

चिकोरी की खेती (chikori ki kheti) एक ऐसा विकल्प है जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने की क्षमता रखता है। इसकी बढ़ती मांग और आसान प्रोसेसिंग इसे खास बनाती है। अगर आप खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं और कुछ नया करना चाहते हैं तो चिकोरी की खेती एक बेहतरीन आइडिया हो सकता है।

तो दोस्तों, अब देर किस बात की? आज ही अपने खेत में chikori ki kheti की योजना बनाइए और खेती को एक प्रॉफिटेबल बिजनेस में बदलिए। अगर आपको ये जानकारी उपयोगी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें ताकि और किसान भाई भी इसका फायदा उठा सकें। और इस जुड़े कोई भी सवाल कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

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