PR-1401 धान की खेती पूरी जानकारी जरूर लें

नमस्कार किसान भाइयों भारत में धान की खेती हमारी संस्कृति का हिस्सा है, और आजकल किसान ज्यादा पैदावार के लिए उन्नत किस्मों की तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसी ही एक शानदार किस्म है PR-1401 धान। ये बासमती किस्म पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में खूब पसंद की जाती है। 

 इसके दाने लंबे, चमकदार और खुशबूदार होते हैं, जो बाजार में अच्छा दाम दिलाते हैं। चलिए, इस किस्म की पूरी जानकारी लेते हैं कि इसे कैसे उगाएं, क्या सावधानियां रखें, और इससे कैसे मुनाफा कमाएं।

यह भी जानें – धान की खेती: पूरी जानकारी, देसी अंदाज में

PR-1401 धान की खासियतें

गुणविवरण
किस्म का नामPR-1401
प्रकारबासमती, उच्च उपज वाली
पकने की अवधि115-120 दिन
औसत उपज25-28 क्विंटल/एकड़ (सही देखभाल पर)
दानालंबा, पतला, सफेद और सुगंधित
रोग प्रतिरोधकताझुलसा रोग और कीटों के प्रति सहनशील
पानी की जरूरतमध्यम (सही समय पर सिंचाई जरूरी)

मिट्टी और मौसम

PR-1401 धान को उगाने के लिए मिट्टी और मौसम का सही होना बहुत जरूरी है:

  1. मिट्टी: दोमट या जलोढ़ मिट्टी सबसे बढ़िया। ये पानी और पोषक तत्वों को अच्छे से पकड़ती है।
  2. pH स्तर: 6.0 से 7.5 के बीच, यानी थोड़ा अम्लीय से तटस्थ।
  3. मौसम: गर्म और नम जलवायु, जहां तापमान 25°C से 35°C के बीच हो।
  4. पानी: फसल को हर स्टेज पर नमी चाहिए, लेकिन ज्यादा पानी रुकने से बचें।
PR-1401 धान की खेती पूरी जानकारी (उच्च उपज वाली किस्म)

खेत की तैयारी

धान की अच्छी पैदावार के लिए खेत की सही और समय पर तैयारी बेहद जरूरी होती है। खेत की तैयारी का मतलब है जमीन को इस तरह से तैयार करना कि उसमें बीज अच्छे से अंकुरित हो सकें और पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व मिल सकें। सबसे पहले खेत की गहरी जुताई की जाती है ताकि पिछली फसल के अवशेष और खरपतवार नष्ट हो जाएं। इसके बाद मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए 2-3 बार हैरो या कल्टीवेटर से जुता जाता है। इससे मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ती है और पौधों की जड़ें अच्छे से फैलती हैं।

धान की खेती में खेत को समतल और कीचड़युक्त बनाना बहुत जरूरी होता है, ताकि सिंचाई समान रूप से हो सके। आखिरी जुताई के समय गोबर की सड़ी हुई खाद या जैविक खाद मिलाना फायदेमंद रहता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। इसके अलावा खेत की मेड़ें ठीक करना, जल निकासी की व्यवस्था और पलेवा करना भी खेत की तैयारी के जरूरी हिस्से हैं। एक अच्छी तरह से तैयार खेत ही अच्छी उपज की नींव रखता है।

  1. गहरी जुताई: ट्रैक्टर या हल से पहली जुताई गहरी करें, ताकि जड़ें मजबूत हों।
  2. खेत को समतल करें: पाटा चलाकर खेत को ढेले-रहित और बराबर करें।
  3. जैविक खाद: रोपाई से 10-15 दिन पहले 10-15 टन गोबर खाद या कम्पोस्ट प्रति एकड़ डालें।
  4. पानी का इंतजाम: खेत में पानी रोकने और निकालने की व्यवस्था करें। मेढ़बंदी अच्छे से करें।

बीज की तैयारी और रोपाई

बीज का उपचार

  1. बीज को कार्बेन्डाजिम या थिरम (2.5 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें।
  2. इससे फफूंद और रोगों से बचाव होता है।

यह भी जानें – भारत में धान की खेती: कहाँ होती है सबसे ज्यादा, पूरी जानकारी

नर्सरी तैयार करना

  1. प्रति एकड़ 5-6 किलो बीज काफी है।
  2. नर्सरी में 10-12 दिन पुरानी पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।

रोपाई का तरीका

  1. कतार से कतार की दूरी: 20 सेमी
  2. पौधे से पौधे की दूरी: 15 सेमी
  3. एक जगह पर 2-3 पौधे लगाएं, ताकि कल्ले अच्छे निकलें।

सिंचाई का सही प्रबंधन

  1. पहली सिंचाई: रोपाई के तुरंत बाद करें।
  2. इसके बाद हर 7-10 दिन में हल्की सिंचाई करें।
  3. खास ध्यान: फूल आने के समय ज्यादा पानी न रुकने दें, वरना दाने खराब हो सकते हैं।

खाद और उर्वरक का इस्तेमाल

उर्वरकमात्रा (प्रति एकड़)कब डालें?
यूरिया50-60 किलो3 बार (रोपाई, कल्ले निकलने, बालियां बनने पर)
डीएपी25 किलोखेत की तैयारी के समय
पोटाश20 किलोकल्ले निकलने के समय
जिंक सल्फेट10 किलोरोपाई के 15 दिन बाद

खास टिप: मृदा परीक्षण करवाएं। इससे पता चलेगा कि आपके खेत को कितना और कौन-सा उर्वरक चाहिए।

कीट और रोगों से बचाव

आम रोग

  1. पत्ती झुलसा (Blast): पत्तियों पर भूरे धब्बे दिखें।
    • उपाय: ट्राइसाइक्लाजोल या कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करें।
  2. भूरा धब्बा रोग (Brown Spot):
    • उपाय: मैन्कोजेब और कार्बेन्डाजिम का मिश्रण छिड़कें।

कीट

  1. तना छेदक: तने को नुकसान पहुंचाता है।
  2. भूरा टिड्डा (Brown Plant Hopper): पौधे की जड़ों और पत्तियों को खराब करता है।
  3. उपाय: नीम आधारित जैविक कीटनाशक या सीमित मात्रा में क्लोरपायरीफॉस का इस्तेमाल करें।

निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण

धान की अच्छी पैदावार के लिए निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण बेहद जरूरी कार्य हैं। खेत में अनचाहे पौधों यानी खरपतवारों की वृद्धि धान की फसल को पोषक तत्व, पानी और धूप के लिए प्रतिस्पर्धा में डाल देती है, जिससे उपज पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए फसल बोने के 15-20 दिन के अंदर पहली निराई-गुड़ाई और फिर 35-40 दिन बाद दूसरी निराई करना जरूरी होता है। यह काम हाथ से या यंत्रों की मदद से किया जा सकता है।

खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक और जैविक दोनों उपाय अपनाए जा सकते हैं। जैसे–बुवाई के तुरंत बाद प्री-इमर्जेंस खरपतवारनाशक (जैसे बुटाक्लोर या पेन्डीमिथालिन) का छिड़काव करना प्रभावी होता है। इसके अलावा रोपाई के बाद खेत में उचित जल प्रबंधन और समय पर गुड़ाई करने से भी खरपतवारों की वृद्धि को रोका जा सकता है। इन उपायों से फसल स्वस्थ रहती है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।

  • पहली निराई: रोपाई के 20 दिन बाद करें।
  • दूसरी निराई: 40 दिन बाद।
  • रासायनिक उपाय: खरपतवार के लिए बूटाक्लोर या पायरीबेनजॉब का छिड़काव करें।

यह भी जानें – धान की खेती में लगने वाले रोग – पहचान, रोकथाम और इलाज

कटाई और उपज

  1. जब 80-85% बालियां पीली पड़ जाएं, तो कटाई का समय है।
  2. कटाई के बाद धान को धूप में अच्छे से सुखाएं और फिर भंडारण करें।
  3. उपज: सही देखभाल से 25-28 क्विंटल प्रति एकड़ तक मिल सकती है।

PR-1401 की बाजार में डिमांड

  1. ये बासमती किस्म अपनी खुशबू और लंबे दानों की वजह से खास है।
  2. एक्सपोर्ट क्वालिटी होने की वजह से इसका दाम सामान्य धान से ज्यादा मिलता है।
  3. मिल मालिक और व्यापारी इसे खूब पसंद करते हैं, क्योंकि ये बाजार में तेजी से बिकता है।

सरकारी मदद और योजनाएं

भारत सरकार किसानों, मजदूरों और छोटे व्यापारियों की सहायता के लिए कई तरह की योजनाएं और मदद उपलब्ध कराती है। इन योजनाओं का उद्देश्य आर्थिक मजबूती, रोजगार सृजन, और सामाजिक सुरक्षा देना होता है। उदाहरण के तौर पर, किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) के तहत हर साल ₹6000 की आर्थिक सहायता सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाती है। वहीं, मजदूरों के लिए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराकर भविष्य में पेंशन, बीमा और रोजगार के अवसर हासिल किए जा सकते हैं।

इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आजीविका मिशन, मुद्रा योजना, और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं के तहत सस्ती दर पर लोन, सब्सिडी, और प्रशिक्षण उपलब्ध होता है जिससे लोग खुद का काम शुरू कर सकें। सरकारी मदद और योजनाएं समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

  1. कृषि विज्ञान केंद्र: खेती की ट्रेनिंग और सलाह।
  2. बीज पर सब्सिडी: कई राज्यों में सस्ते दाम पर बीज मिलता है।
  3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: फसल खराब होने पर नुकसान की भरपाई।
  4. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: मिट्टी की जांच मुफ्त या कम खर्च में।
  5. e-NAM: मंडी में सीधे बिक्री का मौका।

 निष्कर्ष:PR-1401 धान की खेती पूरी जानकारी जरूर लें

PR-1401 धान की खेती उन किसानों के लिए वरदान है, जो कम समय में ज्यादा मुनाफा चाहते हैं। सही मिट्टी, सही समय पर खाद, पानी और कीट नियंत्रण से आप इस किस्म से बंपर पैदावार ले सकते हैं। बस थोड़ी सी समझदारी और मेहनत चाहिए।

अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप हमे कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताए और अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top