पराली जलाने के नुकसान और विकल्प क्या है?

नमस्कार किसान भाइयों आपको बता दे कि हर साल सर्दियों के शुरू होते ही दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी की हवा जहरीली हो जाती है। लोग मास्क पहनकर घूमते हैं, आंखों में जलन होती है और सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है –पराली जलाने के नुकसान और विकल्प क्या है? लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि पराली जलाने से नुकसान क्या होता है? और इसका कोई हल है भी या नहीं? पराली जलाने के नुकसान और विकल्प क्या है?

हम आपको जानकारी के लिए बता दे कि हम आपको पिछले आर्टिकल मैं कृषि से जुड़ीं जानकारी देते आए है आज भी हम आपके साथ कृषि संबंधी जानकारी साझा करेंगे ।

इस आर्टिकल में हम आसान भाषा में समझेंगे कि पराली जलाने के नुकसान और विकल्प क्या है, ताकि किसान भाई भी इसे समझ सकें और आम लोग भी।

पराली जलाने के नुकसान और विकल्प क्या है?

पराली जलाने से क्या होता है?

पराली यानी फसल की कटाई के बाद खेत में बची सूखी घास, डंठल और पत्तियां। किसानों के लिए ये एक बोझ बन जाती है, क्योंकि अगली फसल बोने से पहले खेत खाली करना होता है। इसलिए वे उसे जलाना आसान समझते हैं।

लेकिन जब पराली जलाई जाती है, तो इससे भारी मात्रा में धुआं और जहरीली गैसें हवा में घुल जाती हैं – जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और बारीक धूल के कण। ये गैसें न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि इंसानों के लिए भी जानलेवा बन सकती हैं।

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पराली जलाने से प्रदूषण कितना होता है?

किसान भाइयों आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में हर साल करीब 20 करोड़ टन पराली जलाई जाती है। सिर्फ पंजाब और हरियाणा से निकलने वाला धुआं दिल्ली की हवा को इतना खराब कर देता है कि AQI 400-500 के पार पहुंच जाता है।

यही कारण है कि हर साल अक्टूबर-नवंबर में “दिल्ली में प्रदूषण क्यों बढ़ता है” ये सवाल सबसे ज्यादा गूगल किया जाता है। और इसका सीधा जवाब है – पराली जलाना

पराली जलाने से स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है?

  • सांस की दिक्कतें
  • अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां
  • आंखों में जलन और सिर दर्द
  • बच्चों और बुजुर्गों के लिए जानलेवा स्थिति

WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, पराली जलाने से निकला धुआं हर साल हजारों लोगों की जान लेता है।

पराली के नुकसान सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं

पराली जलाने से खेत की उपजाऊ मिट्टी की ऊपरी परत जल जाती है, जिससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व और सूक्ष्म जीव खत्म हो जाते हैं। इसका असर सीधे फसल की उपज पर पड़ता है।

इतना ही नहीं, खेतों के पास अगर बिजली के तार या कोई झोपड़ी हो, तो आग लगने का खतरा भी रहता है। यानी ये एक खतरनाक सिलसिला है जो हर साल दोहराया जा रहा है।

क्या है पराली का समाधान?

किसान भाइयों अब सवाल ये है कि किसान पराली जलाना छोड़ें तो करें क्या? चलिए, जानते हैं कुछ बेहतर विकल्प:

1. बायो डीकंपोजर का इस्तेमाल करें।

सरकार अब बायो डीकंपोजर स्प्रे मुफ्त में उपलब्ध करा रही है, जो पराली को कुछ ही दिनों में सड़ा देता है और उसे खाद में बदल देता है।

2. हैप्पी सीडर और सुपर सीडर जैसी मशीनें।

यह मशीनें पराली हटाने की बजाय उसी में अगली फसल की बुआई कर देती हैं। इससे न पराली जलती है और न खेत का नुकसान होता है।

3. पराली से बायो गैस और बिजली उत्पादन।

अब कई कंपनियां पराली खरीदकर उससे बायो फ्यूल और बिजली बना रही हैं। इससे किसान को फायदा और पर्यावरण को राहत मिलती है।

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4. पराली से पैकिंग सामग्री और कार्डबोर्ड बनाना।

पराली से कई स्टार्टअप्स जैसे- पराली से प्लेट, बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग और कागज़ बना रहे हैं। यानी कचरा नहीं, कमाई का ज़रिया।

पराली जलाने पर जुर्माना भी है

कई राज्य सरकारों ने पराली जलाने पर ₹2,500 से ₹15,000 तक का जुर्माना तय किया है। साथ ही FIR भी दर्ज हो सकती है। सरकार की ओर से पराली प्रबंधन के लिए सब्सिडी, मशीनें और ट्रेनिंग दी जा रही है, लेकिन ज़रूरत है जागरूकता की।

निष्कर्ष:

पराली जलाना एक पुरानी आदत है, लेकिन अब वक्त बदल रहा है। हमें समझना होगा कि पराली जलाने से क्या होता है, इससे हमें, हमारे बच्चों को और इस धरती को क्या नुकसान हो रहा है।

आज अगर हम मिलकर पराली का समाधान नहीं ढूंढेंगे, तो कल हमारी आने वाली पीढ़ियां इसकी कीमत चुकाएंगी। किसान भाइयों से बस इतनी गुज़ारिश है – पराली जलाना छोड़िए और आधुनिक उपाय अपनाइए। सरकार आपके साथ है, तकनीक आपके पास है, अब सिर्फ एक समझदारी का फैसला लेना है।

अगर आपको यह जानकारी काम की लगी हो, तो इसे अपने गांव या व्हाट्सएप ग्रुप में ज़रूर शेयर करें। शायद आपकी एक शेयर किसी किसान को जागरूक कर दे।

आजकल किसान भाई पराली जलाने के नुकसान को समझ रहे हैं और “पराली प्रबंधन के तरीके” जैसे बायो डीकंपोजर का इस्तेमाल, “हैप्पी सीडर मशीन”, और पराली से बायो गैस या बिजली बनाने के समाधान अपनाने लगे हैं। अगर “stubble burning solution in Hindi” में देखेंगे तो सरकार भी “पराली जलाने पर जुर्माना” लगाकर किसानों को रोकने की कोशिश कर रही है। कई किसान अब पराली को बेचकर पैकिंग मटीरियल और कार्डबोर्ड बना रहे हैं। “bio decomposer kya hai” ये भी लोग खूब सर्च करते हैं, ताकि खेत की मिट्टी को खराब किए बिना पराली को खाद में बदला जा सके।

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