किसान भाइयों को मेरा नमस्कार आज हम इस लेख के जरिए आपको बताएंगे कि मटर की खेती किसान भाई किस प्रकार कर सकते है और इससे किसान भाइयों को क्या लाभ हो सकता हैं।
मटर की खेती (Matar Ki Kheti) भारत में रबी मौसम की एक प्रमुख फसल है, जिसे किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। सही तकनीक अपनाने से पैदावार बढ़ाई जा सकती है।

आइए जानते हैं मटर की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ:
1. सही जलवायु और मिट्टी
· मटर की खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है।
· अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है।
· मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
2. बीज का चुनाव और बुवाई का समय
· उन्नत किस्मों के बीज चुनें, जैसे – Pusa Pragati, Arkel, Azad Pea आदि।
· अक्टूबर-नवंबर का समय बुवाई के लिए आदर्श होता है।
· बीज उपचार के लिए फफूंदनाशक और राइजोबियम कल्चर का उपयोग करें।
3. खेत की तैयारी और बुवाई विधि
· खेत को 2-3 बार गहरी जुताई कर समतल बनाएं।
· कतारों के बीच 30 से 45 सेमी की दूरी रखें।
· बीज को 3-5 सेमी की गहराई पर बोना चाहिए।
4. उर्वरक और खाद प्रबंधन
· प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद डालें।
· नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की संतुलित मात्रा दें।
· जैविक खाद का प्रयोग उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है।
5. सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
· पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें और फूल आने पर सिंचाई आवश्यक होती है।
· खेत में अधिक नमी से बचें, जिससे फसल में रोग लग सकते हैं।
· खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें।
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6. रोग एवं कीट नियंत्रण
· पाउडरी मिल्ड्यू, रस्ट और उकठ रोग से बचाव के लिए जैविक या रासायनिक उपाय अपनाएं।
· एफिड और थ्रिप्स जैसे कीटों को नियंत्रित करने के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें।

7. कटाई और भंडारण
· जब मटर की फलियां हरी और पूर्ण विकसित हो जाएं, तो उनकी तुड़ाई करें।
· बीज उत्पादन के लिए सूखी फलियों की कटाई करें।
· भंडारण से पहले दानों को धूप में अच्छी तरह सुखाएं।
निष्कर्ष
मटर की खेती (Matar Ki Kheti) कम समय में अधिक लाभ देने वाली फसल है। सही तकनीक और आधुनिक तरीकों को अपनाकर किसान अपनी उपज और आमदनी दोनों बढ़ा सकते हैं।