Masoor ki kheti से अधिक लाभ कैसे लें?

किसान भाइयों को मेरा नमस्कार आज हम लोग इस लेख में इस बात पर चर्चा करेंगे कि मसूर की खेती क्या है और इससे किसान भाइयों को क्या लाभ होता हैं। Masoor ki kheti से अधिक लाभ कैसे लें? मसूर की खेती भारत में रबी मौसम की प्रमुख दलहनी फसल है। यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत होती है और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में भी मदद करती है।

आइए जानते हैं कि मसूर की खेती के बारे में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से जानते हैं।

Masoor ki kheti से अधिक लाभ कैसे लें?
Masoor ki kheti से अधिक लाभ कैसे लें?

1. मसूर की खेती के लिए अनुकूल जलवायु

मसूर ठंडी जलवायु वाली फसल है इसे 18-25 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।अधिक ठंड और पाला लगने से फसल को नुकसान हो सकता है। और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इसकी अच्छी उपज ली जा सकती है।

2. मिट्टी एवं खेत की तैयारी

मसूर की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।इसकी खेती करने के लिए खेत की अच्छे से जुताई कर उसे भुरभुरा बना लेना चाहिए।· जल निकासी की सही व्यवस्था होनी चाहिए ताकि पानी रुके नहीं।

3. उन्नत किस्में

  • · कुछ प्रमुख उन्नत किस्में हैं: एल. 9, पूसा वैभव, आईपीएल 316, मालवीय मसूर 3 आदि।
  • · किसान भाइयों को यह समझना जरूरी है कि क्षेत्र की जलवायु के अनुसार बीज का चयन करना उनके लिए लाभदायक होगा।

4. बुवाई का समय और तरीका

· मसूर की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच करनी चाहिए।

· बीज को 3-4 सेमी गहराई में बोना चाहिए और पंक्तियों के बीच 25-30 सेमी की दूरी रखनी चाहिए।

· एक हेक्टेयर में 35-40 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

5. खाद एवं उर्वरक प्रबंधन

· खेत में 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40-50 किलोग्राम फॉस्फोरस डालना चाहिए।· जैविक खाद का प्रयोग करने से फसल की गुणवत्ता और मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।

6. सिंचाई प्रबंधन

· मसूर की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। इसके लिए हल्की सिंचाई बुवाई के समय और फूल व फल बनने की अवस्था में करनी चाहिए।

7. खरपतवार नियंत्रण

· मसूर की खेती में खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है।और शुरुआती 30-40 दिनों में निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।

· फ्लूक्लोरालिन या पेंडीमिथालिन जैसे खरपतवारनाशकों का उपयोग किया जा सकता है।

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8. रोग एवं कीट नियंत्रण

· उकठा रोग (विल्ट), चूर्णिल आसिता (पाउडरी मिल्ड्यू) और फफूंदजनित रोग मुख्य रूप से फसल को प्रभावित करते हैं।

· बीज को थीरम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए।

· हानिकारक कीटों को नियंत्रित करने के लिए जैविक उपाय अपनाने चाहिए।

9. कटाई और उपज

· फसल 110-120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।

· जब पत्तियां पीली पड़ने लगें और फलियां सूखने लगें, तब फसल की कटाई करनी चाहिए।

· मसूर की अच्छी खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 12-15 क्विंटल तक उपज मिल सकती है।

10. मसूर की खेती के फायदे

· यह मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मदद करती है।

· इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है।

· मसूर में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होने के कारण यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

· यदि किसान भाई सही तकनीकों का पालन है तो मसूर की खेती से अच्छी पैदावार ली जा सकती है और किसानों की आय बढ़ सकती है।

मसूर की खेती कैसे करें और इससे ज्यादा मुनाफा कैसे कमाएं? अगर आप Masoor ki kheti ka tarika, masoor ki kheti kaise karein, या masoor ki kheti se munafa kaise lein जैसे सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी है। मसूर एक ऐसी दलहनी फसल है जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है और protein rich crops में शामिल है। भारत में मसूर की खेती खासकर rabi season crops in India के रूप में की जाती है और इसकी market demand साल भर बनी रहती है। अगर किसान भाई उन्नत बीज, सही समय पर बुवाई, संतुलित खाद और masoor ki fassal mein rog niyantran जैसे आधुनिक तरीकों को अपनाते हैं, तो वे प्रति हेक्टेयर 15 क्विंटल तक मसूर की उपज प्राप्त कर सकते हैं। आज के समय में organic farming of lentil और low investment high profit farming जैसे ट्रेंड्स को देखते हुए मसूर की खेती ग्रामीण किसानों के लिए एक मजबूत आय का स्रोत बन सकती है।

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