नमस्कार किसान भाइयों भारत में धान की खेती तो जैसे किसानों की रगों में बसी है। गाँव-गाँव में धान के खेत लहलहाते हैं और ये फसल करोड़ों परिवारों की रोजी-रोटी का आधार है। लेकिन अब समय बदल गया है। जलवायु परिवर्तन, बारिश का कम-ज्यादा होना, कीटों का हमला और बाजार की बढ़ती मांग ने पुरानी धान की किस्मों को थोड़ा पीछे छोड़ दिया है। अब किसान भाइयों को ऐसी किस्में चाहिए जो कम समय में ज्यादा फसल दें, पानी कम लगे और बीमारियों से लड़ सकें।
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खुशखबरी ये है कि हमारे वैज्ञानिकों ने ऐसी कई नई और उन्नत किस्में तैयार की हैं जो इन सारी मुश्किलों का जवाब हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि धान की नई किस्में कौन-कौन सी हैं, इनके फायदे क्या हैं, इन्हें कब और कैसे बोना है, और इनसे आपकी जेब में कितना मुनाफा आ सकता है। तो चलिए, बात को आगे बढ़ाते हैं।

पुरानी किस्मों में क्या दिक्कत थी?
पहले की धान की किस्में अच्छी थीं, लेकिन कुछ परेशानियाँ थीं:
- कम फसल: मेहनत ज्यादा, लेकिन उपज कम।
- समय ज्यादा लगता: फसल पकने में 150-160 दिन तक लग जाते थे।
- पानी की जरूरत: खेत में ढेर सारा पानी चाहिए था, जो अब हर जगह आसान नहीं।
- कीट और बीमारी: थोड़ी सी लापरवाही और फसल को कीट या बीमारी चट कर जाती थी।
- जलवायु का असर: बारिश कम हो या ज्यादा, फसल पर बुरा असर पड़ता था।
इन सबको देखते हुए वैज्ञानिकों ने सोचा, क्यों न ऐसी किस्में बनाई जाएँ जो कम मेहनत में ज्यादा फायदा दें। और बस, यहीं से शुरू हुआ नई किस्मों का सफर।
धान की नई किस्में – आपके खेत की नई ताकत
चलिए, अब आपको कुछ ऐसी धान की किस्मों के बारे में बताते हैं, जो आजकल किसानों के बीच धूम मचा रही हैं। ये किस्में न सिर्फ ज्यादा उपज देती हैं, बल्कि आपके खेत को कीटों और मौसम की मार से भी बचाती हैं।
1. PUSA Basmati 1718 – बासमती की खुशबू, मुनाफे की गूंज
- क्या खास है? ये बासमती चावल की उन्नत किस्म है, जिसकी खुशबू और स्वाद दुनिया भर में मशहूर है।
- फायदे:
- ब्लास्ट और झुलसा रोग से लड़ने की ताकत।
- 50-52 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की शानदार उपज।
- 120-125 दिन में फसल तैयार।
- कहाँ बोएँ? पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लिए बेस्ट।
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2. DRR Dhan 45 – जलभराव में भी कमाल
- क्या खास है? अगर आपके खेत में पानी ज्यादा जमा होता है, तो ये किस्म आपके लिए वरदान है।
- फायदे:
- 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज।
- ब्लास्ट, झुलसा और पत्ती लपेटक कीट से बचाव।
- कम समय में अच्छी फसल।
- कहाँ बोएँ? बिहार, पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत के जलभराव वाले इलाकों में।
3. Narendra 97 (NDR-97) – उत्तर भारत का सितारा
- क्या खास है? ये किस्म खासतौर पर उत्तर भारत के किसानों के लिए बनाई गई है।
- फायदे:
- 60-65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज।
- 130 दिन में फसल तैयार।
- कम पानी में भी अच्छा परिणाम।
- चावल की गुणवत्ता बाजार में अच्छा दाम दिलाती है।
- कहाँ बोएँ? उत्तर प्रदेश, बिहार और पूर्वी भारत।
4. BPT 5204 (Samba Mahsuri) – स्वाद और चमक का बादशाह
- क्या खास है? इसकी चमक और स्वाद इसे बाजार में खास बनाता है।
- फायदे:
- लीफ ब्लास्ट रोग से बचाव।
- 140 दिन में फसल तैयार।
- बाजार में अच्छी कीमत।
- कहाँ बोएँ? तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और दक्षिण भारत।
5. Sahbhagi Dhan – सूखे में भी हरा-भरा
- क्या खास है? सूखे और कम पानी वाले इलाकों के लिए ये किस्म वरदान है।
- फायदे:
- 100-105 दिन में फसल तैयार।
- कम पानी में भी अच्छी उपज।
- छोटे और मझोले किसानों के लिए किफायती।
- कहाँ बोएँ? झारखंड, बिहार और कम बारिश वाले इलाकों में।
नई किस्म चुनते वक्त क्या देखें?
किस्म चुनना कोई बच्चों का खेल नहीं है। थोड़ी सी समझदारी बरतें, तो मुनाफा दोगुना हो सकता है। ये ध्यान रखें:
- आपके इलाके का मौसम: किस्म आपके क्षेत्र के मौसम के हिसाब से हो।
- जमीन का प्रकार: काली, दोमट या पानी वाली जमीन के हिसाब से किस्म चुनें।
- बाजार की माँग: बासमती जैसी किस्में निर्यात के लिए अच्छी हैं।
- पानी की उपलब्धता: कम पानी है तो Sahbhagi Dhan जैसी किस्म लें।
- कृषि विभाग की सलाह: हमेशा सरकारी सलाह लें, क्योंकि वो आपके इलाके की जरूरतों को बेहतर समझते हैं।
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इन नई किस्मों के फायदे
- ज्यादा फसल: पुरानी किस्मों से 15-25% ज्यादा उपज।
- जल्दी तैयार: 90-130 दिन में फसल आपके हाथ में।
- पानी की बचत: कम पानी में भी बढ़िया फसल।
- बीमारियों से बचाव: कीट और रोगों से लड़ने की ताकत।
- अच्छा दाम: बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।
- सरकारी मदद: बीज पर सब्सिडी और आसान उपलब्धता।

बीज कहाँ से लें?
- कृषि विज्ञान केंद्र (KVK): हर जिले में KVK से सर्टिफाइड बीज मिलते हैं।
- राज्य कृषि विश्वविद्यालय: यहाँ से नई किस्मों के बीज आसानी से मिल जाएंगे।
- सरकारी पोर्टल: ikhedut, eNAM या DBT Agriculture Portal पर ऑनलाइन आवेदन करें।
- स्थानीय दुकान: बस ये चेक करें कि बीज का पैकेट सर्टिफाइड हो और उस पर किस्म, साल और स्रोत लिखा हो।
कौन सी किस्म कहाँ बोएँ?
इलाका | किस्में |
उत्तर प्रदेश | Narendra 97, NDR-118, BPT 5204 |
बिहार, झारखंड | Sahbhagi Dhan, DRR Dhan 44 |
पंजाब, हरियाणा | Pusa Basmati 1718, Pusa 1509 |
पश्चिम बंगाल | Swarna Sub1, MTU 1010 |
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश | BPT 5204, CR 1009 |
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सरकार से कैसे लें मदद?
- सब्सिडी: कृषि विभाग बीज पर 50-75% तक सब्सिडी देता है।
- योजनाएँ: आत्मा योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के तहत बीज मिलते हैं।
- किसान मेला: अपने जिले में होने वाले किसान मेलों में जाएँ, वहाँ बीज और जानकारी दोनों मिलेंगी।
निष्कर्ष:धान की नई किस्में – किसानों के लिए ज्यादा मुनाफे का रास्ता
आज के जमाने में पुराने ढर्रे की खेती से मुनाफा कमाना मुश्किल है। लेकिन अगर आप नई किस्में, नई तकनीक और सरकारी मदद का सही फायदा उठाएँ, तो आपकी फसल भी लहलहाएगी और जेब भी भरेगी। धान की ये नई किस्में आपके खेत को मौसम की मार और कीटों से बचाने के साथ-साथ कम लागत में ज्यादा मुनाफा दे सकती हैं।
तो देर किस बात की? अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें, सही किस्म चुनें और खेती को बनाएँ एक मुनाफे का धंधा।
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