नमस्कार किसान भाइयों भारत में खेती-बाड़ी का मतलब ही धान की खेती से शुरू होता है। चावल तो हमारे देश की शान है, चाहे वो पंजाब के खेत हों या बंगाल के धान के कटोरे। ये फसल सिर्फ पेट ही नहीं भरती, बल्कि लाखों किसानों की रोजी-रोटी भी चलाती है।
दुनिया में चावल पैदा करने में भारत का नंबर दूसरा है। हर साल यहाँ करीब 120-125 मिलियन टन धान उगता है, और 44 मिलियन हेक्टेयर जमीन पर इसकी खेती होती है। यानी हमारे देश का पेट भरने में धान का रोल सबसे बड़ा है।
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कहाँ-कहाँ होती है धान की खेती?
भारत में धान की खेती हर कोने में होती है, लेकिन कुछ जगहों का जलवा ही अलग है:
राज्य | बड़े-बड़े जिले | खास बात |
पश्चिम बंगाल | बर्धमान, मुर्शिदाबाद, नदिया | साल में तीन बार फसल ले लेते हैं |
उत्तर प्रदेश | गोरखपुर, बाराबंकी, सीतापुर | मिट्टी उपजाऊ, पानी की भरपूर व्यवस्था |
पंजाब | लुधियाना, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब | मॉडर्न मशीनों से हाई यील्ड |
ओडिशा | कटक, संबलपुर, बोलांगीर | बारिश पर निर्भर, पुराना तरीका |
आंध्र प्रदेश | कृष्णा, गुंटूर | गोदावरी नदी से सिंचाई |
बिहार | दरभंगा, समस्तीपुर, भागलपुर | नहर और बोरिंग का सहारा |

धान को चाहिए कैसी हवा-पानी?
धान की खेती के लिए मौसम और पानी का खेल बड़ा जरूरी है:
- तापमान: 20°C से 35°C के बीच, न ज्यादा गर्मी, न ज्यादा सर्दी।
- बारिश: 100-200 सेमी बारिश चाहिए।
- सीजन: ये खरीफ की फसल है। जून-जुलाई में बोओ, अक्टूबर-नवंबर में काटो।
खेत और मिट्टी का इंतजाम
धान के लिए दोमट या चिकनी मिट्टी बेस्ट है, जो पानी को अच्छे से रोक ले। खेत तैयार करने का तरीका कुछ ऐसा है:
- पहली जुताई: हल से मिट्टी पलट दो, जड़ें-खरपतवार निकल जाएं।
- दूसरी जुताई: हैरो चलाकर मिट्टी को बारीक और भुरभुरा करो।
- पानी भरना: खेत में 7-10 दिन तक पानी भरा रहने दो।
- सपाट करना: खेत को लेवल कर दो, ताकि पानी एकसमान फैले।
अच्छा बीज, अच्छी फसल
बिना अच्छे बीज के फसल वैसी नहीं जमती। कुछ पॉपुलर और भरोसेमंद किस्में:
किस्म | खासियत |
IR-64 | ज्यादा पैदावार, रोगों से लड़ने वाला |
स्वर्णा | जलभराव झेल लेता है, टेस्टी चावल |
BPT-5204 | साउथ इंडिया का फेवरेट |
शताब्दी | जल्दी पकने वाली, छोटा साइकिल |
बीज की सफाई: बुवाई से पहले बीज को नमक वाले पानी में डालो। जो बीज तैरें, उन्हें फेंक दो, जो डूबें, वही काम के हैं।
पानी का जुगाड़
धान की खेती में पानी तो जान है। इसके लिए ये स्रोत काम आते हैं:
- नहर
- ट्यूबवेल
- तालाब
- बोरिंग
खेत में 2-5 सेमी गहरा पानी हमेशा रखो, फसल अच्छे से बढ़ेगी।
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कीट और रोग से बचाव
धान की फसल को कीड़े और बीमारियाँ जल्दी घेर लेती हैं। कुछ कॉमन प्रॉब्लम और उनके उपाय:
रोग/कीट | लक्षण | इलाज |
ब्लास्ट रोग | पत्तियों पर भूरे धब्बे | ट्राइसाइक्लाजोल छिड़को |
भूरा तना कीट | पौधे को काट देता है | क्लोरपाइरीफॉस का स्प्रे |
गंधी बग | दाने खराब हो जाते हैं | मेटासिस्टॉक्स का इस्तेमाल |
खाद का हिसाब-किताब
अच्छी फसल के लिए खाद और उर्वरक जरूरी हैं:
- नाइट्रोजन (N): 60-80 किलो प्रति हेक्टेयर
- फॉस्फोरस (P): 30 किलो
- पोटाश (K): 30 किलो
देसी तरीका: गोबर की खाद, नीम की खली, या वर्मी कम्पोस्ट डालो, फसल भी अच्छी और मिट्टी भी हेल्दी।
मॉडर्न तरीके
आजकल नई टेक्नॉलजी से कम मेहनत में ज्यादा फसल ली जा सकती है:
- SRI पद्धति: कम बीज, कम पानी, ज्यादा पैदावार।
- ड्रोन से छिड़काव: कीटनाशक और उर्वरक आसानी से डाले जा सकते हैं।
- लाइन सीडर मशीन: बुवाई में वक्त और मेहनत बचती है।

कटाई और स्टोरेज
जब धान के पौधे पीले पड़ने लगें, समझो कटाई का टाइम आ गया। थ्रेशर से दाने निकालो और धूप में अच्छे से सुखाओ।
स्टोरेज टिप्स:
- सूखी और ठंडी जगह पर रखो।
- बोरे या ड्रम में भरकर कीट-नाशक टिकिया डाल दो।
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सरकार का साथ
किसानों की मदद के लिए सरकार कई स्कीम चला रही है:
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि: हर साल कुछ पैसे सीधे खाते में।
- कृषि यंत्र अनुदान: मशीन खरीदने में मदद।
- MSP: न्यूनतम समर्थन मूल्य, ताकि फसल का सही दाम मिले।
धान की खेती का स्कोरकार्ड
- कुल प्रोडक्शन: 125 मिलियन टन
- निर्यात: भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल एक्सपोर्टर
- उपज: प्रति हेक्टेयर 2.5-3.5 टन
निष्कर्ष:धान की खेती: पूरी जानकारी, देसी अंदाज में।
धान की खेती हमारे देश का दिल है। सही बीज, अच्छा पानी, और थोड़ा मॉडर्न टच अपनाओ, तो ये फसल न सिर्फ पेट भरेगी, बल्कि जेब भी। बस जरूरत है थोड़ी सी जानकारी और मेहनत की। खेत में उतरो, धान बोओ, और देश को चमकाओ।
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