भारत में जब गर्मी अपने चरम पर होती है और धरती फटने लगती है, तब हर किसी को इंतजार होता है बरसात का। मानसून आते ही न सिर्फ मौसम सुहाना हो जाता है, बल्कि खेतों में हरियाली भी लौट आती है। यही वो समय होता है जब किसान अपनी जमीन को फिर से तैयार करते हैं और नई फसलों की बुआई शुरू करते हैं। अब आपके मन में भी यही सवाल होगा कि बरसात के मौसम में बोई जाने वाली फसलें कौन कौन सी होती हैं, तो चलिए इसी सवाल का जवाब हम आसान और इंसानी भाषा में विस्तार से समझते हैं।

1. क्यों खास होता है बरसात का मौसम खेती के लिए? पूरी जानकारी समझिए
बरसात का मौसम यानी खरीफ का सीजन। ये मौसम लगभग जून के आखिरी हफ्ते से शुरू होकर सितंबर तक चलता है। इस दौरान जमीन में नमी भर जाती है, जिससे बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और फसलें तेजी से बढ़ती हैं। बरसात की प्राकृतिक सिंचाई फसलों को मजबूत बनाती है और किसानों को ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती। साथ ही, इस मौसम में तापमान और हवा की नमी फसलों के लिए बिल्कुल परफेक्ट होती है।
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2. धान (चावल)
जब भी हम बरसात के मौसम में बोई जाने वाली फसलें कौन कौन सी होती हैं इस सवाल पर सोचते हैं, तो सबसे पहला नाम आता है – धान। धान को भरपूर पानी चाहिए होता है, इसलिए ये बारिश के मौसम की सबसे मशहूर और जरूरी फसल मानी जाती है। उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। धान के लिए काली मिट्टी और पानी से भरपूर जमीन सबसे बढ़िया मानी जाती है।
3. मक्का
मक्का यानी कॉर्न भी खरीफ सीजन की एक अहम फसल है। इसे बारिश के शुरुआती दिनों में बोया जाता है। मक्का की खासियत ये है कि ये कम समय में तैयार हो जाती है और ज्यादा देखभाल भी नहीं मांगती। मक्का की खेती मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में खूब होती है। इसके दानों का इस्तेमाल खाने के अलावा, पशुओं के चारे और इंडस्ट्री में भी होता है।
4. बाजरा
बाजरा एक मोटा अनाज है और खासतौर पर सूखे और कम पानी वाली जमीनों में भी अच्छी उपज देता है। ये फसल राजस्थान, हरियाणा और गुजरात जैसे इलाकों में बहुतायत में उगाई जाती है। बाजरा शरीर को ठंडा रखता है, इसलिए इसकी मांग गर्म इलाकों में ज्यादा होती है। ये न सिर्फ पेट के लिए अच्छा होता है, बल्कि फाइबर से भरपूर भी होता है।

5. ज्वार
ज्वार भी बाजरे की ही तरह मोटे अनाजों में आता है। इसकी खेती भी बरसात के मौसम में होती है और ये खासकर उन इलाकों में बोया जाता है जहां बारिश कम होती है। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में इसकी अच्छी पैदावार होती है। ज्वार से रोटियां बनती हैं जो डायबिटीज और मोटापे के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होती हैं।
6. कपास (Cotton)
कपास की फसल को बरसात के मौसम की रानी भी कहा जाता है। इसकी बुआई मानसून की शुरुआत में होती है और फसल को तैयार होने में 6 से 8 महीने लगते हैं। कपास की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में की जाती है। ये फसल बहुत नाजुक होती है, इसलिए इसकी देखभाल थोड़ी ज्यादा करनी पड़ती है, लेकिन मुनाफा भी अच्छा होता है।
7. सोयाबीन
सोयाबीन की फसल भी खरीफ सीजन की महत्वपूर्ण फसल है। इसकी बुआई जून से जुलाई के बीच की जाती है और ये लगभग 90 से 120 दिन में तैयार हो जाती है। सोयाबीन में प्रोटीन भरपूर होता है, इसलिए इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है। भारत में इसकी सबसे ज्यादा खेती मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में होती है।
8. गन्ना
हालांकि गन्ना साल भर उगाया जाता है, लेकिन बरसात के मौसम में इसकी बुआई करने से फसल और भी बेहतर होती है। गन्ने को पानी बहुत पसंद होता है और बरसात का मौसम इसकी ग्रोथ के लिए बिल्कुल सही होता है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पंजाब जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर होती है।
9. मूंगफली
मूंगफली को हम सभी खाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये एक बहुत ही जरूरी तेल वाली फसल भी है। इसकी बुआई जून-जुलाई में होती है और लगभग 3 से 4 महीने में फसल तैयार हो जाती है। मूंगफली की खेती खासकर गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में ज्यादा होती है।
10. तुअर (अरहर दाल)
तुअर की दाल भारत की सबसे ज्यादा खाई जाने वाली दालों में से एक है। इसकी फसल बरसात के मौसम में बोई जाती है और इसे तैयार होने में लगभग 5 महीने लगते हैं। इसकी खेती खासकर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में होती है।
11. उड़द और मूंग
ये दोनों दालें भी खरीफ सीजन में बोई जाती हैं। मूंग की खेती कम समय में होती है और ये मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है। उड़द भी जल्दी तैयार हो जाती है और इसका इस्तेमाल दाल और इडली-डोसा जैसे कई पकवानों में होता है।
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12. सब्जियाँ और हरी फसलें
बरसात में कई तरह की सब्जियाँ भी बोई जाती हैं जैसे – लौकी, तोरई, करेला, भिंडी और कद्दू। इन फसलों को हल्की और ढीली मिट्टी में बोया जाता है और ये जल्दी उगती हैं। इनकी देखभाल थोड़ी ज्यादा करनी पड़ती है क्योंकि बारिश के पानी से इनमें कीड़े लगने का डर होता है।
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कुछ जरूरी बातें जो हर किसान को ध्यान में रखनी चाहिए
बरसात के मौसम में फसलें तो तेजी से बढ़ती हैं, लेकिन साथ में कीड़ों और बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए बीज का चुनाव करते समय अच्छी क्वालिटी का बीज लेना जरूरी है। इसके अलावा समय पर बुआई, सिंचाई और जैविक खाद का उपयोग फसल को मजबूत और उपजदार बनाता है। जरूरत हो तो कृषि विभाग से सलाह लेकर फसल की सुरक्षा के लिए स्प्रे या जैविक कीटनाशकों का भी उपयोग करना चाहिए।
निष्कर्ष: बरसात के मौसम में बोई जाने वाली फसलें कौन कौन सी होती हैं
अब तक आप समझ ही गए होंगे कि बरसात के मौसम में बोई जाने वाली फसलें कौन कौन सी होती हैं। ये मौसम खेती के लिए बहुत ही खास होता है और अगर सही जानकारी के साथ काम किया जाए तो अच्छी कमाई भी हो सकती है। धान से लेकर सब्जियों तक, हर फसल अपने आप में खास होती है और किसान की मेहनत से ही देश का पेट भरता है। अगर आप भी खेती से जुड़े हैं या खेती शुरू करने का सोच रहे हैं, तो ये जानकारी आपके बहुत काम आएगी।