नमस्कार किसान भाइयों अगर आप किसान हैं या खेती में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपने जरूर सोचा होगा कि सरसों की खेती से अधिक पैदावार कैसे करे आज हम इसी सवाल का जवाब देने वाले हैं, वो भी बिल्कुल आसान और बोलचाल की भाषा में। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप जान पाएंगे कि कैसे आप अपनी सरसों की फसल से ज्यादा उत्पादन ले सकते हैं और मुनाफा भी बढ़ा सकते हैं। sarson ki kheti से अधिक पैदावार कैसे करे। पूरी जानकारी आसान भाषा में ?

सही जमीन और मौसम का चुनाव?
सरसों की अच्छी फसल के लिए अच्छी मिट्टी और और सही समय पानी की सिचाई, सरसों की अच्छी पैदावार के लिए सबसे बहुत जरूरी होता है सरसों के लिए हल्की दोमट या मध्यम उपजाऊ मिट्टी सबसे बढ़िया मानी जाती है। मिट्टी का pH 6 से 7.5 के बीच हो तो फसल शानदार होगी। सरसों की खेती सर्दियों में होती है, इसलिए अक्टूबर से नवंबर के बीच बुवाई का समय सबसे उपयुक्त होता है। और सरसों की खेती के लिए अच्छी जलवायु और सही मौसम किसानों के लिए फायदे मंद होती है।
उन्नत किस्मों का चुनाव?
अगर किसान सरसों की अच्छी किस्में लगते है तो उत्पादन काफी बढ़ जाता है। कुछ प्रमुख उन्नत किस्में इस प्रकार हैं:
- वरुणा
- पूसा बोल्ड
- आरएच-30
- पूसा जय किसान
- आरएच-749
इन किस्मों में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है और तेल की मात्रा भी बेहतर होती है।
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खेत की तैयारी ऐसे करें?
अगर किसान भाई सरसों की खेती से अधिक पैदावार लेना चाहते है खेत की तैयारी बहुत ही अच्छी करनी होगी है। सबसे पहले खेत को दो-तीन बार अच्छी तरह जोतें और पाटा लगाएं ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद 8-10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ खेत में मिला दें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पौधे जल्दी बढ़ते हैं।
बीज की मात्रा और बोने का तरीका?
बीज की मात्रा और बीज बोने का तरीका भी पैदावार पर असर डालते हैं। 1 एकड़ जमीन के लिए करीब 1.5 से 2 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। बीज को बोने से पहले 2 ग्राम थीरम या बाविस्टिन से उपचारित करना चाहिए, ताकि बीजजनित रोग न लगें। बीज को कतारों में 30 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएं और पौधे से पौधे के बीच 10 से 12 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
खाद और उर्वरक का सही इस्तेमाल?
सरसों की अच्छी पैदावार के लिए खाद देना जरूरी है। एक एकड़ में आप ये खाद इस तरह डाल सकते हैं:
- नाइट्रोजन (N): 40 किलो
- फॉस्फोरस (P): 20 किलो
- पोटाश (K): 15 किलो
- सल्फर: 15 से 20 किलो
इन खादों को बुवाई के समय ही मिट्टी में मिला देना चाहिए। साथ ही सल्फर देना न भूलें, क्योंकि इससे तेल की मात्रा और फसल की गुणवत्ता बढ़ती है।
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सिंचाई का सही समय?
सरसों एक कम पानी वाली फसल है, लेकिन फिर भी कुछ खास समय पर सिंचाई जरूरी होती है। पहली सिंचाई बुवाई के 25-30 दिन बाद करनी चाहिए और दूसरी सिंचाई फूल आने पर और ज्यादा पानी से फसल को नुकसान हो सकता है, इसलिए सिंचाई संतुलित करें।
रोग और कीट नियंत्रण?
सरसों में कुछ आम रोग जैसे सफेद झुलसा, आल्टरनेरिया ब्लाइट और माहू (छोटे कीड़े) लग सकते हैं। इनसे बचाव के लिए:
- बीजोपचार जरूर करें।
- जरूरत पड़े तो रोग के समय मैन्कोज़ेब या कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करें।
माहू से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड या थायोमेथोक्सम का छिड़काव करें।

फसल कटाई और भंडारण?
जब सरसों की फलियाँ 70 से 80 प्रतिशत तक पक जाएं और रंग हल्का पीला हो जाए, तब फसल काटनी चाहिए। अगर आप फसल को काटने मे देरी करते है तो फसल की फलियाँ फट सकती हैं और बीज झड़ सकते हैं। कटाई के बाद फसल को धूप में अच्छी तरह सुखाएं और सूखे, हवादार स्थान पर रखें।
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अतिरिक्त टिप्स
- खेत में समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें।
- खरपतवार पर नियंत्रण रखें, इससे पौधों को पूरा पोषण मिलेगा।
- फसल की निगरानी करते रहें ताकि समय रहते बीमारी या कीट का इलाज हो सके।
निष्कर्ष:
अब आप समझ ही गए होंगे कि “सरसों की खेती से अधिक पैदावार कैसे करे। पूरी जानकारी आसान भाषा में ?” इसका जवाब क्या है। अगर आप ऊपर बताए गए तरीकों को अपनाते हैं तो यकीन मानिए आपकी सरसों की फसल पहले से कहीं ज्यादा अच्छी होगी और आपकी आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी।
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