प्रणाम किसान भाइयों , जैसा कि आप जानते है कि भारत देश में मटर की खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद और मुनाफे वाली फसल है क्योंकि इसमे न तो ज्यादा पानी की जरूरत और न ही ज्यादा उरवर्क की जरूरत पड़ती है लेकिन अगर आप भी मटर की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते है तो आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढे।

किसान भाई यह भी जानें – पशुपालन और खेती को साथ कैसे करें
Pea Farming Tips – से जुड़े कुछ सवाल?
सवाल | जवाब |
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मटर की खेती के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी है | दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है |
मटर की बुवाई का सही समय क्या है | अक्टूबर से नवंबर के बीच बुवाई करें |
मटर की फसल को कितनी सिंचाई चाहिए | 3 से 4 बार हल्की सिंचाई पर्याप्त होती है |
मटर की पैदावार कैसे बढ़ाएं | अच्छी किस्म के बीज, जैविक खाद और रोग नियंत्रण करें |
मटर की फसल में कौन से रोग लगते हैं | झुलसा रोग और जड़ सड़न प्रमुख रोग हैं |
मटर की खेती से कितना मुनाफा होता है | प्रति एकड़ 40 से 60 हजार रुपये तक की कमाई संभव है |
मटर के बीज की मात्रा कितनी रखनी चाहिए | एक एकड़ में करीब 35 से 40 किलो बीज पर्याप्त होता है |
मटर की अच्छी किस्में कौन सी हैं | अर्का किरण, पंत पी-42, आजाद पी-3 अच्छी किस्में हैं |
किसान भाइयों के लिए मटर की खेती क्यों है फायदेमंद?
दोस्तों , आपको बता दें कि भारत में मटर की खेती किसानों के लिए एक कम खर्च और ज्यादा मुनाफे वाला विकल्प बन चुकी है। यह फसल ठंडे मौसम में तेजी से बढ़ती है और सिर्फ तीन से चार महीनों में तैयार हो जाती है। मटर खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ मिट्टी की गुणवत्ता भी सुधारती है, क्योंकि यह नाइट्रोजन को जमीन में स्थिर करती है।
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मटर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी कौन सी है?
किसान भाइयों अगर आप भी मटर की खेती करना चाहते है तो आपको बता दें कि मटर की अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी सबसे बेहतर होती है। इस मिट्टी में नमी और जल निकासी का सही संतुलन बना रहता है। अगर मिट्टी बहुत रेतीली या चिकनी हो, तो फसल को नुकसान हो सकता है। खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छी तरह जोतकर उसमें गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें। इससे मिट्टी उपजाऊ बनती है और पौधे तेजी से बढ़ते हैं। ध्यान रखें कि खेत में पानी कभी भी जमा न हो, वरना पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं।
बीज और बुआई का सही समय क्या है?
किसान भाइयों , मटर की बुआई के लिए अक्टूबर से नवंबर का समय सबसे अच्छा माना जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में किसान इसे थोड़ा पहले भी बो सकते हैं। प्रति हेक्टेयर करीब 75 से 100 किलो बीज पर्याप्त होता है। बीज को फफूंदनाशक दवा से उपचारित करना बहुत जरूरी है ताकि रोगों से बचाव हो सके। इससे अंकुरण भी बेहतर होता है और पैदावार बढ़ती है।
सिंचाई और खेत की देखभाल कैसे करें?
दोस्तों सबसे पहले तो आपको यह जानना होगा कि मटर के पौधों को बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती। पहली सिंचाई बुआई के 15 दिन बाद करें और दूसरी फूल आने पर। खेत में खरपतवार न पनपे, इसके लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें। इससे पौधों को पोषक तत्व अच्छे से मिलते हैं और उत्पादन बढ़ता है।
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मटर की खेती के लिए उर्वरक और पोषण प्रबंधन कैसे करें?
दोस्तों , मटर की खेती में ज्यादा नाइट्रोजन की जरूरत नहीं होती क्योंकि यह खुद मिट्टी में नाइट्रोजन फिक्स कर लेती है। जैविक खाद के साथ थोड़ी मात्रा में फॉस्फोरस और पोटाश डालने से फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ जाती हैं। यह पौधों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं और फलियों की संख्या बढ़ाते हैं।

कटाई और भंडारण:
दोस्तों आपको बता दें कि जब मटर की फलियां पूरी तरह भर जाएं लेकिन अभी हरी हों, तब कटाई करना सबसे सही रहता है। अगर आप हरी मटर बेचने के लिए खेती कर रहे हैं, तो फलियों को मुलायम अवस्था में तोड़ें ताकि उनका स्वाद और ताजगी बनी रहे। कटाई के बाद फलियों को ठंडी जगह पर रखें ताकि उनकी गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहे।
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किसान भाइयों के लिए एक सलाह:
दोस्तों , अगर किसान सही मिट्टी, सही मौसम और संतुलित देखभाल का ध्यान रखें, तो मटर की खेती उन्हें शानदार मुनाफा दे सकती है। यह फसल न सिर्फ कम समय में तैयार होती है बल्कि मिट्टी की उर्वरता बढ़ाकर अगली फसल के लिए भी लाभदायक साबित होती है। तो दोस्तों आपको यह जानकारी कैसी लगी अगर अच्छी लगी हो तो आप हमे कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं और साथ ही अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें।