किसान भाई, अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसी फसल कौन सी बोई जाए जो कम लागत में तैयार हो, हर मौसम में कुछ न कुछ दे दे, जानवरों का चारा भी बन जाए और मंडी में बिक जाए – तो एक ही नाम आता है – मक्का। जी हां, मक्का की खेती आज के समय में सिर्फ चारे तक सीमित नहीं है, बल्कि दाल मिल, तेल मिल, फूड इंडस्ट्री से लेकर शराब बनाने तक में इसका इस्तेमाल होता है। इस आर्टिकल में हम आपको मक्का की खेती का A to Z बताएंगे – वो भी अपने देसी बोलचाल की भाषा में।
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1. मक्का की खेती का महत्व
मक्का एक बहुउपयोगी फसल है। यह खाने के काम भी आती है, चारे में भी लगती है, और उद्योगों में भी खप जाती है। इसका एक-एक हिस्सा पैसा देता है – दाना, डंठल, पत्ता, सब कुछ।
पहले किसान इसे सिर्फ बरसात में बोते थे, लेकिन अब इसकी खेती रबी और गर्मी – तीनों सीजन में हो रही है। इसका कारण है नई हाइब्रिड किस्में और सिंचाई के बेहतर साधन। मक्का की फसल से आप साल में 2 से 3 बार उपज ले सकते हैं, और ये गन्ने जैसी लंबी फसल नहीं है – बस 90 से 120 दिन में तैयार हो जाती है।

2. मक्का की खेती के लिए सही मिट्टी और मौसम
मक्का को बहुत ज्यादा भारी या पानी रुकने वाली जमीन पसंद नहीं है। इसे ऐसी मिट्टी चाहिए जिसमें पानी निकासी हो, हल्की दोमट या रेतीली दोमट सबसे बढ़िया रहती है।
मिट्टी का प्रकार | उपयुक्तता |
बलुई दोमट | सबसे उत्तम |
काली मिट्टी | चल सकती है |
चिकनी मिट्टी | नहीं चलेगी, पानी भरने का खतरा |
pH मान | 5.5 से 7.5 तक सही |
मौसम की बात करें तो मक्का को गरम जलवायु पसंद है। लेकिन ज़्यादा गर्मी भी ठीक नहीं। बीज जमने के समय 20 से 30 डिग्री तापमान सही रहता है। ठंड में भी इसकी कुछ किस्में चल जाती हैं, लेकिन बरसात में सबसे ज्यादा फायदा मिलता है।
3. मक्का की उन्नत किस्में
आज के समय में मक्का की कई हाईब्रिड किस्में आ गई हैं जो कम समय में ज़्यादा उत्पादन देती हैं। नीचे टेबल में कुछ प्रमुख किस्में दी जा रही हैं:
किस्म का नाम | उत्पादन क्षमता (कु./हे.) | अवधि (दिनों में) | विशेषता |
HQPM-1 | 45–55 | 90–100 | प्रोटीन अधिक |
Bio-9637 | 50–60 | 100–110 | गर्मी में भी उपज |
DHM-117 | 55–65 | 100–105 | बीमारियों से सुरक्षित |
Ganga-11 | 40–50 | 95–100 | बहुपयोगी दाना |
4. खेत की तैयारी और बीज बोने का तरीका
मक्का की खेती के लिए खेत को अच्छी तरह से जोतना ज़रूरी है। कम से कम 2 गहरी जुताई और 1-2 बार देशी हल से गुड़ाई करें। फिर खेत को समतल कर दें ताकि पानी का बहाव ठीक से हो सके।
बीज बोते समय कतार से कतार की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी रखें। इससे पौधों को पर्याप्त जगह मिलती है बढ़ने के लिए। बीज को बोने से पहले फफूंदनाशक दवा (जैसे कार्बेन्डाजिम) से उपचारित करना न भूलें।
5. बुआई का सही समय और बीज की मात्रा
मक्का की खेती में बुआई का समय बहुत ही मायने रखता है, क्योंकि यही तय करता है कि फसल अच्छी होगी या मुश्किलों में फंस जाएगी। उत्तर भारत में मक्का की बुआई के लिए जून का दूसरा हफ्ता से लेकर जुलाई के पहले हफ्ते तक का समय सबसे बढ़िया माना जाता है। अगर आप खरीफ मौसम में बो रहे हैं, तो जैसे ही पहली बारिश हो, उसके बाद बुआई कर देना बेहतर होता है। वहीं रबी सीजन में बुआई अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है और गर्मियों के लिए फरवरी से मार्च का समय सही रहता है।
अब बात करें बीज की मात्रा की, तो एक एकड़ खेत के लिए आमतौर पर 8 से 10 किलो बीज की जरूरत होती है। लेकिन अगर आप संकर (hybrid) किस्म ले रहे हैं, तो 6 से 8 किलो बीज भी काफी हो सकता है। बीज की बुआई 60 x 20 सेंटीमीटर की दूरी पर करें ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पूरा जगह मिले। और हां, बुआई से पहले बीज को फफूंदनाशक (जैसे कैप्टान या कार्बेन्डाजिम) से उपचारित कर लेना चाहिए ताकि बीज सड़ने या रोग लगने से बचे। ये छोटी सी तैयारी आगे चलकर बड़ी पैदावार में बदल सकती है।
मौसम | बुआई का समय | बीज की मात्रा (किग्रा/हे.) |
खरीफ | जून से जुलाई | 18–20 |
रबी | अक्टूबर से नवंबर | 20–22 |
गर्मी | फरवरी से मार्च | 22–25 |
बीज की मात्रा और बुआई की गहराई (4-5 सेमी) का ध्यान रखें। गहराई ज़्यादा होगी तो अंकुरण में देरी होगी और कम होगी तो पक्षी उठा ले जाएंगे।
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6. खाद और उर्वरक का देसी फॉर्मूला
अगर मक्का की खेती में अच्छी पैदावार चाहिए, तो सबसे पहले मिट्टी को ताकतवर बनाना जरूरी है। अब बात आती है कि बाजार की महंगी खादें हर कोई नहीं खरीद सकता, और बार-बार रासायनिक खाद डालने से मिट्टी की जान भी खत्म होती जाती है। इसलिए देसी तरीका अपनाना ही सबसे बढ़िया होता है। खेत की आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ 8–10 टन गोबर की अच्छी सड़ी हुई खाद डाल दीजिए। इसके साथ अगर आप वर्मी कम्पोस्ट या खली-नीम की खली भी मिला दें, तो मिट्टी की उर्वरता दोगुनी हो जाती है।
अब बात करें उर्वरकों की तो देसी फॉर्मूले में आप जैविक घोल का इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे – जीवामृत (गोबर, गौमूत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी से बना घोल) को हफ्ते में एक बार छिड़काव के रूप में खेत में डालें। इससे ना सिर्फ पौधों को ज़रूरी पोषण मिलेगा, बल्कि फसल में रोग लगने की संभावना भी कम हो जाएगी। अगर यूरिया देनी हो, तो उसे भी नीम की खली या गोमूत्र के साथ मिलाकर छिड़काव करें, इससे नुकसान नहीं होगा और पौधे भी अच्छे बढ़ेंगे। देसी उपायों से जमीन की सेहत भी बनी रहती है और लागत भी कम आती है।
उर्वरक | मात्रा (प्रति हे.) | प्रयोग का समय |
नाइट्रोजन (N) | 135 कि.ग्रा | 3 बार में – बुआई, 30 और 60 दिन |
फास्फोरस (P) | 60 कि.ग्रा | बुआई के समय |
पोटाश (K) | 40 कि.ग्रा | बुआई के समय |
गोबर खाद | 8–10 टन | बुआई से पहले |
टिप: अगर आप जैविक किसान हैं, तो वर्मी कम्पोस्ट, नीम की खली, और जीवामृत का इस्तेमाल करें।
7. सिंचाई का सही तरीका
मक्का की फसल को पानी की सबसे ज़्यादा ज़रूरत पहले 40–50 दिन में होती है। पहली सिंचाई बुआई के 15 दिन बाद करें, फिर 10–12 दिन के अंतर पर।
कुल 4–5 सिंचाई काफी हैं। पर ध्यान रखें – पानी खेत में न रुके। मक्का पानी से घबरा जाता है।
8. रोग और कीट – पहचान और इलाज
मक्का की फसल में सबसे आम रोग और कीट ये होते हैं:
रोग/कीट | लक्षण | बचाव/इलाज |
पत्ता झुलसा | पत्तियों पर भूरे धब्बे | मैनकोजेब का छिड़काव |
तना छेदक | पौधे के बीच से टूट जाना | कार्बारिल दवा का छिड़काव |
मक्का की इल्ली | भुट्टे में छेद, सफेद रंग की इल्ली | ट्राइजोफॉस दवा का प्रयोग |
टिप: नीम तेल का छिड़काव भी कीटों को भगाने में कारगर है।

9. कटाई, भंडारण और बिक्री
मक्का की फसल जब पूरी तरह सूख जाए और दाने सख्त हो जाएं, तभी उसकी कटाई करें। आमतौर पर बुआई के 90–110 दिन बाद कटाई होती है।
कटाई के बाद भुट्टों को सुखाएं, फिर दानों को अलग करें। अच्छी तरह सुखाए गए दाने ही स्टोर करें – वरना फफूंद लग सकती है। भंडारण के लिए नमी 12% से कम होनी चाहिए।
10. मक्का की खेती से कमाई कैसे बढ़ाएं?
- आप मक्का के साथ मूंग या उरद जैसी दलहनी फसलें भी ले सकते हैं।
- भुट्टा बेचें, दाने भी बेचें और अगर जानवर पालते हैं तो पत्ते-डंठल से चारा बनाएं।
- मक्का के आटे की पैकिंग कर के लोकल मार्केट में बेचें – मार्जिन बढ़ जाएगा।
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10 रोचक फैक्ट्स – मक्का के बारे मे।
- मक्का दुनिया की सबसे ज़्यादा उपज वाली फसल है – गेहूं और धान से भी आगे।
- अमेरिका सबसे बड़ा मक्का उत्पादक है, भारत तीसरे नंबर पर है।
- एक मक्का का पौधा 6 से 10 फीट लंबा हो सकता है।
- मक्का के बीजों की रंगत पीली, सफेद, नीली और काली भी हो सकती है।
- पॉपकॉर्न भी मक्का से ही बनता है – पर खास किस्म से।
- मक्का से बायोफ्यूल, शराब और साबुन तक बनाए जाते हैं।
- मक्का के हर हिस्से का उपयोग होता है – जीरो वेस्ट फसल।
- भारत में सबसे ज्यादा मक्का की खेती कर्नाटक, बिहार, और मध्यप्रदेश में होती है।
- मक्का की खेती में महिलाओं की भागीदारी सबसे ज़्यादा होती है।
- वैज्ञानिकों ने अब जलवायु-प्रतिरोधी मक्का किस्में भी विकसित कर ली हैं।
निष्कर्ष – मक्का की खेती कैसे करें – देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी
भाई, अगर आप खेती में मुनाफा देखना चाहते हैं तो मक्का की खेती पर जरूर ध्यान दें। यह फसल कम समय में तैयार होती है, हर हिस्से से कमाई देती है, और तीनों मौसम में उगाई जा सकती है। ऊपर दी गई जानकारी के हिसाब से अगर आप खेती करें तो लागत भी बचेगी, उत्पादन भी अच्छा होगा और मंडी में अच्छे दाम भी मिलेंगे।
अगर चाहो तो मक्का को प्रोसेस करके उसका आटा, दाना, चारा सब कुछ बेच सकते हो – यानि सिर्फ एक फसल से कई कमाई के रास्ते। अब फैसला आपके हाथ में है – खेत को सोना बनाना है या यूं ही छोड़ देना है।
नमस्कार किसान भाइयों आप लोगों को यह आर्टिकल पढ़ाकर कैसा लगा है अगर अच्छा लगा हो तो दोस्तों के पास शेयर करो