नमस्कार किसान भाइयों, क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक ऐसा पेड़ भी होता है जो सोने से भी ज्यादा कीमती माना जाता है? जी हां, हम बात कर रहे हैं लाल चंदन का पेड़ की। गांव-देहात से लेकर शहरों तक, लाल चंदन का नाम सुनते ही लोग चौंक जाते हैं क्योंकि इसकी कीमत सुनकर किसी का भी दिल खुश हो सकता है। लेकिन सिर्फ पैसा ही नहीं, लाल चंदन कई मायनों में खास होता है। तो चलिए आज हम इसे दोस्ताना अंदाज में समझते हैं इसकी खासियत से लेकर खेती तक सब कुछ।
1. लाल चंदन क्या होता है और क्यों इतना खास है?
आपको बता दें कि लाल चंदन जिसे अंग्रेजी में Red Sandalwood कहते हैं, भारत के कुछ हिस्सों में ही मिलता है। इस पेड़ की लकड़ी लाल रंग की होती है और इसका इस्तेमाल आयुर्वेद, फर्नीचर और सजावट में होता है। इसकी खुशबू और रंग इतने खास होते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी भारी डिमांड रहती है। लाल चंदन को उगाना आसान नहीं होता, लेकिन एक बार तैयार हो जाए तो मालिक की किस्मत बदल सकता है।

- लाल चंदन का वैज्ञानिक नाम Pterocarpus santalinus है।
- इसे ‘रक्त चंदन’ भी कहा जाता है।
- अंतरराष्ट्रीय मार्केट में इसकी लकड़ी हजारों में बिकती है।
- इसकी लकड़ी का रंग जितना गहरा होगा, उतनी ज्यादा कीमत मिलती है।
- लाल चंदन के पेड़ की उम्र लंबी होती है और यह सालों-साल खड़ा रहता है।
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2. लाल चंदन की खेती कैसे की जाती है?
लाल चंदन की खेती करने के लिए खास जलवायु और मिट्टी चाहिए होती है। आमतौर पर इसे सूखी और पहाड़ी जमीन पर उगाया जाता है। इसकी बुवाई मानसून में करना ज्यादा सही रहता है। एक बार पौधा पकड़ ले तो ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती, बस शुरुआत में थोड़ा पानी और सुरक्षा चाहिए होती है।
- लाल चंदन को गर्म और सूखे इलाके ज्यादा पसंद आते हैं।
- इसमें ज्यादा खाद-पानी की जरूरत नहीं पड़ती।
- पौधे को जानवरों से बचाने के लिए चारदीवारी लगाना जरूरी है।
- पहली कटाई के लिए 15 से 20 साल लग जाते हैं।
- अच्छे रख-रखाव से पेड़ ज्यादा कीमती लकड़ी देता है।
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3. लाल चंदन के फायदे सिर्फ पैसा ही नहीं?
लाल चंदन को लोग सिर्फ पैसा कमाने का जरिया मानते हैं, लेकिन इसके औषधीय गुण भी कमाल के होते हैं। आयुर्वेद में लाल चंदन का इस्तेमाल त्वचा रोग, घाव भरने और खूबसूरती बढ़ाने में होता है। इसका पाउडर फेस पैक और साबुन में भी मिलाया जाता है।
- लाल चंदन से त्वचा की रंगत निखरती है।
- इसके पेस्ट से घाव जल्दी भरते हैं।
- चेहरे के पिंपल और दाग-धब्बे कम करने में मददगार है।
- कई हर्बल प्रोडक्ट में इसका पाउडर डाला जाता है।
- खुशबूदार अगरबत्ती और इत्र भी इससे बनाए जाते हैं।

4. लाल चंदन और सफेद चंदन में फर्क?
लोग अक्सर कंफ्यूज हो जाते हैं कि लाल चंदन और सफेद चंदन एक जैसे ही होते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। दोनों की लकड़ी, खुशबू और इस्तेमाल अलग-अलग होते हैं। नीचे दी गई Comparison Table से फर्क समझ लीजिए।
गुण | लाल चंदन | सफेद चंदन | कीमत | उपयोग | उगने की जगह |
रंग | गहरा लाल | हल्का पीला | लाल चंदन महंगा | सजावट, आयुर्वेद | आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु |
खुशबू | हल्की | तेज | सफेद चंदन सस्ता | धार्मिक कार्य | कर्नाटक, केरला |
बढ़ने की गति | धीमी | थोड़ी तेज | लाल चंदन की लकड़ी Export होती है | इत्र, धूप | जंगल और बागान |
लकड़ी की सख्ती | ज्यादा | कम | लाल चंदन दुर्लभ | फर्नीचर | पहाड़ी इलाका |
उम्र | 20-40 साल | 15-30 साल | दोनों पेड़ सालों साल चलते हैं | सौंदर्य प्रसाधन | उष्णकटिबंधीय क्षेत्र |
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5. लाल चंदन की तस्करी और कानूनी पहलू?
लाल चंदन की बढ़ती कीमत ने इसके अवैध कटान को भी बढ़ावा दिया है। कई जगहों पर बिना परमिट के लाल चंदन को काटना और बेचना गैरकानूनी है। सरकार ने इसके लिए सख्त नियम बनाए हैं ताकि इसके अवैध व्यापार पर रोक लगाई जा सके। अगर आप इसकी खेती करना चाहते हैं तो आपको सरकार से अनुमति लेनी होगी।
- लाल चंदन काटने के लिए परमिट लेना जरूरी है।
- तस्करी करने पर भारी जुर्माना और जेल भी हो सकती है।
- विदेशों में निर्यात करने के लिए लाइसेंस जरूरी है।
- सरकार ने कई जंगलों में सुरक्षा बढ़ाई है।
- कानूनी खेती करने वालों को सरकारी स्कीमों का फायदा मिलता है।
निष्कर्ष: लाल चंदन उगाओ, लेकिन कानूनी तरीके से?
तो दोस्तों, देखा आपने लाल चंदन का पेड़ सिर्फ एक पेड़ नहीं बल्कि कमाई और सेहत का खजाना है। बस जरूरत है सही जानकारी और सही तरीके से इसकी खेती करने की। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें और हमारी वेबसाइट पर ऐसे ही मजेदार और काम की बातें पढ़ते रहें। अगली बार फिर मिलेंगे एक नए टॉपिक के साथ।