प्रणाम किसान भाइयों, आज हम बात करेंगे एक ऐसी खेती के बारे में जो देखने में जितनी खूबसूरत लगती है, उतनी ही मुनाफा देने वाली भी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं अंगूर की खेती की, जिसे आम भाषा में ग्रेप फार्मिंग भी कहा जाता है। भारत के कई राज्यों में किसान अब पारंपरिक फसलों के साथ-साथ अंगूर उगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। अगर आप भी अंगूर की खेती शुरू करने की सोच रहे हैं
तो इस आर्टिकल में आपको इसके हर पहलू की आसान भाषा में पूरी जानकारी मिलेगी। चलिए शुरू करते हैं बिना कोई बात घुमाए।

अंगूर की खेती कैसे शुरू करें?
अंगूर की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको अपनी मिट्टी, जलवायु और जमीन की तैयारी पर ध्यान देना होता है। अच्छी गुणवत्ता वाले अंगूर पाने के लिए मिट्टी का उपजाऊ और पानी का बहाव सही होना जरूरी है। इसके अलावा पौधों की सही दूरी, बेलों को सहारा देने की व्यवस्था और मौसम के अनुसार देखभाल भी जरूरी होती है। अगर इन बातों का ध्यान रखें तो अंगूर की खेती से आप सालों तक मुनाफा कमा सकते हैं।
- खेती के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी सबसे सही मानी जाती है।
- बेलों को फैलने के लिए खुली और धूप वाली जगह होनी चाहिए।
- पानी का सही निकास होना जरूरी है ताकि जड़ें सड़ें नहीं।
- बेलों को सहारा देने के लिए मजबूत जाल या बांस का ढांचा बनाएं।
- शुरुआती लागत को सही तरीके से प्लान करें ताकि बाद में परेशानी न हो।
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अंगूर की उन्नत किस्में और उनकी खासियत:
भारत में अंगूर की कई किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें कुछ किस्में ताजा खाने के लिए होती हैं तो कुछ किस्में वाइन या ड्राईफ्रूट बनाने के लिए। सही किस्म का चुनाव आपके इलाके की जलवायु पर भी निर्भर करता है। कुछ लोकप्रिय किस्में हैं – थॉम्पसन सीडलैस, बैंगलोर ब्लैक और पन्नीर। उन्नत किस्में रोग प्रतिरोधक भी होती हैं जिससे पैदावार अच्छी मिलती है।
- थॉम्पसन सीडलैस बिना बीज वाला होता है और बाजार में अच्छी कीमत पर बिकता है।
- पन्नीर किस्म स्वाद में मीठी और रसदार होती है।
- बैंगलोर ब्लैक वाइन बनाने के लिए ज्यादा उपयोगी है।
- हर किस्म की अलग देखभाल और छंटाई तकनीक होती है।
- किस्म के अनुसार उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग भी अलग होता है।
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अंगूर की बेलों की देखभाल और रख-रखाव:
अंगूर की खेती में सबसे ज्यादा ध्यान बेलों की देखभाल पर देना होता है। बेलों को समय-समय पर काटना, सर्दी और गर्मी में सही तरीके से पानी देना, खरपतवार को हटाना और जरूरत के हिसाब से खाद डालना जरूरी होता है। अगर बेलों को सही तरीके से सहारा और जगह मिले तो उनकी पैदावार दोगुनी हो सकती है।
- बेलों की छंटाई साल में एक या दो बार करना जरूरी होता है।
- सूखी और बुरी शाखाओं को समय रहते हटा दें।
- ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाने से पानी की बचत होती है।
- जैविक खाद से मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है।
- बेलों पर कीट लगने पर तुरंत स्प्रे करें ताकि नुकसान न बढ़े।

अंगूर की खेती में मुनाफा और लागत:
तो किसान भाइयों अब बात करते हैं असली सवाल की – अंगूर की खेती से कितना मुनाफा होता है? तो दोस्तों, अगर आप एक एकड़ में अंगूर लगाते हैं तो अच्छी देखभाल से हर साल आप 12-15 टन तक अंगूर पा सकते हैं। बाजार में इसका रेट सीजन और क्वालिटी पर निर्भर करता है। औसतन एक एकड़ अंगूर की खेती पर करीब 1.5 से 2 लाख रुपए की लागत आती है, लेकिन मुनाफा 4 से 6 लाख तक जा सकता है।
जानकारी | विवरण |
एकड़ में उत्पादन | 12-15 टन प्रति वर्ष |
औसत लागत | 1.5-2 लाख रुपए प्रति एकड़ |
संभावित मुनाफा | 4-6 लाख रुपए प्रति एकड़ |
बाजार मांग | सीजनल पर डिमांड अधिक |
सीजन के हिसाब से अंगूर का रेट ऊपर-नीचे होता रहता है।- सीधा ठेकेदार या मंडी से जुड़कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
- प्रसंस्करण (रस, किशमिश) से भी एक्स्ट्रा कमाई होती है।
- स्थानीय बाजार और ऑनलाइन प्लेटफार्म से भी बिक्री कर सकते हैं।
- सरकारी सब्सिडी और ट्रेनिंग से लागत कम की जा सकती है।
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निष्कर्ष:
तो किसान भाइयों, अगर आप अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं तो अंगूर की खेती आपके लिए सही विकल्प हो सकती है। बस जरूरत है सही जानकारी, थोड़ी मेहनत और सही मार्केटिंग की। उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। ऐसे ही खेती से जुड़े और काम के आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर जरूर आते रहिए। आपका खेती का सफर सफल और फलदायक हो, यही हमारी शुभकामना है।