2025 धान की खेती में खरपतवार नियंत्रण क्यों जरूरी है?

नमस्कार किसान दोस्तों, जब हम धान बोते हैं तो साथ में कई तरह के अनचाहे घास-पात भी उग आते हैं। इन्हें ही खरपतवार कहते हैं। यह छोटे-छोटे दिखने वाले खरपतवार धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाते हैं और हमारी मेहनत पर पानी फेर देते हैं। यह पौधों से पोषक तत्व खींच लेते हैं और फसल कमजोर पड़ जाती है। इसलिए सही वक्त पर धान की खेती में खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी होता है धान की खेती में खरपतवार नियंत्रण क्यों जरूरी है?

जरूरी बातें:

  • खरपतवार खेत में पोषक तत्व छीनते हैं
  • फसल की बढ़वार रुक जाती है
  • पैदावार पर सीधा असर पड़ता है

तो चलिए जानते है खरपतवार नियंत्रण करने के कुछ उपाय और साथ ही हमे क्या करने चाहिए।

खरपतवार से होने वाला नुकसान क्या है?

अगर खरपतवार को समय रहते नहीं रोका गया तो धान की फसल की बढ़वार रुक जाती है। खेत की नमी जल्दी सूख जाती है और बीमारियां भी फैलने लगती हैं। कई बार तो यह खरपतवार खेत में कीड़ों को भी न्योता देते हैं। इससे मेहनत तो बढ़ती ही है, साथ ही पैदावार भी कम हो जाती है। इसलिए हर किसान को पता होना चाहिए कि इन्हें कैसे काबू में रखना है।

खरपतवार के नुकसान:

  • नमी जल्दी खत्म हो जाती है
  • कीट और बीमारियों को बढ़ावा मिलता है
  • पैदावार घटती है

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खेत में कौन-कौन से खरपतवार उगते हैं?

धान के खेत में मुख्य रूप से तीन तरह के खरपतवार मिलते हैं। पहला — घास वाला खरपतवार जैसे मोथा और दूब घास। दूसरा — चौड़ी पत्ती वाला जैसे बथुआ। तीसरा — पानी में उगने वाले जैसे जलकुंभी। हर खरपतवार का तरीका अलग होता है, इसलिए नियंत्रण का तरीका भी अलग रखना चाहिए। तभी जाकर पूरी फसल सुरक्षित रह पाएगी।

मुख्य खरपतवार:

  • घास वाले: मोथा, दूब घास
  • चौड़ी पत्ती वाले: बथुआ
  • पानी में उगने वाले: जलकुंभी

खरपतवार नियंत्रण के असरदार तरीके:

अब बात करते हैं कि कैसे इन खरपतवारों को रोका जाए ताकि फसल हरी-भरी रहे। सबसे पहले तो खेत की जुताई सही तरीके से करनी चाहिए। जितनी गहरी जुताई होगी, पुराने खरपतवार की जड़ें उतनी ही मिट्टी में दब जाएंगी। बुआई से पहले 2-3 बार जुताई कर लो तो उगने से पहले ही ज्यादा खरपतवार खत्म हो जाएंगे।

क्या करें:

  • गहरी जुताई जरूर करें
  • बुआई से पहले 2-3 बार जुताई करें
  • पुरानी जड़ों को मिट्टी में दबा दें

हाथ से निराई सबसे कारगर तरीका:

छोटे किसान भाई, तो सबसे ज्यादा हाथ से निराई का तरीका अपनाते हैं। बुआई के 20-25 दिन बाद खेत में जाकर खरपतवार उखाड़ना चाहिए। खास बात ये है कि बारिश के बाद मिट्टी नरम रहती है, तब निराई करना और भी आसान हो जाता है। हाथ से निकाले गए खरपतवार को खेत से बाहर फेंक दो, वरना फिर से उग सकते हैं।

हाथ से निराई टिप्स:

  • बुआई के 20-25 दिन बाद निराई करें
  • बारिश के बाद मिट्टी नरम रहती है
  • उखाड़े खरपतवार को बाहर फेंक दें

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पानी का स्तर बनाए रखना जरूरी:

धान की खेती में पानी की सही मात्रा भी खरपतवार को रोकने में मदद करती है। खेत में ज्यादा सूखा रहने से खरपतवार तेजी से उगते हैं। कोशिश करो कि खेत में हमेशा जरूरत के मुताबिक पानी बना रहे। जरूरत से ज्यादा पानी भी मत छोड़ो, नहीं तो फसल खराब हो सकती है। बस नमी का बैलेंस सही रहेगा तो खरपतवार कम उगेंगे।

पानी प्रबंधन:

  • खेत में नमी बनी रहे
  • ज्यादा सूखा न रहने दें
  • जरूरत से ज्यादा पानी भी न छोड़ें

खरपतवारनाशी दवा का सही इस्तेमाल:

अगर खरपतवार ज्यादा हो जाएं तो दवा छिड़काव करना पड़ता है। बुआई के 2-3 दिन बाद या अंकुरण के तुरंत बाद सही मात्रा में छिड़काव करो। बुटा-क्लोर या पेंडि-मिथालिन जैसी दवाइयाँ आम तौर पर इस्तेमाल होती हैं। दवा डालने से पहले खेत में थोड़ी नमी जरूर रखो और छिड़काव के बाद कुछ दिन पानी न छोड़ें ।

दवा इस्तेमाल टिप्स:

  • बुआई के 2-3 दिन बाद छिड़काव करें
  • खेत में नमी जरूरी है
  • छिड़काव के बाद तुरंत पानी न छोड़ें
धान की खेती में खरपतवार नियंत्रण क्यों जरूरी है

जैविक तरीका अपनाओ तो फायदा ही फायदा:

जिन किसान भाइयों को जैविक खेती पसंद है, उनके लिए हाथ से निराई, गीली घास से मल्चिंग और गहरी जुताई सबसे बेहतर तरीका है। खरपतवार को जानवरों के लिए चारे में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे खेत भी साफ रहेगा और गाय-भैंसों को भी हरा चारा मिलेगा। मतलब खरपतवार भी काम आ जाएंगे।

जैविक उपाय:

  • हाथ से निराई करें
  • मल्चिंग करें
  • जानवरों को चारा दें

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आखिर में यही कहना है

तो भाईयो, धान की खेती में खरपतवार नियंत्रण कोई बहुत बड़ा झंझट नहीं है, बस सही समय पर सही तरीका जरूरी है। खेत में सफाई, समय पर निराई और जरूरत के मुताबिक दवा — बस इतना कर लोगे तो पैदावार भी बढ़ेगी और मेहनत भी बच जाएगी।

उम्मीद है यह जानकारी पढ़कर अब आपको कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई तो अपने किसान दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे और हमे कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बताए।

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