828 धान की खेती: कम लागत, बढ़िया मुनाफा – देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी

किसान भाई, जैसा की आप जानते है कि भारत मे ज्यादा ज्यादा से लोग धान की खेती करते है अगर आप धान की खेती कर रहे हैं और सोच रहे हैं कि ऐसी किस्म कौन सी है जो कम समय में तैयार हो जाए, अच्छी खुशबू भी दे, दाना लंबा हो, और मंडी में अच्छे दाम भी मिले, तो एक नाम बार-बार सामने आता है – 828 धान, जिसे वैज्ञानिक तौर पर Pusa Basmati 828 कहा जाता है। यह किस्म खासतौर पर उत्तर भारत के किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रही है।

यह भी जानें – धान की खेती में उर्वरकों का फंडा – मुनाफे का सीक्रेट, देसी अंदाज में। 

आज इस आर्टिकल में हम इसी किस्म की खेती से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात को आसान भाषा में समझेंगे। हर पहलू को विस्तार से जानेंगे – जैसे कि मिट्टी कैसी हो, बीज कितनी मात्रा में लगाना है, कौन-सी खाद देनी है, कितना खर्च आएगा और मुनाफा कितना होगा।

828 धान की खेती: कम लागत, बढ़िया मुनाफा – देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी

1. 828 धान क्या है – क्यों है इतना खास

आपको को बता दें कि 828 धान, यानी पूसा बासमती 828, एक उच्च गुणवत्ता वाली बासमती किस्म है जिसे IARI (Indian Agricultural Research Institute) पूसा, दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म विशेष रूप से उन किसानों के लिए बनाई गई है जो कम समय में ज़्यादा उत्पादन और मुनाफा चाहते हैं, और जो बासमती धान की खुशबू और दाने की लंबाई को लेकर समझौता नहीं करना चाहते।

यह किस्म रोगों से लड़ने की क्षमता रखती है, कम पानी में भी बढ़िया उत्पादन देती है, और कटाई से लेकर बिक्री तक हर चरण में लाभदायक साबित होती है।

 एक नजर में इसकी खासियतें टेबल में:

विशेषताविवरण
किस्म का नामपूसा बासमती 828
फसल अवधि120–125 दिन
औसत उपज22–25 क्विंटल प्रति एकड़
दाने की लंबाईपकने के बाद 8.2 मिमी
सुगंधबासमती क्वालिटी की
मंडी में मांगउच्च
रोग प्रतिरोधक क्षमताब्लास्ट व झुलसा से सुरक्षा

2. इसके लिए मिट्टी कैसी होनी चाहिए

किसान भाइयों 828 धान की खेती के लिए मिट्टी बहुत अहम रोल निभाती है। यह किस्म वैसे तो लगभग हर प्रकार की जमीन में हो सकती है, लेकिन सर्वोत्तम उपज के लिए खास मिट्टी की जरूरत होती है। सबसे अच्छी मिट्टी दोमट या चिकनी दोमट मानी जाती है जिसमें नमी बनी रहती है, लेकिन पानी ज्यादा समय तक रुका न रहे। ऐसी मिट्टी में जड़ों को अच्छी ऑक्सीजन मिलती है और पोषक तत्व भी आसानी से मिलते हैं। इसका pH स्तर 6.5 से 7.5 के बीच हो तो इस किस्म को सबसे अनुकूल माहौल मिलता है। बहुत ज्यादा खारी या क्षारीय मिट्टी से बचना चाहिए।

 मिट्टी से जुड़ी जानकारी टेबल में:

मिट्टी का प्रकारअनुकूलताpH सीमा
दोमट मिट्टीसबसे बेहतर6.5 – 7.5
बलुई दोमट मिट्टीउपयुक्त6.8 – 7.2
भारी चिकनी मिट्टीसीमित उपयोग7.0 – 8.0

3. खेत की तैयारी – शुरुआत की पक्की नींव

828 धान की अच्छी पैदावार के लिए खेत की सही तैयारी बहुत जरूरी है। आप जैसे ही पहली बरसात होते देखो, खेत की तैयारी शुरू कर सकते हैं। सबसे पहले एक गहरी जुताई कर लो ताकि जड़ वाले कीट मिट्टी के नीचे ही खत्म हो जाएं। उसके बाद 2-3 बार हैरो चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लो। अंतिम जुताई के समय अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट मिला देना चाहिए, जिससे मिट्टी में नमी और ताकत दोनों बनी रहे।

खेत को समतल करना बेहद जरूरी है ताकि पानी बराबर फैले। ज्यादा गहराई या ऊंचाई वाले खेतों में पानी जमा होने या बह जाने का खतरा रहता है जिससे पौधे खराब हो सकते हैं।

यह भी जानें – 6444 गोल्ड धान की खेती – मुनाफे का धमाका, देसी अंदाज में। 

4. बीज का चुनाव और बुआई का तरीका

828 धान की अच्छी पैदावार के लिए सबसे पहला कदम होता है – सही बीज का चुनाव। अगर बीज ही खराब है, तो मेहनत और संसाधन सब बेकार चले जाते हैं। इसलिए हमेशा प्रमाणित और रोग-मुक्त बीज का चयन करें। क्षेत्र के अनुसार बीज का चुनाव करना चाहिए, जैसे कि – पानी की उपलब्धता, मौसम और मिट्टी को ध्यान में रखते हुए। उदाहरण के लिए, अगर आपका इलाका कम पानी वाला है, तो वहां की सूखा सहनशील किस्में जैसे ‘सहीबाग 65’ या ‘सविता’ ज्यादा उपयुक्त रहेंगी। वहीं जलभराव वाले क्षेत्रों में ऐसी किस्में चलती हैं जो ज्यादा पानी सह सकें, जैसे ‘MTU-7029’ या ‘सार्जु 52’।

बुआई का तरीका खेत की तैयारी और मौसम पर निर्भर करता है। दो तरीके ज्यादा प्रचलित हैं – छिटकवा विधि और रोपाई विधि। छिटकवा विधि में सीधे बीज खेत में फैका जाता है, जो कम मेहनत वाला तरीका है लेकिन इसमें पौधों का संतुलन कम रहता है। वहीं, रोपाई विधि में पहले नर्सरी तैयार की जाती है, और फिर उसमें से पौधों को निकालकर मुख्य खेत में रोपा जाता है। यह तरीका थोड़ी मेहनत वाला ज़रूर है, लेकिन पैदावार अच्छी होती है क्योंकि पौधे बराबर दूरी पर होते हैं और खरपतवार पर भी नियंत्रण रहता है।

नर्सरी बनाते समय ध्यान देने योग्य बातें

  • नर्सरी के लिए 5 से 6 किलो बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होते हैं।
  • बीज को बोने से पहले फफूंदनाशक दवा में भिगोकर उपचार जरूर कर लें।
  • नर्सरी में हल्की सिंचाई रोजाना दें और खरपतवार से बचाव करें।

25–30 दिन बाद जब पौधा 4–5 इंच का हो जाए, तब रोपाई के लिए तैयार माना जाता है।

 बीज और बुआई की जानकारी:

कामविवरण
बीज दर5–6 किलो प्रति एकड़
नर्सरी का समय15 जून से 10 जुलाई
रोपाई की दूरी20 x 15 सेमी
रोपाई का समयजुलाई के दूसरे सप्ताह से

5. सिंचाई – समय पर पानी, बेहतर उत्पादन

828 धान को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन सही समय पर सिंचाई बहुत जरूरी है।

पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करनी चाहिए। उसके बाद मिट्टी की नमी के अनुसार हर 7–10 दिन पर सिंचाई करते रहना चाहिए।

सबसे जरूरी सिंचाई फूल निकलने और दाना बनने के समय करनी चाहिए। अगर उस समय पानी की कमी हुई तो दाने अधपके रह जाएंगे।

सिंचाई का शेड्यूल:

चरणसिंचाई का समय
पहली सिंचाईरोपाई के तुरंत बाद
दूसरी से चौथीहर 8–10 दिन पर
विशेष सिंचाईफूल आने और दाना बनने पर

6. खाद प्रबंधन – उर्वरक का संतुलित उपयोग

828 धान को भरपूर उत्पादन देने के लिए संतुलित खाद देना जरूरी है। रासायनिक खाद के साथ जैविक खाद का प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।

गोबर की खाद खेत तैयार करते समय डालें। यूरिया तीन हिस्सों में दें – रोपाई के समय, कलेवा के समय और बालियों के आने पर।

 उर्वरक की तालिका:

खाद का नाममात्रा प्रति एकड़उपयोग का समय
गोबर खाद8–10 टनअंतिम जुताई में
डीएपी (DAP)25 किलोखेत तैयार करते समय
यूरिया (Urea)50–60 किलो3 हिस्सों में
पोटाश (MOP)20 किलोरोपाई के 15–20 दिन बाद
जिंक सल्फेट5 किलोपौधों की कमजोरी पर

7. रोग और कीट नियंत्रण – फसल को सुरक्षित रखें

828 धान में वैसे तो रोगों की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर है, लेकिन मौसम बिगड़ जाए या खेत की नमी ज्यादा हो तो कुछ रोग लग सकते हैं।

 प्रमुख रोग और उपाय:

रोग का नामपहचानसमाधान
ब्लास्ट रोगपत्तों पर भूरे रंग के धब्बेट्राइसाइक्लाज़ोल का छिड़काव
झुलसा रोगपत्ते मुरझा जाते हैंकॉपर ऑक्सीक्लोराइड का प्रयोग
तना छेदकतना बीच से टूट जाता हैक्लोरपायरीफॉस का छिड़काव

देसी उपाय में नीम का घोल, लहसुन और गौमूत्र का मिश्रण भी फायदेमंद होता है।

8. कटाई, भंडारण और आमदनी का हिसाब

जब बालियों का रंग पीला पड़ने लगे और 90 प्रतिशत दाने पके लगें, तब कटाई के लिए बिल्कुल सही समय होता है।

कटाई के बाद फसल को धूप में अच्छी तरह सुखाना जरूरी होता है। भंडारण के लिए दानों में 12 प्रतिशत से कम नमी होनी चाहिए ताकि फसल सुरक्षित रहे।

 लागत और कमाई का विश्लेषण:

मदलागत अनुमान प्रति एकड़
बीज₹600
खाद व दवाइयाँ₹2500
मजदूरी और सिंचाई₹3000
अन्य खर्च₹1000
कुल खर्च₹7100
उत्पादन (औसतन)22–25 क्विंटल
बाजार भाव₹3,500 – ₹6,000/क्विंटल
संभावित कमाई₹80,000 तक

9. 828 धान क्यों अपनाएं – 10 बड़े फायदे

  1. जल्दी पकने वाली किस्म
  2. कम पानी की जरूरत
  3. रोगों से अच्छी सुरक्षा
  4. बासमती जैसी खुशबू
  5. लंबा और चमकदार दाना
  6. मंडी और निर्यात दोनों में मांग
  7. गिरने की समस्या नहीं
  8. पैदावार स्थिर और अच्छी
  9. भंडारण में टिकाऊ
  10. मंडी में ऊंचा रेट

10. 828 धान से जुड़े 10 रोचक तथ्य 

यह भी जानें –  1718 धान की खेती: कम समय, ज्यादा मुनाफा – देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी 

अगर तुम सोचते हो कि धान सिर्फ खेत में उगने वाला एक अनाज है, तो जरा रुक जाओ – इसके पीछे की दुनिया बड़ी मजेदार है। क्या तुम्हें पता है कि धान दुनिया की आधी आबादी का मुख्य खाना है? भारत, चीन, इंडोनेशिया जैसे देशों में तो धान ही लोगों की थाली का राजा है। एक एकड़ धान की खेती से लगभग 2 से 3 टन चावल निकल सकता है, जो पूरे साल एक परिवार का पेट भर सकता है। और मजेदार बात ये है कि दुनिया में 40,000 से ज्यादा किस्मों के धान पाए जाते हैं – कुछ लाल, कुछ काले, कुछ सुगंधित, तो कुछ जंगली भी!

धान सिर्फ पेट ही नहीं भरता, ये पर्यावरण को भी काफी कुछ देता है। जैसे – धान के खेत कार्बन को सोखने का काम करते हैं और कई जगहों पर जलीय जीवों का घर बन जाते हैं। जापान में तो धान की खेती के साथ मछलियाँ भी पाली जाती हैं, जिससे किसान को डबल फायदा होता है। भारत में उगाई जाने वाली बासमती चावल की खुशबू तो पूरी दुनिया में मशहूर है। और हां, एक खास बात – पुराने समय में धान को धन का प्रतीक माना जाता था, और कई जगहों पर शादी-ब्याह में धान के दानों का इस्तेमाल शुभ माना जाता है।

  1. इस किस्म की खुशबू पकने के बाद और निखरती है
  2. पकने के बाद दाना 3 गुना लंबा दिखता है
  3. होटल इंडस्ट्री में इस धान की काफी डिमांड है
  4. दाने पकने के बाद नहीं टूटते
  5. बारिश के मौसम में भी फसल गिरती नहीं
  6. यह किस्म हल्की मिट्टी में भी अच्छी उपज देती है
  7. मंडी में कभी-कभी बोली लगती है, रेट तय नहीं होता
  8. पकने के बाद भी इसमें चावल चमकदार रहता है
  9. भंडारण के बाद इसकी खुशबू बनी रहती है
  10. इसका cooking loss सबसे कम है

निष्कर्ष:828 धान की खेती: कम लागत, बढ़िया मुनाफा – देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी

828 धान की खेती एक ऐसा विकल्प है जो कम लागत, कम समय और कम मेहनत में भी अच्छी आमदनी दिला सकती है। इसकी खासियत यह है कि इसकी खेती हर किसान कर सकता है – चाहे छोटा हो या बड़ा।
अगर आप भी धान में बदलाव चाहते हैं और अपने खेत से ज़्यादा मुनाफा लेना चाहते हैं, तो 828 धान आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है।

नमस्कार किसान भाइयों आप लोगों को यह आर्टिकल पढ़ाकर कैसा लगा है अगर अच्छा लगा हो तो दोस्तों के पास शेयर करो

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top