सिंचाई क्या है, जानिए भारत में की जानेवाली सिंचाई की विधियाँ को | what is methods of irrigation in hindi
Irrigation in hindi : किसी भी फसल का उत्पादन उस फसल को समय पर दी जाने वाली सिंचाई पर निर्भर करता है। किसान भले ही खेती में कितनी भी उन्नत किस्मों के बीजों व कृषि रासायनों का प्रयोग कर ले परन्तु उन फसलों में उचित समय व उचित मात्रा में अगर सिंचाई नही कर पाता है तो उस फसल से वह अच्छा उत्पादन नहीं प्राप्त कर सकता। अब प्रश्न उठता है कि आखिर यह सिंचाई क्या है? तो चलिए इस आर्टिकल मे हम विस्तार से जानते है कि सिंचाई क्या है?, सिंचाई की प्रमुख विधियाँ (methods of irrigation in hindi) के साथ ही साथ हम जानते है सिंचाई का अर्थ, परिभाषा एवं फसलों में होने वाले इसके महत्व
सिंचाई क्या है ? | what is irrigation in hindi ? :
पौधों के वृद्धि एवं विकास में पानी एक महत्वपूर्ण घटक है। बिना पानी के किसी भी फसल का उत्पादन करना संभव ही नहीं है विशेषकर भारत जैसे कृषि प्रधान देशो में जहां पर मानसून की अनियमितता पाई जाती है तथा देश की लगभग 14.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर कृषि का कार्य होता हो। पौधों की वृद्धि एवं विकास के समय वर्षा की अनियमितता तथा कम मात्रा में होने के कारण पौधों को कृत्रिम माध्यम से पानी की आवश्यकता की पूर्ति करना जरूरी हो जाता है। अतः पौधों को इन्हीं जरूरतों के ध्यान में रखते हुए कृत्रिम रूप में पानी देने की यही क्रिया सिंचाई (Irrigation) कहलाती है। एक अनुमान के अनुसार पूरी दुनिया में लगभग 250 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई के माध्यम से फसलों को पानी की पूर्ति की जाती है।
सिंचाई की परिभाषा | irrigation definition in hindi :
फसलों की पानी की जरुरतों को पूर्ति करने हेतु प्राकृतिक रूप से होने वाली बारिशो के अतरिक्त कृत्रिम रुप से पानी देने की प्रक्रिया को सिंचाई कहते है।
सिंचाई का महत्व | importance of irrigation in hindi :
पौधों के शरीर संरचना मे लगभग 90% से भी अधिक मात्रा में पानी मौजूद होता है। यह पौधों के कोशिका द्रव्य एवं चयापचय क्रियाओं का महत्वपूर्ण अवयव होता है। पौधों के समस्त दैनिक क्रियाओं, ऊष्मा विनिमय एवं प्रकाश संश्लेषण के साथ ही साथ पोषक तत्वों को पौधों के विभिन्न भागों में स्थानांतरण करने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को करता है। इसकी कमी पौधों के वृद्धि, विकास एवं प्रजनन क्षमताओं को प्रभावित करते है। अतः जब प्राकृतिक रूप से बारिश के द्वारा पौधे अपनी पानी की जरूरतो को पूरी नहीं कर पाते तो इन फसलों को सिंचाई के माध्यम से पानी की पूर्ति करना अनिवार्य हो जाता हैं।
सिंचाई की विधियाँ | methods of irrigation in hindi :
पौधे अपने वृद्धि एवं विकास के लिए अपनी पानी की जरुरतों की पूर्ति हेतु मृदा से पानी का अवशोषण करते रहते है। पानी का यह अवशोषण निरंतर चलता रहता है। जिसके फलस्वरूप मृदा में पानी का ह्रास होता रहता है। मृदा में पानी के इस तरह के ह्रास के कारण पौधों की बढ़वार पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिससे उत्पादन में भारी कमी हो जाती है। अतः मृदा मे पानी की इस ह्रास की पूर्ति के लिए हम फसलों में निम्नलिखित सिंचाई की विधियो methods of irrigation in hindi से पानी की पूर्ति करते है।
(A). सतह सिंचाई | surface irrigation in hindi :
यह सबसे प्राचीन, आसान एवं सस्ता सिंचाई की विधियों (methods of irrigation) मे से एक है। जिसमें पूरे खेत को सिंचाई पानी से भर दिया जाता है। सिंचाई की इस विधि को गुरुत्वीय सिंचाई भी कहा जाता है। इस विधि में सिंचाई के पानी को ऊंचाई पर नालीयों मे खोल दिया जाता है सिंचाई का यह पानी गुरुत्वाकर्षण बल एवं जल के तरल स्थैतिक दबाव द्वारा संपूर्ण खेत में फैल जाता है।
देश के लगभग 95% भाग में सिंचाई की इसी विधि (methods of irrigation) का उपयोग किया जाता है हालांकि सिंचाई की इस विधि को सबसे अकुशल तरीका भी माना जाता है क्योंकि सिंचाई की इस विधि से इस्तेमाल पानी का लगभग 90% से भी अधिक पानी व्यर्थ चला जाता है और सिर्फ 10% भाग ही पौधों द्वारा और अवशोषण किया जाता है।
(B). टपक अथवा बूंद बूंद सिंचाई | drip irrigation in hindi :
इजराइल वाला विकसित सिंचाई की वह उन्नत एवं आधुनिक विधि जिसमें सिंचाई जल को पाइप के माध्यम से पौधों की जड़ों में उसके आवश्यकता अनुसार बूंद बूंद करके दिया जाता है। यह सिंचाई का सबसे कुशल तरीकों में से एक माना जाता है क्योंकि इस विधि से सिर्फ फसलों के जड क्षेत्रों में ही सिंचाई की जाती है जहां पर फसलों की पानी की सबसे ज्यादा कमी महसूस होती है। सिंचाई की इस विधि (methods of irrigation) की सबसे बड़ी खासियत पानी के साथ घुलनशील उर्वरकों एवं कृषि रसायनों को कम खर्च के साथ पौधों के जल क्षेत्रों तक आसानी से पहुंचाया जा सकता हैं।
(C). बौछार सिंचाई | sprinkler irrigation in hindi :
सिंचाई के इस आधुनिक विधि में पौधों को पानी की पूर्ति प्रकृति रूप से होने वाले बारिशों के तर्ज पर हवा में फैला कर दिया जाता है जो बाद में पौधों तथा मृदा सतह पर बारिश के रूप में गिरता रहता है। इस विधि में सिंचाई जल को पंप करते एक दबाव में पाइप की सहायता से छिड़काव स्थल तक ले जाया जाता है तथा दबाव के कारण पानी बारिश के रूप में खेत में छिडका जाता है। सिंचाई की इस विधि (methods of irrigation) का प्रयोग उन क्षेत्रों में किया जाता है जिन क्षेत्रों में मृदा ऊंची-नीची, पानी की उपलब्धता बहुत कम होती है। अधिक पैसे देने वाली नगदी फसलें जैसे- चाय, कॉफी व बागानो आदि के लिए सिंचाई की यह विधि अधिक उपयोग मानी जाती है।
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