सहकारी खेती क्या है, इसका अर्थ, परिभाषा एवं लाभ | what is cooperative farming in india in hindi

सहकारी खेती क्या है ?, what is cooperative farming, आखिर कैसे इस प्रकार की अधिक से अधिक लाभ उठा सकते है छोटी जोत वाले किसान, आखिर क्या है सहकारी खेती का अर्थ एवं परिभाषा यदि आप के मन मे भी इसी प्रकार के प्रश्न उठ रहे है तो आप सही आर्टिकल पढ़ रहे है क्यों कि इस आर्टिकल मे हम सहकारी खेती से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारीयों को शेयर करने वाले है। तो चलिए सबसे पहले बात कर लेते है कि आखिर क्या है सहकारी खेती ( what is cooperative farming in hindi )

सहकारी खेती क्या है ? | what is cooperative farming in hindi : 

हमारे देश में लगभग 76% से भी अधिक किसान परिवार 2 हेक्टेयर या उससे कम कृषि जोतो से ही अपना आजीविका चलाते है। इन कृषि जोतो से किसानों को उस अनुपात में लाभ नही मिल पाता कि वे अपना व अपने परिवार को एक अच्छा जीवनशैली दे सके। इसका एक प्रमुख कारण किसान इन छोटी जोत वाले खेतो मे उस अनुपात में कृषि संसाधन व अन्य निवेशो की पूर्ति नही कर पाते कि इन खेतो से अच्छी उपज प्राप्त हो सके। यदि यही किसान आपस मे संगठन बनाकर अपनी भूमि, श्रम, संसाधन व अन्य निवेशो को जमा करके संयुक्त रूप से खेती करें तो इसका परिणाम गुणात्मक तौर पर सामने आता है। इसके साथ ही साथ खेती मे जोखिम मे कमी आने पर अधिक से अधिक लाभ भी प्राप्त होता है। खेती की इस पद्वति को ही सहकारी खेती कहते है।

सहकारी खेती का अर्थ | cooperative farming meaning in hindi :

सहकारी खेती का अर्थ जानने के लिए सबसे पहले हमे सहकारिता का अर्थ को समझना होगा।
सहकारिता शब्द “सह + कारिता” नामक दो शब्दों से मिलकर बना है। इसमे “सह” का शाब्दिक अर्थ साथ-साथ जबकि “कारिता” शब्द का शाब्दिक अर्थ कार्य करने से लगाया जाता है। अर्थात शाब्दिक अर्थो मे देखा जाये सहकारिता का अर्थ मिल-जुल कर साथ-साथ काम करना है।  सहकारिता का अर्थ जान लेने के बाद सहकारी खेती का अर्थ कितना आसान हो जाता है। अर्थात सहकारी खेती कृषि का वह संगठन है जिसके सदस्य समानता के आधार पर पारस्परिक हितो के लिए आपस मे मिलजुल कर कृषि का कार्य करते है। कृषि की यह विधि ‘एक सबके लिए और सब एक के लिए’ की भावना पर आधारित एक जीवन पद्वति है।

इसे भी पढ़ें : कृषि क्या है?, कृषि का अर्थ एवं परिभाषा

सहकारी खेती की परिभाषा | cooperative farming definition in hindi : 

सहकारी खेती को हम निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित कर सकते है
(A). सहकारी खेती एक ऐसा संगठन है जिसमें किसान, मनुष्य के रूप में समानता के आधार पर अपनी आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ही खेती करते हैं।
(B). सहकारी खेती का अभिप्राय उस कृषि पद्धति से है जहां पर कृषि कार्य का संचालन एक निश्चित व्यक्तियों के द्वारा ना होकर बहुत से व्यक्तियों का संगठन बनाकर की जाती है।
(C). कृषि की इस पद्धति में छोटे-छोटे व्यक्तिगत जोतो वाले खेतों को आपस में मिलाकर एक बड़े जोतो में बदल कर सहकारी रूप से आधुनिक खेती की जाती है। 
Note : सहकारी खेती में छोटे किसान अपने खेतों का मालिकाना हक बनाए रखते हुए अपने अन्य योगदानों के साथ भूखंड के आकार व मूल्यों के आधार पर कृषि से प्राप्त लाभों को अपने सदस्य किसानों के बीच प्रतिशत के रूप में प्राप्त करते रहते हैं।

सहकारी खेती की विशेषताएं | features of cooperative farming in india in hindi :

(A). लघु एवं सीमांत किसानो द्वारा स्थापित : यह सहकारी खेती की सबसे प्रमुख विशेषताओ मे से एक है। कृषि की इस पद्वति की स्थापना ही ऐसे किसानों के द्वारा की जाती है जिसके पास कुल कृषि योग्य भूमि कम हो। वे किसान जिनके पास कृषि संसाधनों की कमी होती है आपस मे मिलजुल कर कृषि कार्य को करते है साथ ही साथ अपना व अपने सदस्यों के विकास के भागिदार बनते हैं।

(B). न्यूनतम सदस्यों की बाध्यता : किसानों की इस संगठन मे न्यूनतम सदस्यों की बाध्यता पाई जाती है। सहकारी खेती का संगठन तभी बनता है जब इस संगठन मे कम से कम दस किसान होते है। ये सभी किसान व्यस्क होने चाहिए तथा ये सभी किसान आपस मे अपने कृषि योग्य भूमि के अनुबंध करने को तैयार हो।

(C). प्रजातांत्रिक प्रबंधन की ब्यवस्था : खेती की इस विधि की स्थापना प्रजातांत्रिक पद्वति पर की जाती है। संगठन के हर एक सदस्य को वोट देने का पूर्ण अधिकार होता हैं।

(D). किसानों की ऐच्छिक सदस्यता : सहकारी खेती की एक प्रमुख विशेषता किसानों की ऐच्छिक सदस्यता भी है। संगठन मे जुडने या ना जुड़ने के लिए किसान स्वत्रंत होते है। किसान अपनी इच्छा अनुसार इस संगठन में जुड़ते है। तथा अपनी इच्छा अनुसार जब चाहे तब इस संगठन से अलग हो सकते है।

(E). सामान्य हित़ की रक्षा : कृषि की इस पद्वति का मूल मंत्र ही ‘एक सबके लिए और सब एक के लिए’ है। इस संगठन के सदस्य समानता तथा पारस्परिक सहयोग की भावना से खेती करते है। कृषि से प्राप्त लाभांशो को भाईचारा अनुसार आपस मे बांट लेते है किसानों की इस भाईचारे के वजह से संगठन के सभी सदस्यों सामान्य हितो की रक्षा होती है।

(F). पारस्परिक सहयोग की भावनाओं का विकास : सहकारी खेती की एक और प्रमुख विशेषता संगठन के सभी सदस्यों मे पारस्परिक सहयोग भी है। यह संगठन छोटे-बडे, अमीर-गरीब किसानों मे कोई भेदभाव नहीं करता। वे सभी किसान मिलजुल कर सामुहिक रूप से ब्यक्तिगत स्वार्थ से पड़े सामुहिक खेती करते हैं।

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