नमस्कार किसान भाइयों आज हम आपको ट्रैक्टर लेने के लिए कितना पैसा जमा करना पड़ेगा। किसान भाईयों के लिए ट्रैक्टर सिर्फ एक मशीन नहीं है, बल्कि खेती का सबसे बड़ा सहारा है। पहले के समय में बैल से हल चलाना पड़ता था, लेकिन आज ट्रैक्टर ने खेती को आसान और तेज़ बना दिया है। अब सवाल आता हैट्रैक्टर लेने के लिए कितना पैसा जमा करना पड़ेगा।
कि अगर कोई किसान ट्रैक्टर खरीदना चाहता है तो उसे कितना पैसा जमा करना पड़ेगा? यहीं पर सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन रहता है। हर कोई सोचता है कि ट्रैक्टर लेने के लिए पूरी कीमत जमा करनी पड़ेगी, लेकिन असलियत कुछ और है।
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ट्रैक्टर खरीदने की प्रक्रिया ऐसी है कि इसमें किसान को तुरंत पूरी रकम नहीं देनी होती। किसान चाहे तो बैंक या फाइनेंस कंपनी से ट्रैक्टर लोन ले सकता है। इस लोन पर कुछ डाउन पेमेंट यानी शुरुआती रकम देनी पड़ती है और बाकी की राशि किस्तों में चुकानी पड़ती है। अब यह डाउन पेमेंट कितना होगा और किस हिसाब से तय होता है, यही सबसे अहम सवाल है।
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डाउन पेमेंट कितना देना पड़ता है?
जब भी आप ट्रैक्टर खरीदने जाते हो तो फाइनेंस कंपनी या बैंक आपसे पहले कुछ पैसा एडवांस यानी डाउन पेमेंट के तौर पर मांगते हैं। यह डाउन पेमेंट ट्रैक्टर की कुल कीमत का 10% से 25% तक होता है।
उदाहरण के लिए –
- अगर ट्रैक्टर की कीमत 7 लाख रुपये है और बैंक 80% तक फाइनेंस कर रहा है, तो किसान को 1.4 लाख रुपये डाउन पेमेंट के तौर पर देना पड़ेगा।
- वहीं अगर बैंक 90% तक फाइनेंस कर देता है, तो किसान को सिर्फ 70-80 हज़ार रुपये तक एडवांस देना पड़ेगा।
मतलब यह कि जितनी अच्छी आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और बैंक से रिलेशन होंगे, उतना ही कम डाउन पेमेंट आपको देना पड़ेगा।
बैंक और फाइनेंस कंपनियां पैसा कैसे तय करती हैं?
हर बैंक और फाइनेंस कंपनी की अपनी गाइडलाइन होती है। वे देखते हैं कि किसान की जमीन कितनी है, उसकी आमदनी कितनी है, पहले से कोई लोन बाकी तो नहीं है, और क्रेडिट स्कोर कैसा है। इन सबके आधार पर तय होता है कि बैंक ट्रैक्टर की कितनी कीमत तक फाइनेंस करेगा।
- जिन किसानों की जमीन ज्यादा है और जिनकी कमाई अच्छी है, उन्हें बैंक आसानी से 90% तक लोन दे देता है।
- छोटे किसानों को आमतौर पर 70-80% तक का लोन ही मिलता है।
यानी ट्रैक्टर खरीदते वक्त यह जरूरी है कि आप अपनी आर्थिक स्थिति और बैंक की शर्तें अच्छे से समझ लो।
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ट्रैक्टर खरीदने के लिए लोन की प्रक्रिया
ट्रैक्टर लेने के लिए सबसे आसान तरीका है ट्रैक्टर लोन। इसमें बैंक या फाइनेंस कंपनी किसान को ट्रैक्टर की कीमत का बड़ा हिस्सा देती है और किसान छोटे-छोटे EMI में वह रकम चुकाता है।
लोन लेने की प्रक्रिया इस तरह है:
- किसान को आधार कार्ड, पैन कार्ड, जमीन के कागज, बैंक पासबुक जैसे डॉक्यूमेंट देने होते हैं।
- बैंक या फाइनेंस कंपनी आपकी जमीन और आमदनी का आकलन करती है।
- आपकी क्रेडिट हिस्ट्री चेक करने के बाद लोन अप्रूव होता है।
- फिर आपको डाउन पेमेंट देना होता है और बाकी की राशि बैंक सीधे ट्रैक्टर कंपनी को देता है।
इस तरह किसान आसानी से नया ट्रैक्टर ले सकता है।
सरकार की तरफ से सब्सिडी का सहारा
किसानों के लिए सरकार भी कई योजनाएं चलाती है, जिनमें ट्रैक्टर खरीदने पर 30% से 50% तक सब्सिडी मिल जाती है। यह सब्सिडी राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं पर निर्भर करती है।
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उदाहरण के लिए –
- प्रधानमंत्री कृषि यंत्र योजना के तहत किसानों को ट्रैक्टर खरीदने पर अच्छी खासी सब्सिडी मिल सकती है।
- कुछ राज्यों में अनुसूचित जाति, जनजाति या महिला किसानों को ज्यादा सब्सिडी मिलती है।
अगर किसान इन योजनाओं की जानकारी ले और आवेदन करे, तो उसे डाउन पेमेंट के लिए ज्यादा पैसे जमा करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
EMI कैसे तय होती है?
डाउन पेमेंट देने के बाद जो लोन की रकम बचती है, उसे किसान EMI में चुकाता है। EMI इस बात पर निर्भर करती है कि लोन की रकम कितनी है, ब्याज दर क्या है और लोन कितने साल के लिए लिया गया है।
मान लो किसी किसान ने 6 लाख का लोन लिया और ब्याज दर 10% है, तो अगर वह इसे 5 साल में चुकाना चाहता है तो उसकी EMI लगभग 12-13 हज़ार रुपये महीने आएगी। अगर वही किसान इसे 7 साल में चुकाना चाहे तो EMI घटकर 9-10 हज़ार रह जाएगी। इसलिए ट्रैक्टर लेने से पहले EMI कैलकुलेशन जरूर करना चाहिए ताकि बाद में दिक्कत न हो।
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किसान को कितना पैसा अपने पास रखना चाहिए?
अब सबसे बड़ा सवाल ट्रैक्टर लेने के लिए किसान को कितना पैसा अपने पास रखना चाहिए। तो कुल मिलाकर किसान को ट्रैक्टर की कीमत का लगभग 15% से 30% तक की रकम पहले से जमा करनी पड़ सकती है।
- कम से कम 10% से 25% तक की रकम डाउन पेमेंट के लिए तैयार रखनी चाहिए।
- साथ ही पहली EMI और रजिस्ट्रेशन खर्च भी ध्यान में रखना चाहिए।
- इसके अलावा बीमा (Insurance) की रकम भी साथ रखनी जरूरी है क्योंकि बिना बीमा ट्रैक्टर लोन नहीं मिलता।

5 रोचक फैक्ट्स ट्रैक्टर खरीद से जुड़े
- भारत दुनिया का सबसे बड़ा ट्रैक्टर बाजार है, जहां हर साल लाखों ट्रैक्टर बिकते हैं।
- देश में सबसे ज्यादा ट्रैक्टर महिंद्रा कंपनी बेचती है, और इसके बाद Sonalika, Escorts, John Deere जैसी कंपनियां आती हैं।
- भारत सरकार हर साल करोड़ों रुपये किसानों को ट्रैक्टर पर सब्सिडी के रूप में देती है।
- ट्रैक्टर का उपयोग सिर्फ खेती में ही नहीं, बल्कि पानी खींचने, सामान ढोने और सड़क बनाने तक में किया जाता है।
- कई किसान पुराने ट्रैक्टर को एक्सचेंज करके नया ट्रैक्टर लेते हैं, जिससे उन्हें डाउन पेमेंट कम करना पड़ता है।
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ट्रैक्टर खरीदने से जुड़े 5 FAQs
Q1. ट्रैक्टर लेने के लिए कितने पैसे की डाउन पेमेंट करनी पड़ती है?
ट्रैक्टर लेने के लिए आमतौर पर टोटल कीमत का 10% से 25% तक डाउन पेमेंट करनी पड़ती है। यह रकम बैंक, फाइनेंस कंपनी और ट्रैक्टर मॉडल पर निर्भर करती है।
Q2. अगर मेरे पास पूरे पैसे नहीं हैं तो क्या मैं लोन पर ट्रैक्टर ले सकता हूँ?
हां, बिल्कुल। अधिकतर किसान ट्रैक्टर लोन लेकर ही खरीदते हैं। बैंक और NBFCs 70% से 90% तक की फाइनेंसिंग कर देते हैं।
Q3. ट्रैक्टर लोन चुकाने के लिए कितने साल का समय मिलता है?
ट्रैक्टर लोन चुकाने की अवधि 3 साल से 7 साल तक हो सकती है। किसान EMI के हिसाब से अपनी क्षमता अनुसार समय चुन सकता है।
Q4. क्या ट्रैक्टर लेने पर सरकार की तरफ से कोई सब्सिडी मिलती है?
हां, सरकार विभिन्न योजनाओं जैसे PM Kisan Yojana, कृषि यंत्र अनुदान योजना आदि के तहत ट्रैक्टर पर सब्सिडी देती है। यह सब्सिडी 20% से 50% तक हो सकती है, राज्य और योजना पर निर्भर करता है।
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निष्कर्ष: ट्रैक्टर लेने के लिए कितना पैसा जमा करना पड़ेगा?
तो भाई, अब तुम्हें साफ समझ आ गया होगा कि ट्रैक्टर लेने के लिए कितनी रकम जमा करनी पड़ती है। किसान को ट्रैक्टर की पूरी कीमत तुरंत नहीं देनी होती, बल्कि सिर्फ 10-25% तक डाउन पेमेंट देना पड़ता है। बाकी रकम लोन और सब्सिडी से पूरी की जा सकती है। इसके अलावा EMI सिस्टम इतना आसान है कि किसान अपनी आमदनी के हिसाब से धीरे-धीरे रकम चुका सकता है।