नमस्कार किसान भाइयों इस लेख में हम आपको टिशू कल्चर तकनीक के बारे में जानकारी देंगे और यह किस प्रकार किसान भाइयों के लिए लाभदायक हैं।
टिशू कल्चर तकनीक एक आधुनिक वैज्ञानिक विधि है जिसका उपयोग पौधों और जीवों की कोशिकाओं को नियंत्रित वातावरण में विकसित करने के लिए किया जाता है। टिशू कल्चर तकनीक कृषि जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा विज्ञान में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है।

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आइए जानते हैं टिशू कल्चर तकनीक तकनीक के बारे में –
1. टिशू कल्चर तकनीक होती क्या है ?
परिभाषा ?
टिशू कल्चर तकनीक में पौधों या जीवों की कोशिकाओं को एक विशेष पोषक माध्यम में विकसित किया जाता है जिससे वे नए ऊतक या पूर्ण पौधे के रूप में विकसित हो सकते हैं।
मुख्य घटक :
इस तकनीक के लिए एक निष्फल (स्टरल) वातावरण, उपयुक्त पोषक माध्यम, तापमान नियंत्रण, और उपयुक्त प्रकाश की आवश्यकता होती है।
2. टिशू कल्चर तकनीक प्रकार ?
काल्लस कल्चर – इसमें कोशिकाओं को बढ़ाकर एक असंगठित ऊतक (काल्लस) बनाया जाता है।
सस्पेंशन कल्चर – कोशिकाओं को एक तरल माध्यम में निलंबित कर बढ़ाया जाता है।
माइक्रोप्रोपेगेशन – तेजी से पौधों की संख्या बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।

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3. लाभ और फायदे ?
· पौधों की तेज़ी से वृद्धि और संख्या बढ़ाना।
· दुर्लभ और विलुप्त होने वाले पौधों का संरक्षण।
· रोग-प्रतिरोधी पौधे विकसित करना।
· आनुवंशिक रूप से समान पौधे तैयार करना।
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4. कृषि और चिकित्सा में उपयोग
· फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने में मददगार।
· औषधीय पौधों का बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव।
· स्टेम सेल रिसर्च और दवाइयों के निर्माण में सहायक।
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निष्कर्ष : टिशू कल्चर
टिशू कल्चर तकनीक वैज्ञानिक प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल कृषि में उत्पादकता को बढ़ा रही है बल्कि जैव चिकित्सा क्षेत्र में भी नए शोधों के लिए मार्ग प्रशस्त कर रही है।
इसकी सहायता से हम भविष्य में अधिक उन्नत और टिकाऊ कृषि तथा चिकित्सा समाधान विकसित कर सकते हैं।