नमस्कार किसान भाइयों और दोस्तों, अगर आप भी अपनी खेती में कुछ नया आजमाना चाहते हैं तो तिल की खेती आपके लिए बढ़िया विकल्प हो सकती है। तिल एक ऐसी तिलहन फसल है जिससे तेल निकाला जाता है और बाजार में इसकी अच्छी मांग रहती है। तिल की खेती कम लागत में भी की जा सकती है और सही देखभाल से अच्छा उत्पादन भी लिया जा सकता है। आज मैं आपको आसान भाषा में बताऊंगा कि तिल की खेती कैसे करें, किस मिट्टी में सबसे बढ़िया होती है और इसमें मुनाफा कैसे बढ़ाया जा सकता है।

तिल की खेती के लिए सही मौसम और मिट्टी:
आपको बता दे कि तिल की खेती के लिए मौसम और मिट्टी का सही चुनाव बहुत जरूरी है। तिल गर्म जलवायु में अच्छी तरह उगता है और इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। बलुई दोमट मिट्टी तिल के लिए सबसे सही मानी जाती है। मिट्टी में नमी का सही स्तर बना रहे तो बीज अंकुरण भी अच्छा होता है और उत्पादन बढ़ता है।
- तिल की बुवाई के लिए गर्म और सूखा मौसम सही रहता है।
- मिट्टी का pH 5.5 से 8.0 के बीच होना चाहिए।
- खेत की जुताई अच्छे से करके मिट्टी भुरभुरी बना लें।
- मिट्टी में जैविक खाद डालने से उत्पादन बेहतर होता है।
- नमी बनाए रखने के लिए खेत की सिंचाई सही तरीके से करें।
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तिल की बुवाई कैसे करें:
किसान भाइयों , तिल के अच्छे उत्पादन के लिए बीज की बुवाई सही तरीके से करना जरूरी है। बीज की गुणवत्ता अच्छी हो और उसे रोगमुक्त रखा जाए तो फसल में बीमारी कम लगती है। बीज को बोने से पहले उपचार जरूर करें और उचित दूरी पर बुवाई करें।
- बीज को बोने से पहले 5 ग्राम थायरम से उपचार करें।
- बीजों को 30 सेमी की दूरी पर लाइन में बोएं।
- बुवाई का समय अप्रैल से जुलाई तक सही रहता है।
- प्रति हेक्टेयर 4 से 5 किलो बीज पर्याप्त होते हैं।
- बीज को हल्की मिट्टी से ढक दें ताकि नमी बनी रहे।
तिल की फसल में खाद और सिंचाई प्रबंधन
किसान भाइयों आप को बता दें कि तिल की खेती में ज्यादा उर्वरक की जरूरत नहीं होती लेकिन जैविक खाद और सही सिंचाई से उत्पादन जरूर बढ़ता है। समय पर सिंचाई से पौधे मजबूत होते हैं और दाना अच्छा बनता है।
- खेत तैयार करते वक्त गोबर की खाद डालें।
- नाइट्रोजन और फॉस्फोरस उर्वरक भी डाल सकते हैं।
- फूल आने के समय हल्की सिंचाई करें।
- पानी भराव से बचें, नहीं तो फसल खराब हो सकती है।
- बारिश न होने पर 15 दिन में एक बार पानी दें।
तिल की फसल की देखभाल और कटाई:
तिल की फसल में समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना जरूरी है ताकि खरपतवार ना बढ़े। पौधों में रोग या कीट लगने पर तुरंत दवा का छिड़काव करें। कटाई के सही समय पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
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- फसल उगने के 20-25 दिन बाद पहली निराई करें।
- खरपतवार को समय-समय पर हटाते रहें।
- रोग लगने पर तुरंत जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल करें।
- कटाई तब करें जब 70% फलियां पक जाएं।
- कटाई के बाद अच्छी तरह सुखा कर दाना निकालें।

तिल की खेती से मुनाफा कैसे बढ़ाएं:
अगर आप तिल की खेती से ज्यादा मुनाफा लेना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें। अच्छी किस्म के बीज, सही समय पर देखभाल और मार्केट की जानकारी होना जरूरी है।
- तिल की उन्नत किस्में लगाएं जैसे – TKG-22, RT-46 आदि।
- आसपास के मंडी भाव पर नजर रखें।
- तिल को सही दाम पर बेचने के लिए ग्रुप में बिक्री करें।
- सरकारी योजनाओं की जानकारी लें और फायदा उठाएं।
- प्रोसेसिंग कर के तिल का तेल भी बेच सकते हैं।
निष्कर्ष:
तो दोस्तों, अगर आप भी कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो तिल की खेती एक अच्छा विकल्प है। बस सही जानकारी और मेहनत से आप अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं। उम्मीद है यह जानकारी आपके काम आएगी। ऐसी ही खेती से जुड़ी और जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर जरूर आते रहें आपकी खेती को आगे बढ़ाने में हम हमेशा साथ हैं।
अगर आपके मन मे कोई भी सवाल हो तो आप कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बता सकते है और यह जानकारी अपने किसान दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे ताकि वह भी ज्यादा मुनाफा कमा सके।