टमाटर की खेती | Tomato farming in hindi | Tamatar ki kheti

खट्टे स्वाद तथा लाइकोपीन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर टमाटर भारत सहित विश्व की प्रमुख फसलों में से एक है। भारतीय घरों मे साल भर इसकी खूब मांग बनी रहती है। ऐसे में देश के किसानों के लिए टमाटर की खेती किसी मुनाफे से कम नही होती। यदि आप भी इसकी खेती (tamatar ki kheti) करके अधिक आय प्राप्त करना चाहते है तो पढिये किसान सहायता का यह खास लेख। तो चलिए विस्तार से जानते है इसकी खेती के वैज्ञानिक विधि के बारे में

टमाटर की खेती के लिए उचित जलवायु :

वर्षभर उत्पादित किया जाने वाला टमाटर का पौधा मौसम के प्रति काफी संवेदनशील होता है। इसका पौधा न तो अत्याधिक गर्मी सहन कर सकता है और ना ही अत्याधिक सर्दी। इसके साथ ही साथ इसका पौधा नो तो अत्याधिक नमी सहन कर पाता और ना ही पाला। ऐसे में टमाटर की खेती (tamatar ki kheti) से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए मौसम का तापमान 18 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड रहना इसकी खेती के लिए काफी अनुकूल माना जाता है। अत्याधिक गर्मी में इसके फलों के रंग एवं क्वालिटी पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

टमाटर की खेती के लिए उचित मृदा :

इसकी खेती रेतीली दोमट मृदा से लेकर काली एवं लाल जैसी लगभग सभी प्रकार की मृदाओं में आसानी से की जा सकती है परंतु अच्छी जल निकास एवं जैविक पदार्थों की अधिकता वाली दोमट मिट्टी जिसका पीएच. (PH) मान 7 से 8.5 के बीच में हो इसकी खेती के लिए काफी अनुकूल रहती है।

खेत की तैयारी :

टमाटर के पौध की रोपाई के लिए मृदा का मुलायम होना बेहद जरूरी होता है। अतः खेत को सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक जुताई करते हुए तीन से चार जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करते हुए खेत को समतल कर लेना चाहिए।

टमाटर की खेती के लिए उचित बीज दर :

इसकी खेती से अत्यधिक उत्पादन प्राप्त करने मे बीजों का विशेष महत्व होता है। अतः बीजों का चयन बड़े सोच समझ कर सावधानी पूर्वक करना चाहिए। किसी अच्छी किस्म के चयन करते हुए बीज का दर 60 ग्राम प्रति एकड रखना काफी उपयुक्त रहता है।

बुआई का उचित समय :

टमाटर की खेती (tamatar ki kheti) वर्षभर विभिन्न ऋतु में की जा सकती है। यदि बसंत ऋतु टमाटर की खेती की बात की जाये तो मध्य नवंबर में इसके बीज को गिराते हुए टमाटर के तैयार पौध की रोपण नवंबर के दूसरे पखवाड़े मे कर दी जाती है। वही इसकी शरद ऋतु टमाटर की खेती मे इसके बीजों को जूलाई-अगस्त में गिराते हुए तैयार पौध की रोपण अगस्त-सितंबर में कर ली जाती हैं।

टमाटर की खेती के लिए नर्सरी की तैयारी :

खेत में रोपण से पूर्व ही टमाटर के पौध को नर्सरी में तैयार कर ली जाती है। टमाटर के पौध नर्सरी के लिए 100 से 125 वर्ग मीटर ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जिसमें जलनिकास की अच्छा व्यवस्था हो साथ ही साथ भूमि जैविक पदार्थों से परिपूर्ण हो। चयनित भूमि को पर्याप्त गोबर की खाद डालते हुए जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए।

अब खेत को 5×1 वर्ग मीटर क्यारी बनाते हुए दो क्यारियों के बीच में 45 से 46 सेंटीमीटर की नाली बना कर खेत को तैयार कर लेना चाहिए। अब खेत में टमाटर के बीज को छिड़ककर उसे मिट्टी से धक कर हल्की सिंचाई कर लेना चाहिए। एक माह बाद टमाटर का पौध जब 15 सेंटीमीटर के आसपास की हो जाए तो उसे रोपाई कर लेनी चाहिए।

खाद एवं उर्वरक :

टमाटर की खेती से अधिक उपज प्राप्त करने मे खाद एवं उर्वरकों का विशेष महत्व होता है। इसकी खेती के लिए सामान्य तौर पर 180 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फास्फोरस के साथ ही साथ 100 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है। इसमें से नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा खेत की जुताई के समय मिट्टी में मिला देना चाहिए। जबकि नाइट्रोजन की शेष मात्रा फसलों की विकास के समय उचित समय पर देना चाहिए।

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