टिकाऊ खेती क्या हैं ? टिकाऊ खेती का अर्थ, परिभाषा एवं महत्व | sustainable agriculture practices in hindi

टिकाऊ खेती का महत्व | sustainable agriculture practices

टिकाऊ खेती क्या है ?, आखिर क्यों इतना महत्वपूर्ण है टिकाऊ खेती, आखिर क्या है टिकाऊ खेती का अर्थ एवं परिभाषा, क्या-क्या लाभ है इस प्रकार की खेती से यदि आप के मन मे भी इसी प्रकार के प्रश्न उठ रहे है तो आप सही आर्टिकल पढ़ रहे है क्यों कि इस आर्टिकल मे हम टिकाऊ खेती (sustainable agriculture practices in hindi) से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारीयों को शेयर करने वाले है। तो चलिये इस आर्टिकल मे हम टिकाऊ खेती (sustainable agriculture) से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी को विस्तार से जानते है।

टिकाऊ खेती क्या है ? | What is sustainable agriculture practices in hindi :

जैसा कि हम सभी जानते है कि सन् 2050 तक हमारी पृथ्वी पर मनुष्यो की कुल आबादी लगभग 9.8 अरब तथा भारत की आबादी लगभग 1.7 अरब से अधिक होने का अनुमान है। धरती पर इतनी बड़ी आबादी को भोजन उपलब्ध कराना एक गंभीर समस्या है।

अतः इस समस्याओं के निवारण के लिए एवं कृषि से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए हमनें अपने खेतों में नई-नई तकनीक का प्रयोग करके अधिक उत्पादन प्राप्त करने के क्रम में जल प्रदूषण, वायू प्रदूषण एवं मृदा प्रदूषण जैसे गंभीर समस्याओं को जन्म दिया है।एक ओर जहां हानिकारक रसायनों एवं उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग से मृदा संरचना, मृदा वायू संचार व मृदा मे भौतिक पदार्थ का लगातार ह्रास हुआ तो दुसरी ओर मृदा मे पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के लाभदायक जीवों की संख्या में भी काफी कमी देखी गयीं। जिसे देखते हुए कम लागत पर फसल उत्पादन हेतु टिकाऊ कृषि (sustainable agriculture practices) एक कारगर तथा प्रभावी तकनीकी है जिसको अपनाकर प्राकृतिक संसाधनों को बिना क्षति पहुंचाये इन बढती हुई जनसंख्या को भोजन की पूर्ति आसानी से की जा सकती हैं।

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टिकाऊ कृषि का अर्थ | meaning of sustainable agriculture practices in hindi : 

अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर यह टिकाऊ अथवा स्थायी खेती (sustainable agriculture practices) क्या है ? मोटे तौर पर कहा जाये तो टिकाऊ खेती भोजन सहित पौधों एवं जानवरों के उत्पादों का उत्पादन है, जो एक तरह से खेती की तकनीकी का उपयोग करता है और साथ ही साथ पर्यावरण, मानव स्वास्थ्य एवं मृदा की स्वास्थ्य की रक्षा करता हैंं। अतः टिकाऊ कृषि एक ऐसी पद्धति है जिसमें मनुष्यो की बदलती आवश्यकता की पूर्ति के लिए कृषि मे उपयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के साधनो का इस प्रकार व्यवस्थित रूप से उपयोग किया जाता है कि कृषि मे अधिक से अधिक उत्पादन के साथ ही साथ पर्यावरण का कम से कम ह्रास हो तथा पर्यावरण भी सुरक्षित रहे।

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टिकाऊ खेती की परिभाषा | definition of sustainable agriculture practices in hindi :

टिकाऊ खेती को हम निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं
(A). खेती की वह विधि जिसमें आगामी पीढ़ी के लिए खेती की प्राकृतिक संसाधनों में क्षति पहुंचाए बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो खेती की जाती है वह टिकाऊ खेती (sustainable agriculture practices) कहलाती हैंं।
(B). टिकाऊ खेती कृषि संसाधनों का समुचित प्रबंध कि वह विधि है जिसमें मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति होने के साथ ही साथ पर्यावरण का सुधार हो एवंं प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा हो सके।

टिकाऊ खेती का महत्व |importance of sustainable agriculture :

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि सन् 2050 तक पूरी पृथ्वी पर मनुष्यो की कुल आबादी लगभग 9.8 अरब को भी पार कर जाएगी इन बढी हुई जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने के लिए वर्तमान में हम कुल खाद्यानो का जितना उत्पादन करते है उन उत्पादो में हमे सन् 2050 तक लगभग 70% से भी अधिक का खाद्यानो के उत्पादन में वृद्धि करना होगा। यह किसी भी तरह से कोई आसान चुनौती नही है। ऐसी विषम परिस्थितियों में टिकाऊ खेती से ही हम आनेवाले पीढियों के लिए भोजन की उपलब्धता के साथ ही साथ उन्हें एक स्वस्थ्य खाद्य उत्पादन तथा पर्यावरण दे सकेंगे।

टिकाऊ खेती के लाभ | benefits of sustainable agriculture :

टिकाऊ खेती के निम्नलिखित लाभ है
(A). टिकाऊ खेती से मृदा की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है।
(B). मृदा में पोषक तत्वों का संतुलन लंबे समय तक बना रहता हैंं।
(C).  मृदा में लाभदायक जीवों की संख्या में वृद्धि होती है।
(D). टिकाऊ खेती में फसल उत्पादन के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के पशुओं का पालन पोषण भी होता है जिससे पर्यावरण में जैविक संतुलन बना रहता है।
(E). आधुनिक कृषि में उपयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के हानिकारक रसायन व कीटनाशकों का प्रयोग टिकाऊ खेती में नही करने के कारण पर्यावरण पर इनसे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
(F). आधुनिक खेती में विभिन्न प्रकार के रसायन एवं कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है जिससे कृषि लागत में वृद्धि होती है, टिकाऊ खेती करने पर इनकी लागत में कमी आती है।
(G). टिकाऊ खेती करने पर खेत में पैदा होने वाला विभिन्न प्रकार के कचरा पारिस्थितिक तंत्र के अंतर्गत बना रहता है जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषण में कमी आती है।
(H). टिकाऊ खेती से कम लागत में अधिक उत्पादन के साथ ही साथ उच्च गुणवत्ता युक्त खाद्य पदार्थों का उत्पादन होता है।
(I). हानिकारक कृषि रसायन व उर्वरकों से होने वाले विभिन्न प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है क्योंकि टिकाऊ खेती में इन रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है।
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