नमस्कार किसान भाइयों, अगर आप सोच रहे हैं कि खेती में ऐसी फसल लगाई जाए जिसमें ज्यादा खर्च न हो और मुनाफा भी बढ़िया मिले, तो सरसों की खेती आपके लिए एक दमदार विकल्प है। खास बात यह है कि सरसों ठंड के मौसम में कम मेहनत में भी बढ़िया उत्पादन देती है। अगर सही जानकारी हो तो किसान कम सिंचाई और कम उर्वरक में भी अच्छी पैदावार ले सकते हैं। बहुत सारे किसान पहली बार सरसों बोने से हिचकते हैं, लेकिन एक बार तरीका समझ आ जाए तो हर साल इसका रकबा बढ़ता जाता है।
तो चलिए जानते हैं कि सरसों की खेती कैसे करें ताकि खेत से मंडी तक फायदा ही फायदा हो।

सही मौसम और मिट्टी: सफलता की पहली सीढ़ी?
अगर आप चाहते हैं कि सरसों की फसल लहलहाए तो सबसे पहले मौसम और मिट्टी की जानकारी पक्की कर लें। सरसों के बीज बोने का सही वक्त अक्टूबर से नवंबर का महीना होता है, जब मौसम हल्का ठंडा रहता है और मिट्टी में नमी भी बनी रहती है। ज्यादा गर्मी या बारिश का मौसम सरसों के लिए ठीक नहीं रहता। बलुई या दोमट मिट्टी में यह फसल अच्छी बढ़ती है क्योंकि इनमें पानी रुकता नहीं है और जड़ों को हवा मिलती रहती है। मिट्टी की जांच कर लें कि pH 6 से 8 के बीच है या नहीं, इससे बीज सही तरीके से अंकुरित होंगे और पौधे मजबूत बनेंगे।
- सरसों के लिए तेज धूप से बचाव जरूरी होता है।
- जिन खेतों में पहले दलहन उगाई गई हो, वहां सरसों जल्दी जमती है।
- मिट्टी की ऊपरी परत नरम और भुरभुरी होना जरूरी है।
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खेत की तैयारी: जितनी मेहनत उतना फायदा?
किसान भाइयों सरसों की खेती की असली तैयारी खेत से शुरू होती है। खेत की पहली जुताई गहरी करनी चाहिए ताकि पुरानी फसल के अवशेष और घास पूरी तरह दब जाएं। इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करें और पाटा चलाकर मिट्टी को समतल बनाएं। ध्यान रहे कि खेत में पानी जमने की गुंजाइश न हो क्योंकि ज्यादा नमी से बीज सड़ सकते हैं। जुताई के साथ खेत में गोबर की पुरानी सड़ी हुई खाद डाल दें, इससे मिट्टी में जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं और पैदावार बढ़ जाती है।
- बीज बोने से पहले 2-3 दिन खेत खुला छोड़ दें।
- ज्यादा चिकनी मिट्टी हो तो बालू या भूसा मिला सकते हैं।
- खेत में पानी निकासी की नाली पहले से बनानी चाहिए।
बीज का चुनाव और बुवाई का सही तरीका?
बीज का सही चुनाव आपकी मेहनत को दोगुना असरदार बना देता है। हमेशा प्रमाणित कंपनी से ही बीज खरीदें ताकि रोग या कीट से फसल को नुकसान न हो। बुवाई से पहले बीजों को दवा से उपचारित कर लेना चाहिए, जिससे फफूंद या बीमारियां पास न आएं। बीजों को कतारों में बोना बेहतर रहता है इससे पौधे खुलकर बढ़ते हैं और देखभाल आसान होती है। एक एकड़ के लिए करीब 4 से 5 किलो बीज पर्याप्त होते हैं। कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
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- देसी किस्मों के बजाय हाइब्रिड किस्में लगाएं तो उपज ज्यादा होती है।
- बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई जरूर करें।
- बीज गहराई में 2 से 3 सेंटीमीटर तक ही बोएं।
एक नजर में सरसों की खेती (टेबल):
विषय | जानकारी |
बुवाई का समय | अक्टूबर से नवंबर |
मिट्टी का प्रकार | बलुई, दोमट, pH 6 से 8 |
खाद | गोबर की सड़ी खाद, NPK संतुलित मात्रा |
सिंचाई | पहली 20-25 दिन बाद, दूसरी फूल से पहले |
औसत उपज | 5 से 8 क्विंटल प्रति एकड़ |
रोग-कीट नियंत्रण | माहू, तेला – जैविक या रसायनिक दवा |
खाद और सिंचाई: सही पोषण जरूरी?
सरसों ज्यादा पोषण मांगने वाली फसल नहीं है लेकिन शुरू में खेत में जैविक खाद डालना जरूरी है। अगर आपके पास गोबर की पुरानी खाद है तो बुवाई से पहले ही खेत में मिला दें। इसके अलावा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित इस्तेमाल पौधों को मजबूत बनाता है। सिंचाई की बात करें तो सरसों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन अगर खेत में नमी नहीं है तो पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद और दूसरी सिंचाई फूल आने से पहले कर देनी चाहिए।
- एक एकड़ में करीब 8 से 10 टन गोबर की खाद डालनी चाहिए।
- सूखे इलाके में नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग कर सकते हैं।
- रसायनिक खाद देते वक्त मिट्टी की जांच जरूरी है।
रोग-कीट से बचाव: थोड़ी सावधानी बड़ी राहत?
कई बार किसानों की अच्छी भली फसल कीड़े-मकोड़ों की वजह से खराब हो जाती है। सरसों में माहू और तेला सबसे आम कीट होते हैं जो पत्तों और फूलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए खेत में नियमित निगरानी करें और अगर शुरूआती कीट दिखें तो जैविक दवा या नीम का घोल छिड़क दें। जरूरत हो तो विशेषज्ञ की सलाह लेकर रसायनिक कीटनाशक का सही मात्रा में इस्तेमाल करें। फसल चक्र बदलते रहना और खेत की साफ-सफाई रखना भी बीमारी से बचाव में मदद करता है।
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- महीने में कम से कम दो बार खेत का निरीक्षण करें।
- पीले या मुरझाए पत्तों को तुरंत निकाल दें।
- खरपतवार को समय रहते निकालना जरूरी है।

कटाई और लाभ: सही वक्त पर सही कदम?
सरसों की फलियां जब 70-80% तक पीली पड़ जाएं तब कटाई करना सही रहता है। देरी करने से फलियां फट सकती हैं और बीज खेत में झड़ सकते हैं जिससे नुकसान होता है। कटाई के बाद दानों को अच्छे से सुखा कर ही मंडी में बेचें ताकि नमी के कारण तौल कम न हो। एक एकड़ में ठीक देख रेख से किसान आराम से 5 से 8 क्विंटल उपज ले सकता है जो बाजार में अच्छे दाम दिला देती है। आजकल तेल मिल मालिक और व्यापारी किसान के खेत से ही फसल खरीद लेते हैं जिससे मुनाफा बढ़ जाता है।
- फसल को ओस या बारिश से बचाकर रखें।
- कटाई के बाद फसल को खुले में न छोड़ें।
- मंडी में बेचने से पहले साफ-सफाई अच्छे से करें।
आखिर में?
तो किसान भाइयों, अब आप समझ ही गए होंगे कि सरसों की खेती कैसे करें ताकि लागत कम हो और आमदनी बढ़िया हो। मौसम, मिट्टी, बीज, खाद और थोड़ी सी सावधानी से आप भी सरसों की खेती में बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई तो गांव में अपने दूसरे किसान भाइयों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि सबकी खेती मजबूत हो और जेब में ज्यादा पैसा आए।