भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान एवं महत्व | role and importance of agriculture in indian economy in hindi
Important of agriculture in hindi : कृषि प्रधान देश होने के नाते ना सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का अहम योगदान रहा है बल्कि भारत की लगभग 70% से अधिक जनसंख्या प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर ही आश्रित है। अतः कृषि देश के तकरीबन करोड़ों लोगों को आजीविका सुरक्षा प्रदान करती है तथा देश के लगभग 52% श्रमिकों को रोजगार की व्यवस्था करती हैंं। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का हिस्सेदारी भले ही मात्र 14% है लेकिन देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि देश की एक अरब आबादी को जहां खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है तो वहीं दूसरी ओर देश के कृषि आधारित उद्योग को कच्चे माल की व्यवस्था भी करती हैंं।
तो आइए आगे भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान एवं महत्व ( role and importance of agriculture in indian economy in hindi) को विस्तार से अध्ययन करते हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान एवं महत्त्व | role and importance of agriculture in indian economy in hindi :
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान एवं महत्त्व को हम निम्नलिखित रूप से स्पष्ट कर सकते है
(A). बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्यान्नों की पुष्टि : आज देश की जनसंख्या जिस तरह से तेजी से बढ़ रही है आगे चलके इन जनसंख्या के लिए खाद्यान्नों की मांग भी तेजी से बढ़ेगी अतः इस जनसंख्या को भोजन की व्यवस्था के लिए कृषि ही एक मात्र विकल्प हैंं। अतः देश की इस जनसंख्या को खाद्यान्न की पूर्ति के लिए सघन कृषि पद्धतियो, जलवायु तथा मृदा के अनुकूल फसलों एवं उसकी प्रजातियों को उगा कर ही पूरी की जा सकती हैंं। इस समस्या का समाधान विभिन्न प्रकार की फसले जैसे- धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, दलहनी व तिलहनी आदि फसलों को उगा कर किया जा सकता हैंं।
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(B). विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चे माल की पूर्ति : भारत के प्रमुख उद्योगों को कच्चा माल कृषि से ही प्राप्त होता है। सूती, पटसन, वस्त्र उद्योग, चीनी, वनस्पति तथा बागानों उद्योग आदि प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर ही निर्भर हैंं। हथकरघा, बुनाई, तेल निकालना, चावल कूटना आदि बहुत से लघु एवं कुटीर उद्योग भी किसी से ही कच्चा माल प्राप्त करते हैं।
(C). मनुष्य के लिए वस्त्रों की आपूर्ति : मनुष्य की तीन आधारभूत आवश्यक आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान में वस्त्र का दूसरा महत्वपूर्ण स्थान है जिसके बिना मनुष्य का जीवन असंभव सा है। भारत का सबसे बड़ा उद्योग, कपडा उद्योग ही है तथा देश की अर्थव्यवस्था मे इसका महत्वपूर्ण योगदान है। इस उद्योग के लिए कच्चे माल की पूर्ति कृषि से ही संभव है जिसके लिए हम विभिन्न प्रकार की फसलें जैसे- जूट, कपास, सनई व अलसी आदि का उत्पादन करके इसकी पूर्ति करते हैं।
(D). राष्ट्रीय आय का मुख्य स्रोत : फसल उत्पादन द्वारा कृषकों की आय में वृद्धि होने के साथ कृषि उत्पादन से संबंधित विभिन्न कर जैसे- मालगुजारी, सिंचाई कर, उत्पादन कर आदि से राज्य व केंद्र सरकार को आय प्राप्त होती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ फसलें जैसे- तंबाकू, जूट, चाय, चीनी,कहवा आदि के विदेशों मे निर्यात से राष्ट्र को काफी अधिक मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त होती हैं। भारत की आय का सर्वाधिक अंश कृषि व उससे संबंधित व्यवसाय से ही प्राप्त होता है। भारत के कुल आय मे कृषि का योगदान वर्तमान मे लगभग 28% है। जबकि 1950-51 मे यह योगदान लगभग 55.40% था। भारत में कृषि एवं सहबध्द क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद का 14.1% भाग प्रदान करती है एवं इससे देश की 58.2% कार्यकारी जनसंख्या एवं 15.3% उपक्रमे लगी है। इससे देश का 12.4% निर्यात होता है।
(E). आजीविका का मुख्य साधन : हमारे देश के कुल जनसंख्या का लगभग 72.8% जनसंख्या आज भी गांव में ही निवास करती है तथा अपने भरन-पोषण के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि या उससे संबंधित कृषि उद्योग से ही अपना आजीवीका चलाती है। सन् 1950-51 में भारत की कार्यशील जनसंख्या का लगभग 69.5% कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र में लगा हुआ था।
NOTE : कृषि नीजी क्षेत्र का सबसे बड़ा अकेला व्यवसाय है।
(F). देश का सर्वाधिक भूमि उपयोग : देश की कुल भूमि क्षेत्रफल का सर्वाधिक भाग कृषि में प्रयुक्त किया जाता है। कुल भूमि क्षेत्रफल के लगभग 48.05% भाग में खेती की जाती है।
(G). रोजगार में योगदान : कृषि द्वारा व्यक्तियों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होता हैं। प्रत्यक्ष रूप से उन व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त होता है जो कृषि की विभिन्न क्रियाएं जैसे- फसल उत्पादन, खेतिहर, मजदूर आदि कार्य में लगे हुए हैं। तथा अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे व्यक्ति को रोजगार प्राप्त होता है जो कृषि आधारित उद्योग धंधों से जुड़े हुए हैं। अतः हम कह सकते है कि कृषि अनेको लोगों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दोनों से रोजगार प्रदान करती हैं।
(H). अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कृषि का महत्व : भारत के विदेशी व्यापार का महत्वपूर्ण भाग कृषि से जुड़ा है। भारत विश्व में कृषि उत्पाद के 10 अग्रणी निर्यातकों में है। विश्व में भारत का चाय, मूंगफली केला आदी उत्पाद में प्रथम स्थान है। जबकि चावल, जूट, कपास व गन्ना आदि के उत्पादन में विश्व के दूसरे स्थान पर है। लाख के उत्पादन में भारत विश्व का एकाधिकार की स्थिति में हैं।
(I). कृषि का विदेशी व्यापार महत्व : निर्यात और विदेशी मुद्रा अर्जन की दृष्टि से कृषि का भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। देश के निर्यात व्यापार में चाय, पटसन, तम्बाकू, मसाले, तिलहन आदि कृषि उपज का विशेष महत्व है।
(J). पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता : आधुनिक कृषि प्रणाली के अपनाने से कृषि पशु पर ही आश्रित है मशीनीकरण होने के बावजूद हमारे देश में अभी इन यंत्रों का प्रचलन कई विशिष्ट कारणों से होना संभव नहीं हो पा रहा है अतः इन पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था कृषि के द्वारा ही संभव हैंं।