नाइट्रोजन क्या है, पौधों में इसका महत्व, कार्य एवं कमी के लक्षण | Role and important of nitrogen in plants in hindi
Nitrogen in plants in hindi : पौधों की वृद्धि, विकास व प्रजनन के लिए नाइट्रोजन एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। पौधों में नाइट्रोजन के कार्यों एवं पादप पोषण में इसके महत्व को देखते हुए इसे पोषक तत्वों का राजा यानी कि King of plant nutrients कहा जाता हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में लगभग 78% से अधिक मात्रा मे नाइट्रोजन पाया जाता हैं। इसकी खोज सन् 1773 मे स्काटलैण्ड के वैज्ञानिक डेनियल रदरफोर्ड ने किये थे। पृथ्वी के वायुमंडल मे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद पूरे विश्व की फसलों में इसी कमी एक प्रमुख समस्या रही है।
क्लोरोफिल का महत्वपूर्ण घटक है नाइट्रोजन (nitrogen in hindi) :
नाइट्रोजन क्लोरोफिल का एक महत्वपूर्ण घटक है जो पौधों में उर्जा प्रदान करने का कार्य करता है तथा पौधों की पत्तियों को हरा रंग देता हैंं। नाइट्रोजन पौधों में कार्बनिक तथा अकार्बनिक दोनों रूपों में पाया जाता है। नाइट्रोजन की उपस्थिति के वजह से ही पौधों की पत्तियां प्रकाश संश्लेषण के द्वारा अपने लिये भोजन का निर्माण करती हैं। यह अमीनो एसिड का एक महत्वपूर्ण घटक है। जिससे पौधों में प्रोटीन का निर्माण होता है जिसकी कमी के कारण पौधे मुरझा व मर जाते हैं। अर्थात नाइट्रोजन इतना महत्वपूर्ण पोषक तत्व है कि इसके बिना पौधे का जीवन संभव ही नहीं है।
आखिर पौधों के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है नाइट्रोजन | why is nitrogen importance (role) to plants in hindi :
(A). नाइट्रोजन पौधों में क्लोरोफिल, अमीनो एसिड, विटामिंस, प्रोटीन, एमाइड तथा प्रोटोप्लज्मा की संरचना में सक्रिय भाग लेता है।
(B). पौधों में नाइट्रोजन नियंत्रण का कार्य करता है जिससे फास्फोरस तथा पोटाश का विनिमय संतुलन बना रहता है।
(C). नाइट्रोजन से पौधों में दानों का आकार बड़ा हो जाता है तथा दानो में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है।
(D). यह पादप ऊतकों में पानी की मात्रा को बढ़ाता है तथा कैल्सियम की प्रतिशत घटाता है।
(E). यह पौधों में फास्फोरस, पोटाश तथा कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों के शोषण करने की क्षमता को बढ़ाता है।
(F). पौधों में आक्सिन का बनना नाइट्रोजन की मात्रा से उत्प्रेरित होता है। जो पौधों के वृद्धि व विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पादप हार्मोन्स हैं।
(G). नाइट्रोजन की अधिकता से पौधे की वृद्धि अधिक हो जाती है तथा इसकी कमी से वृद्धि रुक जाती है
(H). नाइट्रोजन से पौधों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है जो जीवद्रव का मुख्य भाग है।
(I). इसके द्वारा कोशिका के विभाजन में सहायता मिलती है जिससे पौधे की वृद्धि अधिक होती है।
(J). नाइट्रोजन की पर्याप्त मात्रा होने से पौधों में कल्ले अधिक मात्रा में निकलते हैं।
(K). नाइट्रोजन जैविक तथा कार्बनिक पदार्थों के सड़ने-गड़ने में मदद करता है।
(L). नाइट्रोजन के प्रभाव से पौधों में दाने सुडौल और अधिक गुदेदार बनते हैं।
(M). नाइट्रोजन के प्रभाव से पौधे तथा पत्तियां मुलायम हो जाती हैं।
पौधों में नाइट्रोजन की कमी के लक्षण | deficiency symptoms of nitrogen in plants in hindi :
(A). नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधों की पत्तियों का रंग हल्का हरा तथा पीला हो जाता हैं।
(B). पौधों में नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधों की वृद्धि व विकास रुक जाती है अथवा कम हो जाती है जिससे उपज में भारी कमी आ जाती हैं।
(C). पौधों में नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधों की पत्तियों का रंग सफेद या हल्का सफेद हो जाता है तथा कभी-कभी पत्तियां जल सी जाती हैं।
(D). पौधों में इसकी कमी के कारण फसलों में सर्वप्रथम नीचे की पत्तियां सूखती है तथा बाद में ऊपर की पत्तियां सूख जाती हैं।
(E). पौधों में नाइट्रोजन की कमी के कारण हरी पत्तियों के बीच में सफेद धब्बे भी पड़ जाते हैं।
(F). इसकी कमी के कारण कल्ले बनने वाली फसलो में कल्ले कम पड़ते हैं। जिससे पैदावार प्रभावित होती हैं।
(G). फलदार वृक्षों में अधिकतर फल बनने से पूर्व ही गिर जाते हैं अथवा उसका आकार छोटा रह जाता है परंतु फल का रंग अच्छा हो जाता है।
(H). नाइट्रोजन की कमी के कारण दलहनी फसलों के दालों में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है तथा दाने भी सिकुड़ जाते हैं। role and importance of nitrogen in plants
पौधों में नाइट्रोजन के प्राप्ति के स्त्रोत | source of nitrogen for plants in hindi :
पौधों में नाइट्रोजन प्राप्ति के विभिन्न स्त्रोत निम्नलिखित है
(A). वायुमंडलीय नाइट्रोजन द्वारा : पृथ्वी के वायुमंडल में लगभग 78% से अधिक नाइट्रोजन पाया जाता हैंं। जो पौधों की नाइट्रोजन की पूर्ति का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है लेकिन अधिकांश पौधे इस वायुमंडलीय नाइट्रोजन का उपयोग नहीं कर सकते हैं लेकिन कुछ बैक्टीरिया, नील हरित शैवाल आदि इस वायुमंडलीय नाइट्रोजन को सीधा अपने लिए उपयोग कर सकते हैं। यदि इन जीवो को फसलों में सहजीवी के माध्यम से प्रयोग किया जाए तो यह विभिन्न प्रकार के पौधों को आसानी से उपलब्ध करा सकते हैं।
(B). वर्षा जल द्धारा : जैसा कि ऊपर बताया जा चूका है कि वायुमंडल में लगभग 78% तक नाइट्रोजन पाया जाता है यह नाइट्रोजन वर्षा के जल द्वारा पौधे को प्राप्त होते रहते हैं।
(C). रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग द्वारा : पौधों में नाइट्रोजन की पूर्ति का यह सबसे आसान व सस्ता विकल्प है। तथा भारत में इस विधि द्वारा सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। तथा इसका सबसे अच्छा विकल्प नाइट्रोजनिक उर्वरक है जिसमें यूरिया प्रमुख है। इसके अतिरिक्त कैल्शियम नाइट्रेट, अमोनिया सल्फेट आदि आते है।
(D). कार्बनिक खादों द्वारा : यह पौधों को नाइट्रोजन देने का सबसे प्राचीनतम विधि है तथा भारत में यह विधि का रासायनिक विधि के बाद दूसरा सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। इस विधि मे पौधे को नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार के कार्बनिक पदार्थों जैसे – गोबर की खाद, खरपतवार, पेड़-पौधे के अवशिष्ट पदार्थ, हरी खाद आदि का प्रयोग किया जाता है। प्राचीन काल में इस विधि का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता था।
(E). कार्बनिक नाइट्रोजनीज यौगिक के द्धारा : कुछ कीट भक्षी पौधे छोटे-छोटे कीटों को पकड़कर तथा उसे खा कर अपनी नाइट्रोजन सम्बंधित आवश्यक की पूर्ति इस विधि द्वारा करते हैं।
अगर यह पोस्ट (nitrogen in hindi) आपको अच्छा लगे तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें। कृषि से संबंधित अन्य पोस्ट के लिए आप हमारे ब्लॉग kisansahayata.com के साथ जुड़े रहे। तथा अपने विचार एवं अनुभव नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।