नमस्कार किसान भाइयों। खेती की सफलता मिट्टी की सेहत पर निर्भर करती है। अगर मिट्टी उर्वर है, तो फसल अच्छी होगी, लागत कम और मुनाफा ज्यादा होगा।मृदा उर्वरता बढ़ाने के उपाय – किसान भाइयों के लिए आसान और असरदार तरीके लेकिन लगातार रासायनिक खादों का उपयोग, गलत सिंचाई पद्धति और फसल चक्र की अनदेखी से मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है।
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ऐसे में किसानों के लिए जरूरी है कि वे मृदा उर्वरता बनाए रखने और बढ़ाने के उपाय अपनाएं।

मृदा उर्वरता क्या है?
मृदा उर्वरता का मतलब है – मिट्टी में पौधों की बढ़वार और उत्पादन के लिए जरूरी पोषक तत्वों (जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश आदि) की उपलब्धता। साथ ही मिट्टी की संरचना, जलधारण क्षमता, जीवाणुओं की सक्रियता भी इसमें शामिल होती है।
मृदा उर्वरता कम क्यों होती है?
- बार-बार एक ही फसल बोने से (फसल चक्र की कमी)
- अत्यधिक रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग
- जैविक तत्वों की कमी (जैसे गोबर खाद, कम्पोस्ट)
- अधिक गहरी जुताई से मिट्टी की परतें बिगड़ जाती हैं
- जल जमाव या अत्यधिक सिंचा
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मृदा उर्वरता बढ़ाने के प्रमुख उपाय:
1. जैविक खाद का प्रयोग
- गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद (सन, ढैंचा) का नियमित उपयोग करें।
- इससे मिट्टी में जैविक कार्बन बढ़ता है और सूक्ष्मजीव सक्रिय होते हैं।
2. फसल चक्र अपनाएं
- गेहूं के बाद दलहनी फसल (चना, अरहर), धान के बाद मूंग उगाएं।
- इससे मिट्टी को विविध पोषक तत्व मिलते हैं और उर्वरता बनी रहती है।
3. हरी खाद का उपयोग
- ढैंचा, सन जैसी फसलों को खेत में उगाकर जुताई कर दें।
- इससे नाइट्रोजन की पूर्ति होती है और कार्बनिक पदार्थ बढ़ता है।
4. बायोफर्टिलाइजर का इस्तेमाल
- राइजोबियम, एजोटोबैक्टर जैसे जीवाणु नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद करते हैं।
- ये बाजार में उपलब्ध होते हैं और छिड़काव के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
5. मिट्टी परीक्षण कराएं
- हर दो साल में मिट्टी का परीक्षण कराएं ताकि आपको पता चले कौन-से पोषक तत्व की कमी है।
- उसी के अनुसार संतुलित उर्वरक उपयोग करें।
6. सेंद्रिय मल्चिंग (Mulching)
- फसल अवशेष या पत्तों की परत मिट्टी पर बिछाएं।
- इससे नमी बनी रहती है और धीरे-धीरे सड़कर पोषण देती है।
7. जल प्रबंधन
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- टपक सिंचाई या स्प्रिंकलर का प्रयोग करें।
- अधिक या कम पानी दोनों मिट्टी को नुकसान पहुंचाते हैं।
8. पशु अपशिष्टों का सही उपयोग

- गोबर, मूत्र, हड्डियों का चूर्ण आदि से बनी जैविक खाद का प्रयोग करें।
- इससे मिट्टी में पोषक तत्व संतुलित रहते हैं।
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अतिरिक्त उपाय:
- मिट्टी की जुताई सीमित करें, जिससे उसकी संरचना खराब न हो।
- ग्लाइकोस्फेयर पौधों (जैसे जई) का प्रयोग करें जो जड़ों से मिट्टी में सूक्ष्मजीवों को सक्रिय करते हैं।
- नीम कोटेड यूरिया का प्रयोग, ताकि नाइट्रोजन का नुकसान कम हो।
निष्कर्ष:मृदा उर्वरता बढ़ाने के उपाय – किसान भाइयों के लिए आसान और असरदार तरीके
मिट्टी उपजाऊ रहेगी तभी खेती लाभकारी होगी। अगर किसान समय-समय पर मिट्टी की देखभाल करें, तो उपज भी बढ़ेगी और लागत भी घटेगी। जैविक उपायों को अपनाकर हम मिट्टी की सेहत सुधार सकते हैं और टिकाऊ खेती की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
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