2025 मे मूंगफली की खेती कैसे होती है? – आसान और कमाई वाली खेती की पूरी जानकारी। 

नमस्कार किसान भाइयों अगर आप भी ये सोच रहे हो कि खेत में क्या बोया जाए जिससे लागत कम और मुनाफा ज़्यादा हो, तो मैं आपको बता दूं  मूंगफली की खेती आपके लिए एक दमदार ऑप्शन हो सकता है। मूंगफली न सिर्फ खाने में टेस्टी होती है, बल्कि इससे तेल भी निकलता है, जो मार्केट में बहुत चलता है। 

तो चलिए अब मैं आपको एक-एक करके समझाता हूं कि मूंगफली की खेती कैसे होती है।

1. मूंगफली की खेती के लिए सही मौसम।

मूंगफली गर्म जलवायु की फसल है। इसे दो बार बोया जा सकता है:

  • खरीफ सीजन (जुलाई से अगस्त) – बारिश वाले मौसम में।
  • रबी सीजन (अक्टूबर से नवंबर) – सिंचाई वाली जगहों पर।

अगर आप सिंचाई की सुविधा वाले किसान हैं तो रबी में भी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं, वरना खरीफ सबसे बढ़िया समय है।

मूंगफली की खेती कैसे होती है – आसान और कमाई वाली खेती की पूरी जानकारी। 

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2. मिट्टी कैसी होनी चाहिए?

मूंगफली को हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज़्यादा पसंद है। मिट्टी का पानी जल्दी निकाल देना   जरूरी है क्योंकि मूंगफली की जड़ें नीचे फैलती हैं और ज्यादा पानी उसे नुकसान पहुंचा सकता है।

  • pH: 5.5 से 7 तक की मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है।
  • टिप्स: खेत की जुताई अच्छी तरह से करें और एक बार खेत में FYM (गोबर की खाद) ज़रूर डालें।

3. मूंगफली की किस्में – कौन सी बीज लें?

भारत में मूंगफली की कई improved किस्में उपलब्ध हैं, लेकिन आपको अपने क्षेत्र के हिसाब से बीज का चयन करना चाहिए।

कुछ प्रमुख किस्में:

  1. TG-37A – सूखे इलाकों के लिए।
  2. GG-20 – ज्यादा उत्पादन वाली।
  3. JL-24 – जल्दी पकने वाली किस्म।

बीज को बोने से पहले फफूंदनाशक से उपचार करना जरूरी होता है ताकि कोई बीमारी न लगे। मूंगफली की खेती कैसे होती है?

4. बीज बोने का तरीका।

अब बात करते हैं कि मूंगफली कैसे बोई जाती है। बीज बोने का तरीका बहुत सिंपल है, लेकिन थोड़ा ध्यान देना ज़रूरी है।

  • बीज दर: 80 से 100 किलो प्रति एकड़।
  • दूरी: कतार से कतार – 30 से 40 सेमी, पौधे से पौधे – 10 सेमी।
  • गहराई: बीज को 4-5 सेमी गहराई में बोएं।

बोआई ट्रैक्टर से सीड ड्रिल से करें तो समय भी बचेगा और लाइन भी सही बनेगी।

5. सिंचाई की जरूरत।

खरीफ की फसल में सिंचाई कम करनी पड़ती है क्योंकि बारिश होती रहती है। लेकिन रबी सीजन में सिंचाई का ध्यान ज़रूरी है।

  • पहली सिंचाई – बोआई के 25 दिन बाद।
  • दूसरी – फूल आने के समय।
  • तीसरी – दाना बनने के समय।

ध्यान रखें कि फसल के पकने के समय सिंचाई बंद कर दें ताकि फसल में सड़न न हो।

6. खाद और उर्वरक।

मूंगफली में ज्यादा nitrogen की जरूरत नहीं होती क्योंकि ये खुद हवा से nitrogen खींच लेती है। लेकिन बेसल डोज़ देना जरूरी होता है।

  • DAP – 100 किलो प्रति एकड़
  • Gypsum (जिप्सम) – 200 किलो प्रति एकड़ (फूल आने से पहले देना चाहिए)
  • जैविक खाद – गोबर की खाद या कम्पोस्ट।

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7. रोग और कीट नियंत्रण।

कुछ सामान्य रोग जैसे टिक्का रोग (leaf spot), जड़ सड़न (root rot) आदि मूंगफली को लग सकते हैं। इसलिए समय रहते इनका ध्यान रखें।

रोकथाम के उपाय:

  • बीज उपचार जरूर करें।
  • समय-समय पर नीम आधारित कीटनाशक छिड़कें।
  • फफूंदनाशक (मैनकोजेब) का 15-20 दिन पर छिड़काव करें।

8. कटाई और उत्पादन।

जब पत्तियां पीली पड़ने लगें और 70% फली पक जाए तो मूंगफली की खुदाई कर लेनी चाहिए।

  • खरीफ मूंगफली – 110 से 120 दिन में तैयार।
  • रबी मूंगफली – 120 से 130 दिन में तैयार।

एक एकड़ में उत्पादन:
सही तरीके से खेती करने पर एक एकड़ से 8 से 12 क्विंटल तक मूंगफली मिल सकती है।

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9. मूंगफली की बिक्री और फायदा।

मूंगफली का मार्केट बहुत अच्छा है। चाहे आप मंडी में बेचो, तेल मिल वालों को दो या खुद ब्रांड बनाकर बेचो  हर जगह डिमांड बनी रहती है।

  • तेल निकलवाकर बेचने से ज्यादा मुनाफा होता है।
  • फसल बचा कर मूंगफली का बीज बेचने का भी ऑप्शन है।

अच्छे मार्केटिंग से आप मूंगफली से 40,000 से 70,000 रुपये प्रति एकड़ तक कमा सकते हो।

आखिर में – मेरी सलाह।

देखो भाई, मूंगफली की खेती मेहनत और तकनीक दोनों का खेल है। अगर आपने बीज सही लिया, समय पर सिंचाई की, खाद-कीटनाशक का ध्यान रखा, तो ये खेती आपकी कमाई को एक अलग लेवल पर पहुंचा सकती है।

तो अब देर किस बात की? अगली फसल में एक एकड़ ट्राय करके देखो, फिर खुद समझ आ जाएगा कि मूंगफली कितना फायदा देती है।

अगर आपको यह जानकारी काम की लगी हो तो इसे दूसरों किसान भाइयों के साथ जरूर शेयर करना।

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