भारतीय कृषि की 10 प्रमुख विशेषताएं | Top 10 major features of indian agriculture in hindi

कृषि की विशेषताएं

features of indian agriculture in hindi : जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। तथा देश का हर दूसरा व्यक्ति कृषि या उससे संबंधित व्यवसाय से ही अपना आजीविका चलाता हैंं। कृषि देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कृषि से विभिन्न उद्योगों को कच्चा माल प्राप्त होता है तो देश के विकास में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा हैंं। 

भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषताएं | features of indian agriculture :

भारतीय कृषि की 10 प्रमुख विशेषता निम्नलिखित है 

(A). मानसून पर निर्भरता :

भारतीय कृषि को मानसून का जुआ कहा जाता है क्योंकि भारत के कुल कृषि क्षेत्रफल का लगभग 44% भाग ही सिंचित है जबकि लगभग 56% भाग मानसून की मेहरबानी पर ही निर्भर है। आजादी के बाद से सिंचाई सुविधाओं में विस्तार के बावजूद कुल कृषि क्षेत्रफल का मात्र एक तिहाई क्षेत्रफल ही सिंचाई द्वारा प्रदान किया जाता है बाकी क्षेत्रफल का मानसून की खामियाजा भुगतना पड़ता है। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा देश का हर दूसरा व्यक्ति कृषि या उससे संबंधित व्यवसाय से ही अपना आजीविका चलाता है। कम या अधिक वर्षा की स्थिति में हमारी फसलें प्रभावित होती हैं जिससे इसका सीधा सा प्रभाव देश के हर दूसरे व्यक्ति पर पड़ता है। जिससे कि उसकी आय में कमी आने पर देश की पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती हैं।

(B). कुल फसलों में खाद्यान्न फसलों की प्रमुखता :

कृषि की एक प्रमुख विशेषता खाद्यान्न फसलों की प्रधानता है। सवा अरब से अधिक जनसंख्या वाला देश होने के कारण भारत पर जनसंख्या का अधिक दबाव होता है। अतः इस जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने के लिए भारत मुख्य रूप से खाद्यान्न फसलों का ही उत्पादन करता है। जिसमें धान व गेहूं मुख्य फसलें हैं। आज कुल कृषि क्षेत्रफल का लगभग 64.8% से अधिक कृषि क्षेत्रफल पर खाद्यान्न फसलें ही उगाई जाती है। features of indian agriculture
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(C). फसलों की विविधता :

उत्तर से जम्मू कश्मीर से लेकर दक्षिण की कन्याकुमारी तक भारत विभिन्न प्रकार के जलवायु व मृदा वाला एक विशाल देश है। इसलिए अलग-अलग जलवायु व मृदा आदि के कारण देश में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं।

(D). कृषि पर अधिकांश जनता का निर्भरता :

कृषि भारत की अधिकांश जनसंख्या की आजीविका का साधन रहा है। देश के कुल श्रमिकों की संख्या का लगभग 58.2 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या आज भी कृषि क्षेत्र से ही अपना आजीविका चलाते हैं। तथा देश की जनसंख्या का लगभग 68.84 प्रतिशत जनसंख्या का निवास गांव ही है। अतः वह सभी जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर ही निर्भय रहती हैं। features of indian agriculture

(E). कृषि जोत का छोटा आकार :

भारत में औसत जोत का आकार बहुत छोटा है। जनसंख्या की वृद्धि के कारण यह आकार और छोटा होता जा रहा है। भारत में औसत कृषि जोत का आकार 1.06 हेक्टेयर तथा प्रति व्यक्ति भूमि की उपलब्धता 0.10 हेक्टेयर हैंं।

(F). कृषि फसलों की निम्न उत्पादकता :

भारत विभिन्न फसलों जैसे- धान, गेहूं, गन्ना, कपास व सब्जी आदि के उत्पादन में प्रमुख स्थान रखता हैंं। भारत को यह उत्पादन अधिक कृषि क्षेत्रफल की वजह से ही है। यदि प्रति हैक्टेयर उत्पादकता की बात की जाए तो यह अनेक फसलों के मामले में चीन, ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में बहुत ही कम है। अधिकांश भारतीय कृषक परंपरा में बंढ़े, अंधविश्वासी, अशिक्षित और रूढ़िवादी होते है। और तो और उनमें जोखिम लेने की क्षमता भी बहुत कम होती है। वे आमतौर पर नई तकनीक को अपनाने से पीछे हटते हैं। अच्छे बीज, उर्वरक व तकनीक आदि को न अपनाकर रूढ़िवादी में ही भरोसा रखते हैं। अतः देखा जाए तो भारतीय कृषि के निम्न उत्पादकता उसकी कृषि की एक प्रमुख विशेषता है। जिसको सुधार कर भारत बढ़ती हुई आबादी के लिए भोजन को उपलब्ध करा सकता हैंं।

(G). कृषि की रूढिवादी तकनीक :

भारत में आज भी कृषि अधिकांशत परंपरागत तकनीक से ही होती है जिसमें लकड़ी का हल, पाटा, खुरपा आदि मुख्य कृषि यंत्र है। किसान आज भी कृषि के लिए बैलो आदि से जुताई आदि का कृषि कार्य करता तथा फसलों की बुवाई करता है। उर्वरकों एवं कीटनाशकों की खपत भी विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। इसका एक प्रमुख कारकों कृषकों की निर्धनता तथा दूसरी ओर श्रम की बहुलता ही है।

(H). खाद्यान्न उत्पादन में क्षेत्रीय असमानता :

देश के विभिन्न क्षेत्रों में कृषि उत्पादन भिन्न-भिन्न है। यदि गेहूं की बात कर ली जाए तो पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश इसके प्रमुख उत्पादक राज्य है तो बहुत से राज्य गेहूं का आयात करते हैं। ठीक उसी तरह गन्ना, कपास, काफी व चाय आदि के मामले में भी देखा जाता हैंं।

(I). कृषि में बेरोजगारी की अधिकता :

भारतीय कृषि में बेरोजगारी की अधिकता भी एक प्रमुख विशेषता है। और यह बेरोजगारी मौसमी तथा छुपी प्रकार की हैंं। औसतन कृषि श्रमिकों को वर्ष में मात्र 150 से 180 दिन ही काम मिल पाता हैंं। अन्य दिनों मे रोजगार के लिए यह शहरों की ओर भागते हैं।

(J). कृषि का समस्या ग्रस्त विशेष स्वरुप :

कहा जाता है कि भारतीय कृषक ऋण में ही जन्म लेता है और इनमें ही मर जाता है इसका सबसे अच्छा उदाहरण किसानों की आत्महत्या है। घटिया बीज, उर्वरकों का कम प्रयोग, सिंचाई की कमी, मृदा अपरदन, रोगों एवं कीटों का प्रकोप, भूमि की उर्वरता में हास अशिक्षा एवं गरीबी आदि से घिरा भारतीय कृषक इस समस्याओं से निकल नहीं पाता और गरीबी में ही मर जाता है।

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