जानिये क्या होता है धान में खैरा रोग | khaira disease of paddy in hindi
धान के खैरा रोग के लक्षण, कारण एवं उसका नियंत्रण
Khaira disease of paddy in hindi : धान सम्पूर्ण विश्व की एक महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसलों में से एक है। हमारे देश में भी उगाई जाने वाली खाद्यान्न फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी 200 से भी अधिक प्रजातियों का उत्पादन देश के विभिन्न हिस्सों में की जाती हैं। इसकी खेती हमारे देश में बड़े पैमाने पर की जाती है लेकिन सूचना क्रांति के इस युग में भी हमारे देश के किसान इसकी उत्पादन क्षमता के अनुरूप लाभ नहीं ले पाते इसका एक प्रमुख कारण देश में मानसून की अनिश्चितता, किसानों की अज्ञानता के साथ ही साथ फसलों पर लगने वाले विभिन्न प्रकार के कीटों एवं रोगों का प्रकोप ही है इन्हीं रोगों में से ही एक महत्वपूर्ण रोग है धान का खैरा रोग (khaira disease of paddy in hindi) ।
धान का खैरा रोग के कारण ( Causes of khaira disease of paddy ) :
यह रोग (khaira disease of paddy in hindi) जिंक (Zinc) नाम के पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। जिंक पौधों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है तथा यह एन्जाइम (Enzyme) का ही भाग होता है जो आक्सिन संश्लेषण एवम् शर्कराओं के आक्सीकरण से सम्बन्धित होता है। धान में खैरा रोग (khaira disease of paddy in hindi) केवल उन मृदाओं में ही उत्पन्न होता है जिनमें इस पोषक तत्व का अभाव होता है तथा यह रोग उन मृदाओ में भी पाया जाता है जिन मृदाओं मे जिंक की उपस्थिति होने पर भी मृदा क्षारता या किसी अन्य कारणों से यह पोषण तत्व पौधों को उपलब्ध नहीं हो पाता हैं।
धान का खैरा रोग के लक्षण (symptoms of khaira disease of paddy in hindi) :
इस रोग का सर्वप्रथम लक्षण पौधशाला में या धान की रोपाई के 10 से 15 दिन के बाद खेतों मे छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में दिखाई पडते हैं। सर्वप्रथम रोग के लक्षण पौधों की पत्तियों के आधार पर हरिमाहीनता के रूप में प्रकट होता है और रोगी पौधों के पत्तियों पर सर्वप्रथम छोटे-छोटे भूरे रंग के धब्बों के रुप मे प्रकट होते है, जो समय के साथ बढ़ते हुए पत्तियों के सभी भागों में फैल कर कत्थई रंग में बदल जाते हैं जिससे की पूरी की पूरी पत्तियों सुखने लगती है।
यदि दूसरे लक्षण के रूप में देखा जाए तो रोग ग्रस्त पौधे छोटे रह जाते हैं तथा उनकी जड़ों का विकास भी रुक जाता है पौधों में या तो बालियां बन ही नहीं पाती या बनती भी है तो उन बालियों में दानों की संख्या कम हो जाती है। जिससे की फसल के उत्पादन में भारी गिरावट देखी जाती है यदि यह रोग उग्र रूप में उत्पन्न होता है तो पूरा का पूरा फसल ही नष्ट हो जाता है जिससे कि किसानों को काफी हानि कि सामना करना पड़ता है
धान में खैरा रोग का उपचार (control of khaira disease of paddy in hindi) :
धान में खैरा रोग (khaira disease of paddy in hindi) के नियंत्रण का सबसे अच्छा विकल्प बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की जिंक सल्फेट नाम की रासायनिक उर्वरक होती हैं। इस रोग के नियंत्रण के लिए जिंक सल्फेट 33% भारत मे सर्वाधिक लोकप्रिय उर्वरक है। किसी अच्छी कम्पनी का इस उर्वरक की 5 से 6 किलोग्राम की मात्रा प्रति एकड़ प्रर्याप्त होती हैं। जो यूरिया या बालू मे मिला कर छिडकाव किया जाता हैं। आप चाहें तो Zinc EDTA 12% की 0.5 ग्राम की मात्रा प्रति लीटर पानी में मिला भी छिडकाव कर सकते हैं।