ज्वार की खेती: कम खर्च, ज्यादा मुनाफा, किसान का सच्चा साथी?

नमस्कार किसान भाइयों और ग्रामीणों, जैसा कि आप जानते है कि खेती करना आज के वक्त में आसान काम नहीं रहा। कभी मौसम साथ नहीं देता, तो कभी महंगी खाद और बीज जेब ढीली कर देते हैं। लेकिन ऐसे में भी कुछ फसलें ऐसी हैं जो कम पानी, कम लागत और कम झंझट में भी अच्छी कमाई करवा देती हैं। ज्वार यानी कि मोटा अनाज, उनमें से एक है। गांवों में तो ज्वार की रोटी से लेकर जानवरों के चारे तक इसका खूब इस्तेमाल होता ही है, अब शहरों में भी लोग हेल्थ कॉन्शियस हो गए हैं तो इसकी डिमांड और बढ़ गई है। तो क्यों न आप भी ज्वार की खेती से इस बढ़ती डिमांड का फायदा उठाएं?

 आज मैं आपको ज्वार की खेती की पूरी ABCD आसान भाषा में बताऊंगा, ताकि अगली बार आप भी खेत में ज्वार बोने से पीछे न हटें।

ज्वार की खेती: कम खर्च, ज्यादा मुनाफा, किसान का सच्चा साथी?

1. ज्वार क्यों बोना चाहिए? क्या है इसकी खासियत:

अब सबसे पहले बात करते हैं कि आखिर इतने सारे अनाजों में से ज्वार ही क्यों चुना जाए? देखिए भाई, ज्वार को गरीब किसान का अनाज कहा जाता है क्योंकि यह ज्यादा नखरे नहीं करता। चाहे गर्मी हो या थोड़ा सूखा पड़ जाए, यह डटा रहता है। इसकी पैदावार भी अच्छी होती है और खाने से शरीर को भी भरपूर ताकत मिलती है। आजकल लोग मोटा अनाज खाना पसंद कर रहे हैं क्योंकि यह डायबिटीज और मोटापे जैसे रोगों से बचाता है। यानी किसान को मेहनताना अच्छा मिलता है और खरीदार को हेल्थ भी।

ज्वार के पत्ते, तना और भूसा सब कुछ जानवरों के लिए चारे में इस्तेमाल हो जाता है। मतलब एक ही फसल से आपको अनाज भी मिलता है और चारा भी  यानी दोहरा फायदा। मार्केट में भी ज्वार का भाव काफी स्थिर रहता है, इसलिए बेचने में ज्यादा झंझट नहीं होता।

कुछ खास बातें जो ज्वार को सबसे अलग बनाती हैं:

  • ज्वार सूखा सहन कर लेता है, ज्यादा बारिश न हो तो भी चलता है।
  • इसकी खेती में ज्यादा यूरिया या कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती।
  • गरीब किसान से लेकर बड़े किसान तक इसे आसानी से उगा सकते हैं।
  • इससे बनी रोटी, राबड़ी और दलिया सेहत के लिए जबरदस्त होती है।
  • ज्वार का चारा दूधारू जानवरों के लिए भी बढ़िया माना जाता है।

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2. सही मौसम और मिट्टी: कब और कहां बोना सही रहेगा?

तो दोस्तों अब बात करते हैं कि ज्वार बोने के लिए मौसम और मिट्टी कैसी होनी चाहिए। देखिए, ज्वार को ज्यादातर किसान खरीफ सीजन यानी बारिश के मौसम में बोते हैं। जून से अगस्त तक इसका सही समय माना जाता है। कुछ किसान इसे रबी सीजन में भी उगाते हैं, लेकिन तब नमी का खास ख्याल रखना पड़ता है। ज्वार के लिए ऐसी मिट्टी सही रहती है जिसमें पानी जल्दी से निकल जाए जैसे काली मिट्टी, दोमट या बलुई मिट्टी। खेत ज्यादा सख्त या पानी जमने वाला होगा तो जड़ें गलने का खतरा रहेगा।

खेत को बोवाई से पहले 2-3 बार अच्छी तरह जोत देना चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इससे बीज अच्छे से जम जाते हैं। अगर खेत में पुरानी खरपतवार ज्यादा हो तो उसे निकालना जरूरी है, वरना वो पोषण खा जाएगी और ज्वार कमजोर रहेगा।

सही मौसम और मिट्टी के लिए ये बातें जरूर याद रखें:

  • बारिश शुरू होते ही ज्वार बोने की तैयारी कर लें।
  • खेत में पानी निकासी की व्यवस्था पक्की रखें।
  • ज्यादा रेतीली मिट्टी में ज्यादा खाद डालनी पड़ सकती है।
  • बीज बोने से पहले बीज शोधन कर लेना सही रहता है।
  • बीज को कतारों में बोएं ताकि देखभाल आसान रहे।

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3. ज्वार की उन्नत किस्में और उनके फायदे?

अब पुरानी किस्मों से काम नहीं चलेगा भाई, उन्नत बीज ही चाहिए जो ज्यादा उत्पादन दे और रोगों से भी बचे। ICAR और कई कृषि विज्ञान केंद्रों ने ज्वार की कई ऐसी किस्में तैयार की हैं जो कम पानी में भी अच्छी उपज देती हैं। मसलन CSV-15, CSV-17, CSH-14 जैसी किस्में किसानों में काफी पॉपुलर हैं। इन किस्मों में बीमारियां कम लगती हैं और दाने मोटे होते हैं जो मंडी में अच्छे दाम दिलवाते हैं।

अगर आप चारे के लिए ज्वार बोना चाहते हैं तो SPV-462 या SPV-669 जैसी किस्में बढ़िया रहेंगी। यह जल्दी तैयार हो जाती हैं और इनमें हरा चारा भी ज्यादा निकलता है। बीज खरीदते वक्त सरकारी बीज केंद्र से ही बीज लें ताकि क्वालिटी गारंटीड रहे।

कुछ चुनिंदा किस्मों के फायदे:

  • CSV-15 किस्म सूखे इलाकों में भी बढ़िया उपज देती है।
  • CSV-17 का दाना बड़ा और चमकदार होता है, मंडी में अच्छा बिकता है।
  • CSH-14 किस्म जल्दी पक जाती है, इसमें रोग भी कम लगते हैं।
  • हाइब्रिड किस्में आम ज्वार से 20-30% ज्यादा उपज देती हैं।
  • बीज की कीमत थोड़ी ज्यादा होगी लेकिन मुनाफा भी उतना ही बढ़ेगा।

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4. देखभाल और सिंचाई: सही रख-रखाव से बढ़ेगा मुनाफा:

देखिए भाई, कोई भी फसल बिना देखभाल के बढ़िया पैदावार नहीं दे सकती। ज्वार भी भले कम पानी मांगता हो लेकिन सही टाइम पर थोड़ी-थोड़ी सिंचाई जरूरी है। बीज बोने के बाद पहली सिंचाई 20-25 दिन में कर देनी चाहिए। उसके बाद जरूरत के हिसाब से 2-3 बार सिंचाई कर सकते हैं। ज्यादा पानी खेत में खड़ा ना होने दें, वरना फसल को नुकसान होगा।

खरपतवार यानी जंगली घास ज्वार की सबसे बड़ी दुश्मन है। अगर इसे समय पर ना हटाया तो यह सारी खाद और नमी चट कर जाएगी। इसलिए निराई-गुड़ाई जरूरी है। अगर कहीं पत्ती या तना मक्खी का हमला दिखे तो तुरंत कीटनाशक का छिड़काव कर देना चाहिए। जैविक दवाओं से भी फायदा हो सकता है।

देखभाल के कुछ आसान तरीके:

  • पहली निराई बीज बोने के 20 दिन बाद कर लें।
  • 35-40 दिन बाद दूसरी निराई-गुड़ाई कर दें।
  • रोग या कीट का प्रकोप दिखे तो तुरंत कृषि अधिकारी से सलाह लें।
  • खेत में ज्यादा देर पानी रुके ना रहने दें।
  • फसल पकने लगे तो समय पर कटाई कर लें वरना नुकसान होगा।

Comparison Table: ज्वार बनाम बाकी मोटा अनाज:

फसलऔसत लागत (₹/एकड़)औसत उत्पादन (क्विंटल/एकड़)पानी की जरूरतमंडी रेट (₹/क्विंटल)
ज्वार2500-35008-10कम2200-2500
बाजरा3000-40006-8कम2000-2300
मक्का4000-500012-15ज्यादा1800-2200
कोदो3500-45004-6बहुत कम2500-3000
रागी4000-50005-7मध्यम2300-2700

5. ज्वार की कटाई, भंडारण और मार्केटिंग?

अब सबसे मजेदार काम आता है आखिर में – जब मेहनत का फल काटने का वक्त आता है। ज्वार की फसल पकने पर दाने सख्त और पौधा सूखा नजर आने लगे तो समझ जाइए कटाई का सही वक्त आ गया है। कोशिश करें कि कटाई सुबह या देर शाम करें ताकि दाने झड़ें नहीं। कटाई के बाद अच्छी तरह से दाने निकालकर धूप में सुखा लें।

भंडारण के लिए ज्वार को अच्छी तरह सूखा कर बोरी या कंटेनर में भरें ताकि नमी ना लगे। सीलन से बचाने के लिए जगह हवादार रखें। मंडी जाने से पहले लोकल रेट जरूर पता कर लें ताकि बिचौलियों से ठगे ना जाएं। सीधे मिल या प्रोसेसर को बेचेंगे तो और ज्यादा फायदा मिलेगा। चारा भी अलग से बेचा जा सकता है या घर के जानवरों के काम आ सकता है।

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कटाई और बिक्री में ध्यान रखने वाली बातें:

  • कटाई में देर करेंगे तो दाने झड़कर नुकसान होगा।
  • दानों को धूप में अच्छे से सुखाना जरूरी है।
  • मंडी रेट रोज चेक करते रहें।
  • सीधे मिल या व्यापारी से डील करें।
  • जानवरों के लिए चारा बचा कर रखें या बेचें।

निष्कर्ष: अब अगली बार ज्वार को मौका जरूर दें?

तो दोस्तों, देखा आपने? ज्वार की खेती में कितनी आसानी और कितनी कमाई छुपी है। कम पानी, कम लागत, ज्यादा फायदा। इससे बढ़िया पैकेज क्या होगा किसी किसान के लिए, अगर आप भी अपनी खेती में कोई नई फसल आजमाना चाहते हैं तो ज्वार से बेहतर शुरुआत कोई नहीं। उम्मीद है आपको यह जानकारी काम की लगी होगी। ऐसे ही देसी भाषा में खेती के नए-नए आईडिया जानने के लिए मेरी वेबसाइट पर बार-बार आते रहिए। कोई सवाल हो तो बेहिचक पूछिए, मैं तो यहीं हूं – आपके खेत से लेकर मोबाइल स्क्रीन तक, हमेशा आपके साथ।

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