किसान भाइयों जब किसान अधिक उत्पादन की बात करते हैं, तो सबसे पहले सवाल आता है – कौन सी धान की किस्म बोएं? भारत में ऐसी कई उन्नत धान की किस्में विकसित की गई हैं जो कम समय में ज्यादा उपज देती हैं। इन किस्मों में “विजेता”, “Pusa Basmati 1121”, “Swarna (MTU 7029)”, “IR 64”, और “MTU 1010” जैसी वैरायटीज़ काफी लोकप्रिय हैं। ये किस्में केवल ज्यादा पैदावार ही नहीं देतीं, बल्कि बीमारियों के प्रति भी मजबूत होती हैं और अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों में भी अच्छे परिणाम देती हैं।
इन उन्नत किस्मों का चयन करते समय मिट्टी की गुणवत्ता, मौसम, जल उपलब्धता और खेत की देखरेख को ध्यान में रखना ज़रूरी होता है। उदाहरण के लिए, Pusa Basmati 1509 कम पानी में भी अच्छी उपज देती है और जल्दी पक जाती है। इसी तरह, Swarna किस्म मध्यम अवधि में तैयार होती है और अधिक उपज के लिए जानी जाती है। इन किस्मों की मदद से किसान कम लागत में अधिक उत्पादन हासिल कर सकते हैं, जिससे उनकी आमदनी बढ़ती है और खेती टिकाऊ बनती है।
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1. हाई यील्ड धान का मतलब क्या होता है?
देखो भाई, जब हम “High Yield” कहते हैं, तो सीधा मतलब होता है – उत्पादन ज़्यादा। यानी जो धान की किस्में सामान्य किस्मों की तुलना में ज्यादा दाने देती हैं। ये किस्में वैज्ञानिक तरीके से विकसित की जाती हैं ताकि इनका उत्पादन अधिक हो, और ये कीट या बीमारियों के प्रति भी सहनशील रहें।
क्यों जरूरी है High Yield Varieties?
- कम ज़मीन में ज्यादा फसल: छोटे खेतों में भी बेहतर मुनाफा मिलता है।
- कम पानी में ज्यादा उत्पादन: कुछ किस्में सूखा सहन कर सकती हैं।
- कम समय में तैयार: कई किस्में 120 से 140 दिन में ही पक जाती हैं।
- कीट-रोगों से सुरक्षा: कई किस्में बैक्टीरिया व कीटों से बची रहती हैं।
2. भारत की टॉप High Yield Paddy Varieties
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। अधिक उत्पादन पाने के लिए किसानों को High Yield Paddy Varieties का चयन करना बहुत जरूरी होता है। इन किस्मों को इस तरह विकसित किया गया है कि ये कम समय में ज्यादा उपज देती हैं, रोगों के प्रति सहनशील होती हैं और बदलते मौसम को भी आसानी से झेल सकती हैं। आज के समय में जब खेती में मुनाफा घटता जा रहा है, तब ऐसी किस्में किसानों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरी हैं।
कुछ प्रमुख High Yield Paddy Varieties जैसे कि ‘विजेता’, ‘स्वर्णा सब-1’, ‘पीआर 126’, ‘आरएमटी 1’, ‘एनटी 809’ आदि खासकर उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा, यूपी और बिहार के इलाकों में बहुत लोकप्रिय हैं। ये किस्में सिर्फ उत्पादन बढ़ाने में मदद नहीं करतीं, बल्कि इनकी गुणवत्ता और बाजार मांग भी बेहतर होती है। सही समय पर बुवाई, उचित खाद और पानी के प्रबंधन के साथ ये किस्में प्रति हेक्टेयर 60–80 क्विंटल तक उपज दे सकती हैं। यदि किसान इन किस्मों की जानकारी लेकर वैज्ञानिक तरीके से खेती करें, तो उन्हें अच्छी आमदनी मिल सकती है।
प्रमुख High Yield Paddy Varieties का विवरण
क्रम | धान की किस्म | औसत उत्पादन (क्विंटल/हेक्टेयर) | अवधि (दिनों में) | विशेषता |
1 | स्वर्णा (Swarna) | 60-70 | 145-150 | जलभराव सहनशील, बड़े दाने |
2 | शताब्दी (Shatabdi) | 55-65 | 135-140 | जल्दी तैयार, कम रोग |
3 | विजेता (Vijeta) | 65-75 | 130-135 | कम पानी में बढ़िया उत्पादन |
4 | समृद्धि (Samriddhi) | 70-80 | 125-130 | हाइब्रिड बीज, रोग प्रतिरोधी |
5 | PR-126 | 75-85 | 120-125 | पंजाब व हरियाणा में प्रसिद्ध |
6 | MTU-1010 | 60-65 | 135-140 | आंध्र प्रदेश में लोकप्रिय |
7 | IR-64 | 55-65 | 120-130 | कम लागत, मध्यम किस्म |
8 | DRR Dhan 45 | 65-70 | 135-140 | Bacterial Leaf Blight से सुरक्षित |
9 | Hybrid 6444 Gold | 80-90 | 130-135 | हाईब्रीड, ज्यादा पैदावार |
10 | Pusa Basmati 1121 | 50-60 | 140-145 | खुशबूदार, निर्यात के लिए बेहतर |
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3. अलग-अलग राज्यों के अनुसार उच्च उत्पादन वाली किस्में
भारत एक विशाल कृषि प्रधान देश है, जहां हर राज्य की जलवायु, मिट्टी और सिंचाई की स्थिति अलग होती है। इसी वजह से धान की किस्में भी राज्य अनुसार चुनी जाती हैं ताकि उत्पादन अधिक से अधिक हो सके। उदाहरण के तौर पर, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों में पानी की भरपूर उपलब्धता के कारण सार्वती (Swarna) और IR-64 जैसी किस्में खूब उपज देती हैं। ये किस्में जलभराव में भी अच्छा प्रदर्शन करती हैं और इनकी पकने की अवधि भी मध्यम होती है।
दूसरी ओर, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी राज्यों में अधिक उपज के लिए PR-126, Pusa Basmati 1121, और HD 2967 जैसी किस्में उपयोग में लाई जाती हैं। इन राज्यों में जल की सीमित उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए ऐसे बीजों का चयन होता है जो कम पानी में भी अच्छी फसल दें। इसके अलावा, दक्षिण भारत में जैसे तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में MTU-1010 और BPT-5204 को अधिक पसंद किया जाता है, क्योंकि ये किस्में स्थानीय मौसम के अनुसार अनुकूल होती हैं और रोग-प्रतिरोधक भी हैं।
1. उत्तर भारत (पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश)
यहां पर शीत ऋतु जल्दी आती है, इसलिए PR-126, Pusa 1121, और Vijeta जैसी किस्में अच्छी चलती हैं। ये कम समय में पकती हैं और इनकी बाजार में कीमत भी अच्छी मिलती है।
2. पूर्वी भारत (बिहार, झारखंड, बंगाल)
यहां जलभराव एक आम समस्या होती है। इसलिए Swarna, Shatabdi, और MTU-1010 जैसी किस्में जो पानी सहन कर सकती हैं, वो ज़्यादा उपयुक्त हैं।
3. दक्षिण भारत (आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक)
यहां की गर्मी और मॉनसून आधारित खेती के लिए MTU-1010, IR-64, और Hybrid 6444 Gold बहुत उपयुक्त साबित होती हैं।
4. High Yield Paddy Varieties चुनते समय ध्यान देने वाली बातें
जब किसान उच्च उत्पादन देने वाली धान की किस्म (High Yield Paddy Variety) चुनते हैं, तो उन्हें सिर्फ नाम या प्रचार के आधार पर निर्णय नहीं लेना चाहिए। सबसे पहले, यह देखना जरूरी है कि वह किस्म उनके इलाके की मिट्टी, मौसम और पानी की उपलब्धता के अनुसार उपयुक्त है या नहीं। उदाहरण के लिए, उत्तर भारत की जलवायु में सफल रहने वाली किस्में दक्षिण भारत में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकतीं। इसलिए किस्म का क्षेत्रीय अनुकूलन बहुत जरूरी होता है।
इसके अलावा, बीज खरीदते समय उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता, पकने का समय (early या late maturity), और प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता की भी तुलना करनी चाहिए। कुछ किस्में जल्दी पकती हैं, जिससे दूसरी फसल लगाने के लिए समय मिल जाता है, जबकि कुछ किस्में देर से पकती हैं लेकिन अधिक उत्पादन देती हैं। किसान को अपने खेती के चक्र, बाजार की मांग, और लागत-लाभ का सही आकलन करके ही किस्म का चयन करना चाहिए। स्थानीय कृषि वैज्ञानिकों या कृषि विभाग से सलाह लेना हमेशा फायदेमंद होता है।
1. अपने क्षेत्र की जलवायु देखो
– अगर आपके खेत में ज्यादा पानी रुकता है, तो जलभराव सहन करने वाली किस्म लें।
2. बाजार मांग देखो
– खुशबूदार किस्में (जैसे Pusa Basmati) को निर्यात के लिए अच्छी कीमत मिलती है।
3. उर्वरक की जरूरत समझो
– कुछ हाईब्रीड किस्मों को ज्यादा खाद की जरूरत होती है। इसलिए लागत का भी ध्यान रखें।
5. उर्वरक और पानी की जरूरत
फसल की अच्छी पैदावार के लिए उर्वरक और पानी दोनों की सही मात्रा और समय पर उपलब्धता बहुत जरूरी होती है। उर्वरक पौधों को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जैसे- नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश। इन तत्वों की कमी से पौधे कमजोर पड़ जाते हैं और उत्पादन घट जाता है। जैविक खाद (गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट) और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग मिट्टी की सेहत बनाए रखने में मदद करता है।
पानी की बात करें तो हर फसल की अपनी जरूरत होती है, लेकिन सिंचाई का सही समय और तरीका जानना भी जरूरी है। जरूरत से ज्यादा पानी देने से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं, जबकि कम पानी से फसल मुरझा सकती है। टपक सिंचाई (Drip Irrigation) और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकें पानी की बचत के साथ-साथ पौधों को सही मात्रा में नमी भी देती हैं। इसलिए, उर्वरक और पानी की समझदारी से की गई योजना खेती को लाभदायक बना सकती है।
खाद की योजना
चरण | खाद का नाम | मात्रा (किलो/हेक्टेयर) |
बुवाई से पहले | डीएपी (DAP) | 100-120 |
कल्ले निकलते समय | यूरिया | 80-100 |
फूल आने पर | पोटाश | 50-60 |
पानी की जरूरत
– धान को 4-5 बार अच्छी सिंचाई की जरूरत होती है
– बुवाई, कल्ले बनना, फूल आना और दाना बनना – इन चार स्टेज पर पानी बहुत जरूरी होता है
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6. बीज खरीदते समय यह 5 बातें ज़रूर देखो
जब भी किसान बीज खरीदने बाजार जाता है, तो केवल कम दाम या ब्रांड देखकर बीज खरीद लेना सही तरीका नहीं होता। अच्छी फसल और अधिक उत्पादन के लिए बीज की गुणवत्ता सबसे जरूरी होती है। इसलिए बीज खरीदते समय कुछ खास बातों पर ध्यान देना चाहिए, जिससे भविष्य में नुकसान न हो।
1. प्रमाणित बीज हो: सबसे पहले देखें कि बीज किसी प्रमाणित स्रोत से खरीदा गया हो। पैकेट पर नीला टैग हो, जिससे पता चले कि यह प्रमाणित बीज है।
2. अंकुरण क्षमता: बीज का अंकुरण प्रतिशत कम से कम 80% होना चाहिए, जिससे अधिक पौधे उगें और खेत खाली न रहे।
3. किस्म की जानकारी: बीज किस मौसम और क्षेत्र के लिए उपयुक्त है, यह जरूर जान लें।
4. उत्पादन तिथि और वैधता: पैकेट पर बनी तिथि और एक्सपायरी जरूर जांचें। पुराना बीज खराब परिणाम दे सकता है।
5. कंपनी और रिव्यू: प्रतिष्ठित कंपनी का बीज लें और स्थानीय किसानों से फीडबैक जरूर लें कि उस बीज की परफॉर्मेंस कैसी रही है।
इन बातों को ध्यान में रखकर बीज खरीदने से आप बेहतर उत्पादन, कम लागत और अच्छी आमदनी सुनिश्चित कर सकते हैं।
- प्रमाणित बीज ही खरीदें, लोकल मार्केट से न लें
- उत्पादन कंपनी का नाम जांचें – ICAR, Krishi Vigyan Kendra आदि
- बीज पर Expiry Date जरूर देखें
- बुआई के समय का ध्यान रखें, ताकि फसल मौसम के अनुसार पक सके
- पैकेट पर किस्म का नाम जांचें, जिससे गलत किस्म न मिल जाए

इसी प्रकार कृषि संबंधी जानकारी पाने के लिए बने रहिए “Kisansahayata.Com” के साथ।
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7. हाई यील्ड किस्मों से जुड़ी 10 रोचक बातें
- भारत में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली हाई यील्ड किस्म Swarna है।
- Pusa Basmati 1121 की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है।
- Hybrid 6444 Gold से एक एकड़ में 35-40 क्विंटल तक धान मिलता है।
- कुछ किस्में सूखा भी सहन कर लेती हैं जैसे Vijeta।
- Swarna किस्म जलभराव वाले क्षेत्रों के लिए आदर्श है।
- DRR Dhan 45 को खासतौर पर बीमारियों से लड़ने के लिए बनाया गया है।
- PR-126 किस्म पंजाब में धान की खेती की रीढ़ बन गई है।
- IR-64 किस्म बहुत पुरानी है लेकिन आज भी विश्वसनीय है।
- MTU-1010 की खासियत है कि ये कम खाद में भी अच्छा उत्पादन देती है।
- High Yield Varieties से किसान की आमदनी 30% तक बढ़ सकती है।
निष्कर्ष : High Yield Paddy Varieties in India – भारत की सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली धान की किस्में
भाई, अब तो बात साफ हो गई है कि अगर आपको अपनी मेहनत का सही फल चाहिए, तो बीज का चुनाव बहुत सोच-समझकर करना होगा। High Yield Paddy Varieties का सही चुनाव ही आपकी कमाई को दोगुना कर सकता है।