हरित क्रांति क्या है,भारत में हरित क्रांति का प्रभाव | green revolution and its impact on indian economy in hindi
Green revolution impact in hindi : हरित क्रांति ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बड़ा प्रभाव डाला यह भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दोनों रूप से प्रभावित किया। देश में कृषि उत्पादन को शुन्य से लेकर शिखर तक पहुंचाया तथा देश को एक कृषि प्रधान देश बनाने में भी काफी योगदान दिया। हरित क्रांति की ही देन है जिसकी वजह से आज हमारा देश अधिकतर फसलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के साथ ही साथ यह विभिन्न देशों में इसका निर्यात भी कर सका। आज हमारा देश धान व गेहूं सहित दर्जनों फसलों का जो विदेशों में निर्यात करता है उसका एकमात्र योगदान हरित क्रांति को ही दिया जा सकता हैं।
तो आइए भारतीय अर्थव्यस्था पर हरित क्रांति के पड़ने वाले प्रभावों (Green revolution impact in hindi) को विस्तार से जानते है
हरित क्रांति के लाभ | advantages of green revolution in hindi :
हरित क्रांति ने भारतीय अर्थव्यवस्था (impact of green revolution on indian economy in hindi) पर निम्नलिखित साकारात्मक प्रभाव डाला
(A) खाद्यानो के उत्पादन में भारी वृद्धि :
हरित क्रांति का सर्वाधिक प्रभाव देश के खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ा था तथा इसका सर्वाधिक प्रभाव देश के प्रमुख खाद्यान्न फसलें धान एवं गेहूं पर देखा गया। धान की बात की जाए तो पूरे देश में जहां धान का उत्पादन सन् 1965-66 में जहां 72.4 मिलियन टन था। तथा हरित क्रांति के प्रभाव के कारण यह उत्पादन बढ़कर 1978-79 में 131.9 मिलियन टन तक पहुंच गया। दूसरी तरफ अगर गेहूं की बात की जाए तो सन 1965-66 में जहां गेहूं का उत्पादन पूरे देश में 10.4 मिलियन टन से बढ़कर 1978-79 में यह उत्पादन 35.5 मिलीयन तक पहुंच गया था।
(B) खाद्यान्नों का आयात में कमी :
आजादी के समय भारत कुल खाद्यान्नों के मामले में दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश था। परन्तु हरित क्रांति के फलस्वरूप खाद्यान्नों में असीमित वृद्धि के वजह से भारत ना सिर्फ खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर बना बल्कि खाद्यान्नों का निर्यात भी करने लगा।
(C) कृषि बचत में वृद्धि :
हरित क्रांति के फल स्वरुप खाद्यान्नों में अत्याधिक वृद्धि के वजह से किसानों के आय मे वृद्धि दर्ज की गयी। यह वृद्धि विशेष रूप से औद्योगिक विकास में लाभदायक रही।
(D) कृषि के क्षेत्र में रोजगार के अवसर में वृद्धि :
हरितक्रांति के फलस्वरूप कृषि उत्पादन में वृद्धि होने की वजह से कृषि में रोजगार मे भी वृद्धि दर्ज की गई। कृषि मे रोजगार के नये-नये द्वार खुल गए। जहां पर पहले एक वर्ष में सिर्फ एक ही फसलों का उत्पादन होता था वहां पर अब दो या उससे अधिक फसलों का उत्पादन होने लगा जिसके वजह से इनमे वृद्धि हुई। अधिक उत्पादन के वजह से कृषि आधारित उद्योगों का विकास हुआ जिसके वजह से उद्योगों में भी रोजगार में वृद्धि दर्ज की गई।
(E) कृषि निवेश में वृद्धि :
आजादी के पहले कृषि एक घाटे का सौदा हुआ करता था। परन्तु हरित क्रांति के बाद यह फायदेमंद सौदा में बदल गया। अतः कृषि में अधिक लाभ कमाने के लिए पूंजीपतियों द्वारा इसमें तरह-तरह के निवेश किया गया।
(F) ग्रामीण विकास मे वृद्धि :
हमारे देश में आज भी बहुत बड़ी जनसंख्या गांव में निवास करती है तथा इसका जीवन निर्वाह का एकमात्र विकल्प कृषि ही है। और कृषि के उत्पादन में वृद्धि होने पर इसका सीधा सा प्रभाव इनके रहन-सहन पर पड़ा।
(G) खाद्यान्नों के दामों में स्थिरता :
हरित क्रांति से पहले देश में खाद्यान्नों के मूल्य के निर्धारण के लिए कोई विशेष आयोग नहीं था। जिससे इन खाद्यान्नों के मूल्यों में काफी उतार-चढ़ाव दर्ज की जाती थी। कभी यह दाम काफी अधिक होने की वजह से उपभोक्ताओं को परेशानीयो का सामना करना पडता था तो कभी कृषक को उनकी उपज का उचित मूल्य तक नहीं मिल पाता था। लेकिन हरित क्रांति के बाद इन खाद्यान्नों के मूल्य में परिवर्तन को रोकने के लिए एक विशेष आयोग का गठन किया गया जिससे इन खाद्यान्नों के दामों में उतार-चढ़ाव काफी हद तक नियंत्रण मे हो गए।
हरित क्रांति के हानि | disadvantages of green revolution in hindi :
भारतीय अर्थव्यवस्था पर हरित क्रांति (impact of green revolution on indian economy in hindi) का निम्नलिखित नाकारात्मक प्रभाव पडा
(A) मृदा उर्वरता में कमी :
हरित क्रांति के प्रभाव से देश में कुल खाद्यान्नों के उत्पादन में तो अत्यंत वृद्धि तो हुई परन्तु इसका सर्वाधिक नकारात्मक प्रभाव देश की मृदा पर ही पड़ा। क्योंकि कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के कृषि रसायन व कृषि उर्वरकों का अत्याधिक प्रयोग किया जाता है जिसका सीधा प्रभाव मृदा पर ही पड़ता है। जिससे कि मृदा की उर्वरता क्षमता घट जाती है तथा मृदा में उपस्थित विभिन्न प्रकार के सहायक भी नष्ट हो जाते हैं।
(B) कृषि उत्पाद की गुणवत्ता मे कमी :
आधुनिक कृषि में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के कृषि रसायनो, कृषि उर्वरकों तथा अधिक उत्पादन देने वाली बीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे कृषि उत्पादन तो बढ़ता है। साथ ही साथ यह कृषि उत्पादन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। देसी किस्मे कृषि उत्पादन कम तो देती थी लेकिन यह पोषक तत्वों से परिपूर्ण थी। अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि कृषि उत्पाद मे अब वह गुणवत्ता नही रहा जो पहले हुआ करता था।
(C) छोटे व सीमांत किसानों पर प्रभाव :
आधुनिक कृषि में उन्नतशील बीजो, कृषि रसायनों व उर्वरकों को बाजार में खरीदना पड़ता है। चूंकि हमारे देश के अधिकतर किसान गरीब व मध्य वर्ग के हैं। अतः वे इन महंगे उत्पाद को खरीदने में असमर्थ होते हैं और कर्ज की जाल में फस जाते हैं।
(D) पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव :
आधुनिक कृषि में प्रयोग होने वाले कृषि रसायन व उर्वरको से मृदा उर्वरता में कमी आती है साथ ही साथ यह जलीय जीवो, नदियों आदि को भी दूषित कर देते हैं इसका सीधा प्रभाव हमारे पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य पर पड़ता हैं। Green revolution impact hindi
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