गेहूं की पैदावार बढ़ाने के तरीके: कम खर्च, ज्यादा मुनाफा?

नमस्कार किसान भाइयों, जैसा की आप जानते है कि कुछ दिन मे सर्दिया आने वाली है तब बात आती है सबसे भरोसेमंद फसल की ,तो हर किसान सबसे पहले गेहूं का ही नाम लेता है। गेहूं की खेती सालों से किसानों की कमाई की रीढ़ रही है, लेकिन कई बार मेहनत के बावजूद पैदावार उम्मीद से कम निकलती है। अब सवाल उठता है आखिर गेहूं की पैदावार बढ़ाने के तरीके कौन-कौन से हैं? कैसे थोड़ी समझदारी से आप अपने खेत से ज्यादा दाना निकाल सकते हैं?

आज मैं आपको बिल्कुल आसान भाषा में वो सारे तरीके बताने वाला हूं जिनसे आप अपनी गेहूं की फसल को बेहतर बना सकते हैं वो भी बिना ज्यादा खर्च और झंझट के।

सही किस्म का चुनाव: शुरुआत यहीं से होती है

सबसे पहली चीज है गेहूं की किस्म। कई किसान पुराने बीजों पर ही भरोसा कर लेते हैं, लेकिन याद रखें बीज ही आधार है। अगर आप ज्यादा पैदावार चाहते हैं तो अपने इलाके के हिसाब से बेहतर किस्म चुनें। मौसम, मिट्टी और सिंचाई की सुविधा को देखते हुए हाई यील्ड वैरायटी लगाना सबसे सही रहता है।

कुछ सही किस्में जो आप देख सकते हैं:

  1. HD-2967 – यह उत्तर भारत में बहुत चलती है।
  2. PBW-343 – पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के लिए बढ़िया।
  3. DBW-187 – सूखे इलाके और लेट बोवाई के लिए भी सही है।
गेहूं की पैदावार बढ़ाने के तरीके: कम खर्च, ज्यादा मुनाफा?

बीज का उपचार: छोटा कदम, बड़ा फायदा?

आपको बता दे कि कई बार बीजों में फफूंद या कीड़े पहले से होते हैं, जो उगने के बाद पौधों को कमजोर कर देते हैं। इसलिए बीज का उपचार करना जरूरी है। बोवाई से पहले बीज को फफूंद नाशक से जरूर ट्रीट करें। यह छोटा सा काम बाद में बड़ी बीमारी से बचा सकता है।

  1. प्रति किलो बीज को 2.5 ग्राम थाइरम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।
  2. दवा का घोल ताजा बनाएं और बीजों को अच्छे से मिलाएं।
  3. उपचार के बाद बीज को छाया में सुखा लें, फिर बोवाई करें।

खेत की तैयारी: मिट्टी बोलेगी तो पैदावार बोलेगी?

कई लोग सोचते हैं कि बीज डाल दो, सिंचाई कर दो और काम खत्म , पर असली गेम खेत की तैयारी में ही छुपा है। अगर जमीन नरम और भुरभुरी न हो तो पौधे की जड़ें ठीक से नहीं फैलेंगी और पोषक तत्व भी नहीं मिलेंगे। इसलिए बोवाई से पहले खेत की 2-3 बार जुताई जरूर करें।

पहली जुताई गहरी करें ताकि पुरानी फसल के अवशेष और जड़ें खत्म हो जाएं। दूसरी जुताई में मिट्टी को भुरभुरा बनाएं और लेवल कर दें। अगर खेत में पानी जमने की संभावना है तो हल्की ढलान बनाकर पानी निकासी की व्यवस्था कर लें।

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सही समय पर बोवाई: देर न करें, वरना नुकसान

गेहूं की बुवाई का सही वक्त ही पैदावार का सबसे बड़ा राज है। आम तौर पर अक्टूबर के आखिर से नवंबर के पहले या दूसरे हफ्ते तक बोवाई करना सही रहता है। ज्यादा देर करने पर मौसम बदलने लगता है और दाना कमजोर रह जाता है।

सिर्फ सही बीज और समय ही नहीं, बल्कि गेहूं की सिंचाई कैसे करें और गेहूं का उर्वरक और खाद देने का तरीका भी फसल की उपज तय करता है। बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली सिंचाई करना और कल्ले, बालियों व दाने बनने के समय अतिरिक्त पानी देना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही जैविक खाद और संतुलित NPK उर्वरक देने से पौधे मजबूत और रोग-प्रतिरोधक बनते हैं। किसान भाइयों को गेहूं की पैदावार बढ़ाने के तरीके अपनाते हुए खेत में नियमित निगरानी करनी चाहिए और रोग या कीट लगते ही तुरंत उपचार करना चाहिए। सही समय पर कटाई और दानों का उचित भंडारण फसल का मुनाफा सुनिश्चित करता है।

  1. अपने इलाके के मौसम के अनुसार बोवाई की तारीख तय करें।
  2. ज्यादा ठंड या ज्यादा गर्मी में बुवाई से बचें।
  3. लेट बोवाई के लिए जल्दी पकने वाली किस्में लगाएं।

बीज की सही मात्रा और दूरी?

कई बार किसान ज्यादा बीज डाल देते हैं, सोचते हैं पौधे ज्यादा होंगे तो फसल ज्यादा होगी लेकिन ऐसा नहीं होता। ज्यादा घनत्व से पौधों में जगह कम रह जाती है, जिससे दाना कमजोर रहता है। सही मात्रा और दूरी पैदावार बढ़ाती है।

सही तरीका:

  • प्रति एकड़ 40 से 50 किलो बीज काफी है।
  • कतार से कतार की दूरी 20 से 22 सेंटीमीटर रखें।
  • पौधे से पौधे की दूरी 5 से 7 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

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खाद और उर्वरक: पौधों को भी चाहिए खाना?

जिस तरह हमें खाना चाहिए, वैसे ही पौधे भी बिना पोषण के अच्छे नहीं पनपते। खेत में बुवाई से पहले जैविक खाद यानी गोबर की खाद डाल दें। साथ में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश संतुलित मात्रा में दें।

  1. प्रति एकड़ 8-10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालें।
  2. नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P) और पोटाश (K) का सही अनुपात रखें।
  3. यूरिया को दो बार में बांटकर डालें आधा बोवाई के वक्त और आधा फूल आने से पहले।

गेहूं की उपज बढ़ाने के 10 स्मार्ट तरीके:

गेहूं की खेती में सबसे महत्वपूर्ण कदम है सही गेहूं के बीज की किस्में का चुनाव करना। हर इलाके में मिट्टी और मौसम के अनुसार अलग किस्में बेहतर पैदावार देती हैं। उदाहरण के लिए, HD-2967 और PBW-343 जैसे हाई यील्ड गेहूं की किस्में उत्तर भारत और पंजाब-हरियाणा में काफी लोकप्रिय हैं। सही बीज चुनने के साथ-साथ गेहूं की बुवाई की तारीख पर ध्यान देना भी जरूरी है। अक्टूबर के आखिर से नवंबर के पहले हफ्ते तक बुवाई करने से फसल मजबूत और दाने भरपूर होते हैं। इसके अलावा, गेहूं की फसल का समय और मौसम की स्थिति को देखते हुए खेत की तैयारी और बीज का उपचार करना पैदावार बढ़ाने में मदद करता है।

क्रमांकतरीकाक्या करना चाहिएखास बातें
1सही किस्म का चुनावअपने इलाके के अनुसार हाई यील्ड वैरायटी चुनेंजैसे – HD-2967, PBW-343, DBW-187
2बीज का उपचारबोवाई से पहले फफूंद नाशक से उपचारित करें2.5 ग्राम थाइरम या कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज
3खेत की तैयारी2-3 बार गहरी और भुरभुरी जुताई करेंपानी निकासी की सही व्यवस्था रखें
4सही समय पर बोवाईअक्टूबर अंत से नवंबर तक बोवाई करेंमौसम के अनुसार किस्म और तारीख तय करें
5बीज की सही मात्राप्रति एकड़ 40-50 किलो बीजकतार दूरी 20-22 सेमी, पौधे में 5-7 सेमी
6खाद और उर्वरकजैविक खाद और NPK सही मात्रा में देंयूरिया दो बार में डालें
7सिंचाईबुवाई के 20-25 दिन बाद पहली सिंचाईकल्ले, बालियां और दाना बनते वक्त जरूरी
8रोग और कीट नियंत्रणनियमित निगरानी और दवा छिड़कावफसल चक्र बदलें, दीमक से बचाव
9कटाई और भंडारणबालियां पीली होने पर कटाई करेंअच्छी तरह सुखाकर ही स्टोर करें
10आधुनिक तकनीकलेजर लैंड लेवलर, सिंचाई तकनीक अपनाएंपानी और खाद दोनों की बचत

सिंचाई: समय पर पानी, पैदावार में जान?

गेहूं की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान सूखे से होता है। इसलिए सिंचाई का सही वक्त जान लें। पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें। इसके बाद कल्ले निकलते वक्त, बालियां निकलने से पहले और दाना बनने के दौरान सिंचाई सबसे जरूरी होती है।

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  1. पहली सिंचाई बुवाई के 3 हफ्ते बाद जरूर करें।
  2. कल्ले निकलते समय पानी की कमी न होने दें।
  3. ओवर-वॉटरिंग से बचें, वरना जड़ें सड़ सकती हैं।

रोग और कीट नियंत्रण: सतर्क रहें?

गेहूं की फसल में रतुआ, करपा, झुलसा जैसे रोग सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं, जो पौधों की पत्तियों और बालियों को कमजोर कर देते हैं। कई बार खेत में दीमक भी लग जाती है, जो बीजों को जमीन के अंदर ही खा जाती है और अंकुरण खराब कर देती है। अगर सही वक्त पर इलाज न हो तो पूरी मेहनत पर पानी फिर सकता है। इसलिए जरूरी है कि खेत की निगरानी समय-समय पर होती रहे और शुरुआत में ही बीमारी या कीट दिखे तो तुरंत उपाय करें। खेत में सफाई रखना और फसल चक्र बदलते रहना भी बीमारी से बचाव में काफी मदद करता है।

  1. खेत की निगरानी नियमित करें।
  2. रोग दिखे तो तुरंत दवा का छिड़काव करें।
  3. फसल चक्र बदलें, एक ही फसल बार-बार न उगाएं।

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कटाई और भंडारण: मेहनत का सही मोल?

जब गेहूं की बालियां पूरी तरह से पीली पड़ जाएं और दाने सख्त हो जाएं तो समझ लीजिए कि कटाई का सही वक्त आ गया है। अगर आप कटाई में देर कर देंगे तो बालियां टूटकर गिर सकती हैं और दाने भी खेत में झड़ सकते हैं, जिससे सीधा नुकसान होगा। कटाई के बाद दानों को अच्छी तरह से साफ करके धूप में अच्छी तरह सुखा लेना चाहिए ताकि भंडारण के वक्त उनमें नमी न रहे। अगर दानों में नमी रह गई तो बाद में वो सड़ सकते हैं या उनमें कीड़े लग सकते हैं। सही तरीके से सुखाए हुए गेहूं को साफ, सूखी और हवादार जगह पर ही स्टोर करना चाहिए ताकि मेहनत की कमाई सालभर सुरक्षित रहे।

  1. बारिश का मौसम नजदीक हो तो कटाई में देर न करें।
  2. अच्छी तरह सुखाकर ही बोरों में भरें।
  3. भंडारण स्थल साफ और सूखा रखें।
गेहूं की पैदावार बढ़ाने के तरीके: कम खर्च, ज्यादा मुनाफा?

गेहूं की पैदावार बढ़ाने के 10 रोचक फैक्ट्स?

  1. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है।
  2. हर किसान को साल में करीब 10-12 क्विंटल गेहूं अपने घर के लिए चाहिए होता है।
  3. गेहूं में 70% से ज्यादा हिस्सा स्टार्च का होता है।
  4. गेहूं की सही किस्म चुनकर किसान पैदावार 20% तक बढ़ा सकता है।
  5. समय पर सिंचाई से उत्पादन में 15% तक इजाफा होता है।
  6. जैविक खाद का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ा देता है।
  7. भारत में गेहूं की 400 से ज्यादा किस्में हैं।
  8. गेहूं में प्रोटीन की मात्रा चावल से ज्यादा होती है।
  9. पंजाब और हरियाणा , देश का लगभग 60% गेहूं पैदा करते हैं।
  10. गेहूं की खेती में लेजर लैंड लेवलर तकनीक पानी की बचत में मदद करती है।

आखिर में

भाइयों, अब आप समझ ही गए होंगे कि गेहूं की पैदावार बढ़ाने के तरीके कौन-कौन से हैं और कैसे थोड़ी सी समझदारी से आप खेत से ज्यादा अनाज निकाल सकते हैं। सही बीज, सही वक्त पर बोवाई, खेत की तैयारी, समय पर सिंचाई और थोड़ी निगरानी बस यही फार्मूला है। अगर यह जानकारी काम की लगी हो तो इसे अपने गांव और रिश्तेदार किसानों के साथ जरूर शेयर करें। मेहनत आपकी, फायदा भी आपका।

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