नमस्कार किसान भाई,आजकल जब गांव के किसान भी स्मार्टफोन चलाने लगे हैं, तो खेती-बाड़ी की दुनिया भी धीरे-धीरे डिजिटल होती जा रही है। पहले जहां फसल बेचने के लिए मंडी जाना ज़रूरी होता था, अब वही काम मोबाइल ऐप या वेबसाइट से भी हो रहा है। इसे ही कहते हैं – डिजिटल मंडी। लेकिन सवाल ये है कि ये डिजिटल मंडी आखिर होती क्या है, और गांव के किसान इसका इस्तेमाल कैसे करें?गांव के किसानों के लिए डिजिटल मंडी कैसे काम करती है? – एक किसान दोस्त की ज़ुबानी चलो भाई, मैं तुम्हें बिल्कुल सीधे-सपाट और आसान भाषा में सब समझाता हूं।
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डिजिटल मंडी क्या होती है?
डिजिटल मंडी एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म होती है जहां किसान अपनी फसलें सीधे ऑनलाइन बेच सकते हैं। जैसे तुम OLX या Amazon पर सामान बेचते या खरीदते हो, वैसे ही किसान अपनी फसलें बेच सकते हैं – वो भी बिना किसी बिचौलिए के।
इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि किसान को सीधा ग्राहक या व्यापारी मिलता है, और उसे सही दाम भी मिलते हैं। डिजिटल मंडी मोबाइल ऐप, वेबसाइट या SMS सर्विस के जरिए भी चल सकती है।
गांव के किसान इसे कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं?
अब बात करते हैं असली काम की – कि गांव में रहने वाला एक सामान्य किसान, जिसके पास मोबाइल है, वो डिजिटल मंडी से कैसे फायदा उठा सकता है:
1. रजिस्ट्रेशन करना बहुत जरूरी है
सबसे पहले किसान को डिजिटल मंडी प्लेटफॉर्म (जैसे eNAM, AgriBazaar, KisanKonnect आदि) पर रजिस्टर करना होता है। ये रजिस्ट्रेशन मोबाइल नंबर, आधार कार्ड और बैंक डिटेल्स से होता है।
2. फसल की जानकारी अपलोड करो
फिर किसान को अपनी फसल का नाम, मात्रा, किस्म और उपलब्धता की तारीखें डालनी होती हैं। ये सब प्लेटफॉर्म पर दिखाई देगा ताकि खरीदार संपर्क कर सके।
3. ऑनलाइन बोली लगती है
अब जैसे ही कोई व्यापारी उस फसल में दिलचस्पी लेता है, तो वो बोली लगाता है। जो खरीदार सबसे ज्यादा दाम देता है, किसान उसे अपनी फसल बेच सकता है।
4. भुगतान भी सीधा बैंक में
डिजिटल मंडी में पेमेंट सीधे किसान के बैंक खाते में आता है – न कोई बिचौलिया, न देरी।
5. फसल उठाने का इंतजाम
कुछ डिजिटल मंडी प्लेटफॉर्म किसान के खेत से ही फसल उठा लेते हैं, और कुछ मंडी तक लाने को कहते हैं। ये सुविधा ऐप पर ही साफ-साफ बताई जाती है।
डिजिटल मंडी के फायदे – किसान की ज़ुबानी
चलो भाई, अब मैं तुम्हें सीधे 6 फायदे बताता हूं जो मैंने या मेरे जैसे किसानों ने महसूस किए:
1. बिचौलियों से छुटकारा
पहले फसल बेचने में बिचौलिए बीच में आ जाते थे, अब सीधे खरीदार से बात होती है।
2. सही और पारदर्शी दाम
डिजिटल मंडी में बोली लगती है, तो जो ज्यादा दाम देगा वही खरीदेगा – दाम में पारदर्शिता आती है।
3. समय की बचत
मंडी में लाइन लगाने की ज़रूरत नहीं, घर बैठे मोबाइल से फसल बेच सकते हैं।
4. भुगतान की गारंटी
कुछ सरकारी प्लेटफॉर्म जैसे eNAM में पेमेंट गारंटी होती है – पैसा फंसने का डर नहीं।
5. बाजार का बड़ा दायरा
अब किसान सिर्फ पास की मंडी तक सीमित नहीं, देशभर के खरीदारों तक पहुंच सकता है।
6. सरकारी योजनाओं से जुड़ाव
कई डिजिटल मंडियां सरकार की स्कीम्स से जुड़ी होती हैं, जिससे और भी लाभ मिलते हैं।
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5 लोकप्रिय डिजिटल मंडी प्लेटफॉर्म (भारत में)
प्लेटफॉर्म का नाम | विशेषता | सरकार/प्राइवेट |
eNAM | भारत सरकार की राष्ट्रीय मंडी | सरकारी |
AgriBazaar | किसान-व्यापारी कनेक्ट | प्राइवेट |
KisanKonnect | सीधे ग्राहक से जोड़ता है | प्राइवेट |
DeHaat | खेती से जुड़ी सभी सेवाएं | प्राइवेट |
Reliance Fresh Connect | बंपर खरीदी के लिए | प्राइवेट |
गांव में डिजिटल मंडी के लिए क्या-क्या चाहिए?
अब भाई, अगर गांव के किसान को डिजिटल मंडी का फायदा उठाना है तो नीचे दी गई चीजें जरूर होनी चाहिए:
- स्मार्टफोन या फीचर फोन
- इंटरनेट कनेक्शन (या SMS सुविधा)
- आधार कार्ड और बैंक खाता
- थोड़ा टेक्नोलॉजी का ज्ञान (या किसी की मदद)
क्या गांव के किसानों को दिक्कतें भी आती हैं?
हाँ भाई, सबकुछ एकदम परफेक्ट नहीं होता। कुछ समस्याएं अब भी सामने आती हैं:
- इंटरनेट की कमी या नेटवर्क की दिक्कत
- टेक्नोलॉजी की जानकारी की कमी
- प्लेटफॉर्म की भाषा अंग्रेज़ी होने से परेशानी
- कई बार व्यापारी डील फाइनल करके रद्द कर देते हैं
लेकिन धीरे-धीरे जैसे-जैसे किसान सीख रहे हैं, ये समस्याएं कम होती जा रही हैं।

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आने वाले समय में डिजिटल मंडी का भविष्य क्या है?
भविष्य बहुत ही उज्जवल है भाई। सोचो, जब हर किसान के पास 4G मोबाइल होगा, और गांव-गांव में इंटरनेट पहुंचेगा, तब डिजिटल मंडी ही असली मंडी बन जाएगी। सरकार भी अब AI और डेटा एनालिटिक्स की मदद से किसानों को सटीक मंडी रेट, ग्राहक और खरीदार की जानकारी दे रही है।
और आगे जाकर तो शायद ऐसा हो कि मोबाइल से बोली लगाओ, पेमेंट मिले और ट्रैक्टर खुद खेत से माल उठाने आ जाए।
किसानों के लिए 10 रोचक फैक्ट्स – डिजिटल मंडी को लेकर
- भारत की पहली डिजिटल मंडी का नाम eNAM है – National Agriculture Market.
- eNAM से जुड़ी मंडियों की संख्या अब 1000 से ज्यादा हो चुकी है।
- डिजिटल मंडी से किसान को औसतन 15–25% ज्यादा दाम मिलता है।
- AgriBazaar प्लेटफॉर्म पर अब तक 10 लाख से ज्यादा किसान रजिस्टर्ड हैं।
- eNAM में अब मोबाइल ऐप पर भाषा चयन भी किया जा सकता है – हिंदी, पंजाबी, मराठी आदि।
- कुछ डिजिटल मंडियों में किसानों को लोन, बीज, खाद भी ऑनलाइन मिलते हैं।
- रिलायंस फ्रेश, बिग बास्केट जैसे ग्राहक अब किसानों से सीधा माल खरीदने लगे हैं।
- सरकार ने FPO (Farmer Producer Organization) को भी eNAM से जोड़ा है।
- एक बार रजिस्टर्ड होने के बाद किसान को हर बार मंडी जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
- कुछ राज्यों में डिजिटल मंडी से GST या टैक्स में भी छूट मिलती है।
निष्कर्ष:गांव के किसानों के लिए डिजिटल मंडी कैसे काम करती है?
अगर तुम गांव के किसान हो, तो ये समझ लो कि आने वाला वक्त डिजिटल का है। और डिजिटल मंडी तुम्हारे लिए वरदान जैसी है। हाँ, थोड़ी शुरुआत में झिझक होगी, लेकिन एक बार सीख जाओगे तो मंडी जाने का झंझट ही खत्म हो जाएगा।
जो किसान पहले से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, वो ना सिर्फ अच्छा दाम पा रहे हैं बल्कि पूरे देश में अपने खरीदार भी बना चुके हैं। तो भाई, अब वक्त है मंडी जाने का नहीं, मंडी को अपने मोबाइल पर लाने का।
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