एक छोटे किसान की बड़ी उड़ान: गांव से जैविक खेती शुरू की, अब विदेश भेजता है फल जानिए ये कैसे किया?

किसान भाइयों “खेती में कोई पैसा नहीं है…” ऐसा कहने वाले आज भी मिल जाएंगे। लेकिन कुछ लोग इस सोच को पीछे छोड़कर अपनी मेहनत और स्मार्ट सोच से न सिर्फ लाखों कमाते हैं, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बनते हैं। एक छोटे किसान की बड़ी उड़ान

आज हम बात कर रहे हैं प्रवीण चौधरी की एक छोटे किसान जिनके पास ज़मीन भी सीमित थी, संसाधन भी सीमित थे, लेकिन सोच बड़ी थी। उन्होंने गांव से ही जैविक खेती (Organic Farming) शुरू की और आज उनके फल विदेशों तक एक्सपोर्ट हो रहे हैं।

एक छोटे किसान की बड़ी उड़ान गांव से जैविक खेती शुरू की, अब विदेश भेजता है फल जानिए ये कैसे किया

शुरुआत – जहाँ से सब कुछ बदला , जानिए कैसे बदला?

प्रवीण महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के रहने वाले हैं। उनके पास सिर्फ 1.5 एकड़ ज़मीन थी। पहले वो परंपरागत खेती करते थे – गेहूं, कपास जैसी फसलें, लेकिन लागत ज़्यादा और मुनाफा कम होता था।

2018 में उन्होंने YouTube और Krishi Vigyan Kendra की मदद से जैविक खेती के बारे में सीखा।
उन्हें समझ आया कि:

  • ज़हर मुक्त खेती से मिट्टी सुधरती है
  • फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है
  • बाज़ार में इनकी कीमत ज़्यादा मिलती है

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बदलाव की शुरुआत कैसे हुई ? कीटों के लिए देसी उपाय, खाद खुद बनाई

प्रवीण ने खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशक बंद कर दिए।
उन्होंने जीवामृत, नीम की खली, गौमूत्र, और गाय के गोबर से बनी खादें इस्तेमाल कीं।

फसलें भले धीमी बढ़ीं, लेकिन:

  • जमीन की उर्वरता वापस आई
  • पानी की जरूरत कम हुई
  • कीड़े कम लगने लगे

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सबसे बड़ा फैसला: फल उत्पादन शुरू करना

2020 में प्रवीण ने अमरूद और पपीता की जैविक खेती शुरू की।
उन्होंने Taiwan Pink Guava नामक विदेशी अमरूद की किस्म लगाई, जिसकी मांग विदेशों में बहुत ज़्यादा है।

  • 1 एकड़ में अमरूद की बागवानी की
  • Online seller से contact किया
  • Packaging और labeling सीखी
  • और सीधे Delhi और Mumbai के organic export traders से संपर्क किया
एक छोटे किसान की बड़ी उड़ान गांव से जैविक खेती शुरू की, अब विदेश भेजता है फल जानिए ये कैसे किया

पहली बड़ी सफलता मिल भाई को वो भी ₹3 लाख की कमाई सिर्फ एक सीजन में

2022 के सीजन में उनका 1 एकड़ अमरूद का बागान तैयार हुआ।
उन्होंने 1500 किलो अमरूद बेचे, जिसमें से 40% सीधे Dubai भेजे गए

उन्हें एक सीजन में ₹3 लाख की कमाई हुई – जबकि पहले उतनी ज़मीन से मुश्किल से ₹70,000 मिलते थे।

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अब क्या कर रहे हैं?

  • अब उन्होंने पास के किसानों को भी ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है
  • Social media (YouTube और WhatsApp) के जरिए दूसरे किसानों तक ज्ञान पहुँचा रहे हैं
  • Government से Organic Certification भी ले चुके हैं
  • उनका टारगेट है – “हर साल कम से कम ₹10 लाख की एक्सपोर्ट इनकम बनाना”

किसान भाईयों के लिए संदेश

प्रवीण चौधरी कहते हैं: कि

“खेती बदलनी है तो पहले सोच बदलो। ज़हर नहीं, ज़मीन को ज़रूरत है प्यार की। जैविक खेती में धैर्य रखो, शुरुआत धीमी होगी लेकिन नतीजे बहुत बड़े मिलेंगे।”

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ये कहानी क्यों ज़रूरी है?

  • आज जब chemical farming से ज़मीन बंजर हो रही है
  • जब किसान कर्ज़ से परेशान हैं
  • तब ऐसे उदाहरण बताते हैं कि अगर हम नई दिशा में सोचें, सीखें और समझदारी से चलें , तो खेती सबसे कमाऊ व्यवसाय बन सकता है।

तो किसान भाइयों इस कहानी से क्या सीख मिलती है?

  1. जैविक खेती सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, ये भविष्य है
  2. इंटरनेट से सीखी गई बात भी ज़िंदगी बदल सकती है
  3. एक्सपोर्ट के दरवाज़े गांव से भी खुल सकते हैं
  4. लागत कम, मुनाफा ज़्यादा — यही है sustainable farming
  5. सोच बड़ी रखो, ज़मीन छोटी हो तो भी फर्क नहीं पड़ता

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