डाउनी मिल्ड्यू रोग क्या है, इसके लक्षण व उपचार | downy mildew disease in plants in hindi
Downy mildew : डाउनी मिल्ड्यू विभिन्न प्रकार के फसलों में लगने वाला एक कवक जनित रोग है जो कवकों की एक विशेष श्रेणी मैस्टिगोमाइकोटीना से सम्बंधित होता है। यह भारत सहित विश्व के कई देशों के फसलों पर व्यापक रूप से उत्पन्न होता है। डाउनी मिल्ड्यू (downy mildew) मुख्य रूप से मृदा जनित रोग (Soil borne disease) है। इस रोग के रोगजनक परजीवी होते है जिसे उगने व जीवित रहने के लिए होस्ट पौधों की आवश्यकता होती हैं।
पौधों में डाउनी मिल्ड्यू रोग के लक्षण | downy mildew disease symptoms in plants in hindi :
पौधों में डाउनी मिल्ड्यू रोग का सर्वप्रथम लक्षण उस समय दिखाई देता है जब पौधा अपनी दुसरी या तीसरी पत्तियों की अवस्थाओं में होती है। रोग लक्षण के रूप में देखा जाये तो सर्वप्रथम पौधों की पूरानी पत्तियों के निचली सतह पर एक हरे से पीले रंग के धब्बा बनता है जो अनिश्चित आकर के एवं बिखरे हुए हो सकते है। समय के साथ यह धब्बा बढते हुए पीलें रंग से भूरे रंगों में बदल जाते है। प्रारंभ में यह धब्बे पत्तियों के निचली सतह पर ही बनते है लेकिन बाद मे यह धब्बे पत्तियों की ऊपरी सतह पर भी दिखाई देने लगता है। पत्तियों के जिस स्थान पर यह धब्बे बनते हैं वहां पर पत्तियों के ऊतक भूरे हो कर सुख जाते है तथा संक्रमित ऊतको की बाद मे मृत्यु हो जाती हैं।
अनुकूल वातावरण में तेजी से फैलता है downy mildew disease :
डाउनी मिल्ड्यू के वृद्धि, विकास व संक्रमण के लिए 60-68°F तापमान सबसे ज्यादा उपयुक्त होता है। यह रोग नम, ठंडे एवं कुहरायुक्त मौसम में अधिक तेजी से फैलता है। जबकि गर्म शुष्क मौसम अर्थात 95°F से ज्यादा का तापमान इनकी वृद्धि को रोक देती हैं।
मृदा मे दस वर्षो तक जीवित रह सकते है इसके रोगजनक :
डाउनी मिल्ड्यू रोग (downy mildew disease) के रोगजनक, रोगग्रस्त पौधो के अवशेषों के भीतर मृदा में पड़े रहते हैं तथा अगले वर्ष अंकुरित होकर नए पौधों को संक्रमित करते रहते हैं। इस रोगजनक में 8 माह से लेकर लगभग 10 वर्ष तक मृदा में जीवित रहने की क्षमता पाई जाती है।
डाउनी मिल्ड्यू रोग का नियंत्रण | control of downy mildew disease in hindi :
- जैसे ही खेत में इस रोग का लक्षण दिखाई दे तो संक्रमित पौधों को उखाड़ कर जमीन के अन्दर धंसा देना चाहिए।
- खेत में पौधों को एक निश्चित दूरी पर बुआई करे। कम अन्तराल पर पौधों की बुआई करने पर इस रोग का प्रकोप बढ जाता है।
- समय-समय पर खेत में खरपतवार का नियंत्रण करते रहना चाहिए।
- जैसा की हम जानते है कि यह एक मृदा जनित रोग है। इस रोग के रोगजनक मृदा मे काफी दिनों तक जीवित रह सकते है। इसके बचाव के लिए गर्मियों के दिनों में गहरी जुताई कर के छोड़ देना चाहिए।
- खेतों में कम से कम दो से तीन वर्षों का फसल अन्तराल रखनी चाहिए।
डाउनी मिल्ड्यू रोग का रासायनिक नियंत्रण | chemical control of downy mildew in hindi :
यदि इस रोग की रासायनिक नियंत्रण की बात की जाये तो बाजार में बहुत से रासायन उपलब्ध है जो इस रोग को आसानी से नियंत्रण कर सकते है। मैंकोजेब इस रोग के नियंत्रण के लिए सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला रसायन है। फिर भी आप चाहे मेटालेक्सिल या कापर आक्सीक्लोराइड आदि रासायन का उपयोग इस रोग के नियंत्रण मे कर सकते है।
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मैंकोजेब दवा की मात्रा क्या है
मैंकोजेब एक रसायन है। फसलों पर इसका उपयोग की मात्रा को बहुत से कारक (जैसे – फसल के प्रकार, फसल की उम्र, फसल पर रोग व वातावरण आदि) प्रभावित करते है। फिर भी बहुत से फसलों पर इसका उपयोग की मात्रा 2-3 ग्राम प्रति लीटर है।
Nice
Thanks for Comment nandu ji