नमस्कार किसान भाइयों, उम्मीद है खेत-खलिहान अच्छे चल रहे होंगे। देखो भाई, धान तो हम सब उगाते हैं लेकिन अगर इसमें बीमारी लग जाए तो मेहनत और पैसा दोनों मिट्टी में मिल जाते हैं। इसलिए आज मैं आपको बताऊँगा कि धान की खेती में लगने वाले रोग कौन-कौन से हैं, कैसे पहचानोगे और कैसे देसी तरीके से इलाज करोगे, ताकि फसल भी बचे और जेब भी।
धान की खेती में लगने वाले रोग किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन जाते हैं, खासकर ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट, ब्राउन स्पॉट और बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट। अगर समय पर पहचान न हो तो धान की फसल का नुकसान काफी ज्यादा हो सकता है। धान की पत्तियों पर दाग, किनारों का पीला-सफेद होना या तना सड़ना, इन बीमारियों के आम संकेत हैं। इन रोगों से बचाव के लिए धान के बीज का उपचार कार्बेन्डाजिम या थायरम से जरूर करना चाहिए, ताकि फसल मजबूत रहे और पैदावार पर असर न पड़े।

धान की खेती में लगने वाले आम रोग और उनके इलाज:
रोग का नाम | पहचान के लक्षण | इलाज / देसी नुस्खा |
---|---|---|
ब्लास्ट (Blast) | पत्तियों पर जलने जैसे भूरे दाग | ट्राईसाइक्लाजोल या कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम/लीटर पानी में छिड़काव, नीम का घोल |
शीथ ब्लाइट (Sheath Blight) | तना और जड़ सड़ना, पौधा गिरना | जल निकासी सही रखें, नीम की पत्ती का काढ़ा छिड़कें |
ब्राउन स्पॉट (Brown Spot) | पत्तियों पर गोल भूरे दाग | बीज उपचार, कार्बेन्डाजिम छिड़काव, गोमूत्र-लहसुन घोल |
बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट | पत्तों के किनारे सफेद-पीले होकर सूखना | पानी का बहाव सही रखें, तांबा आधारित दवा का छिड़काव |
बीज सड़न | बीज अंकुरित न होना, बदबू आना | थायरम या कार्बेन्डाजिम से बीज उपचार |
धान में लगने वाली आम बीमारियाँ और पहचान।
धान में सबसे ज्यादा जो रोग लगते हैं उनमें ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट, ब्राउन स्पॉट और बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट बहुत आम हैं। ब्लास्ट में पत्तों पर ऐसे दाग आते हैं जैसे कोई पत्ता जल गया हो। शीथ ब्लाइट में पौधे की जड़ और तना सड़ने लगता है। ब्राउन स्पॉट में पत्ते पर गोल भूरे दाग पड़ जाते हैं और बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट में पत्ते के किनारे सफेद-पीले होकर सूखने लगते हैं। पहचान करना आसान है अगर पत्ते दागदार, पीले या सूखने लगें, तना सड़ने लगे या बदबू आए तो समझ लो बीमारी लग गई है।
नुकसान क्या होगा अगर ध्यान नहीं दिया?
भाइयों, अगर समय रहते ध्यान नहीं दोगे तो नुकसान बड़ा होगा। सबसे पहले तो पैदावार आधी रह जाएगी, दाने कमजोर निकलेंगे और अगर एक खेत में रोग फैल गया तो अगली फसल भी खतरे में पड़ सकती है। इसलिए सावधानी सबसे जरूरी है।
धान की फसल के रोग और उपचार में देसी तरीके भी काफी कारगर साबित होते हैं। नीम का घोल धान की बीमारी में एक सस्ता और असरदार उपाय है, जिसे 15-20 दिन के अंतराल पर छिड़कना चाहिए। इसके अलावा गोमूत्र और लहसुन का घोल भी शीथ ब्लाइट रोग का देसी इलाज करने में मदद करता है। खेत में हमेशा पानी का बहाव संतुलित रखें और ज्यादा पानी न रोकें, ताकि जड़ सड़ने और रोग फैलने से बचा जा सके। समय पर पहचान और सही इलाज से धान की फसल को बचाया जा सकता है और अच्छी पैदावार पाई जा सकती है।
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Practical इलाज: खेत में तुरंत क्या करना चाहिए?
सबसे जरूरी बात यह है कि खेत साफ-सुथरा रखो। पुराने पत्ते, घास-फूस जला दो ताकि रोग फैलने की जड़ ही खत्म हो जाए। बीज हमेशा अच्छी किस्म के लो और बोने से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम या थायरम से उपचारित करो , बीज को दवा मिले पानी में आधा घंटा भिगो लो फिर बोओ। जैसे ही कोई रोग दिखे तुरंत छिड़काव करो , कि
ब्लास्ट के लिए ट्राईसाइक्लाजोल या कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़क दो। खेत में जरूरत से ज्यादा पानी कभी मत रोकना, पानी का बहाव सही रखो ताकि नमी बराबर रहे पर जलजमाव न हो।
देसी नुस्खा: गाँव में आजमाया तरीका।
भाई, अगर तुम्हारे पास केमिकल दवा नहीं है या खर्चा कम रखना है तो 5 किलो नीम की पत्ती कूट कर 20 लीटर पानी में उबाल लो, ठंडा होने पर छान कर पौधों पर छिड़क दो। कुछ लोग गोमूत्र और लहसुन का घोल बनाकर भी छिड़कते हैं, इससे भी रोग भागते हैं और पौधे मजबूत रहते हैं। खेत में फोटो या डायग्राम देखकर पहचानना आसान होता है, इसके लिए तुम अपने नजदीकी कृषि केंद्र से रोग पहचान वाली पर्ची या पोस्टर भी ले सकते हो।
गाँव के किसान या एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
रामलाल चौधरी जी जो भैरोंपुर के किसान हैं, वो कहते हैं कि पहले उनके खेत में ब्लास्ट बहुत लगता था। लेकिन जब से उन्होंने बीज को दवा से उपचारित करना और नीम का काढ़ा छिड़कना शुरू किया है, तब से बीमारी खेत में घुस ही नहीं पाती।
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सच्ची कहानी: किसान भाई ने कैसे बचाई फसल?
मिश्रीलाल भाई, जरिगवा गाँव के किसान हैं। पिछले साल शीथ ब्लाइट लग गया था। वो घबरा गए थे पर गाँव के कृषि मित्र से सलाह ली, दवा और नीम का घोल छिड़का। पहले उन्हें लगा फसल गई, लेकिन 80% फसल बच गई और 18 कुंटल धान घर आया। मेहनत कभी बेकार नहीं जाती भाई।

छोटे-छोटे सवाल-जवाब: की काम की बात
Q1. धान के बीज को बोने से पहले कैसे उपचारित करें?
बीज को कार्बेन्डाजिम या थायरम से उपचारित करो, 30 मिनट पानी में डुबो लो फिर बो दो।
Q2. नीम का घोल कितनी बार छिड़कना चाहिए?
कम से कम 15-20 दिन के अंतर से एक बार जरूर छिड़को।
Q3. खेत में ज्यादा पानी क्यों नहीं रोकना चाहिए?
क्योंकि ज्यादा पानी से रोग जल्दी फैलते हैं और जड़ सड़ सकती है।
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Q4. दाने कमजोर क्यों पड़ जाते हैं?
पत्ते खराब होंगे तो पौधा खाना नहीं बना पाएगा, इससे दाने कमजोर रहेंगे।
Q5. देसी नुस्खे सच में काम आते हैं क्या?
हाँ भाई, नीम, गोमूत्र, लहसुन का घोल रोग रोकने में काफी असरदार हैं।
Conclusion: अब आप क्या करोगे?
तो भाइयों, धान में रोग लगना कोई नई बात नहीं है, लेकिन समझदारी और सही वक्त पर इलाज हो जाए तो बीमारी तुम्हारे खेत के बाहर ही भाग जाएगी। बस साफ-सफाई रखो, बीज अच्छे लो, देसी नुस्खे आजमाओ और जरूरत पड़े तो सही दवा छिड़को फिर देखना फसल कैसे लहलहाती है। अगर अब भी कोई बात समझ न आए या कुछ पूछना हो तो बेहिचक मुझसे पूछ लेना। और हाँ, यह जानकारी अपने गाँव के WhatsApp ग्रुप में, खेत वाले दोस्तों को और रिश्तेदारों को जरूर भेज देना ताकि हर किसान भाई का खेत हरा-भरा रहे और मेहनत का पूरा फल मिले। खुश रहो, खेत खुशहाल रखो।