मक्का का फॉल आर्मीवर्म कीट का नियंत्रण | control of fall armyworm in maize in hindi

Fall armyworm in hindi : खाद्यान्नों की रानी कही जाने वाली मक्का की खेती हमारे देश में बड़े पैमाने पर की जाती है। यह एक ऐसी फसल है जिसे वर्ष के हर मौसम में उगाया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के रोग एवं कीट इसके उत्पादन क्षमता को प्रभावित करते रहते हैं। ऐसे में इन रोगों एवं कीटों के नियंत्रण के बिना इससे अधिक उत्पादन प्राप्त करना असंभव है। मक्का की फसल पर लगने वाला ऐसा ही एक महत्वपूर्ण कीट है अमेरिकन सैनिक कीट (फॉल आर्मीवर्म) जिसे अंग्रेजी में american fall armyworm in maize के नाम से भी जाना जाता है।

मक्का का अमेरिकन फॉल आर्मीवर्म क्या है ? | what is american fall armyworm in maize in hindi ? :

मक्का का अमेरिकन फॉल आर्मीवर्म (fall armyworm in hindi) एक प्रकार का कीट है जो कीटों की एक महत्वपूर्ण वर्ग लेपिडोप्टेरा से सम्बंधित होता है। इस कीट का वैज्ञानिक नाम spodoptera frugiperda होता हैं। सर्वप्रथम यह कीट अमेरिका के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंध क्षेत्रों में सन् 2015 को देखा गया था। वहीं से प्रसारित हो कर यह कीट भारत सहित विश्व के विभिन्न देशों में फैला। भारत में सर्वप्रथम यह कीट सन् 2018 में कर्नाटक के शिवगोमा में पाया गया था तथा देखते ही देखते यह की भारत के विभिन्न राज्यों में फैल गया।

फॉल आर्मीवर्म का जीवन चक्र | life cycle of fall armyworm in hindi :

इस कीट की कुल चार अवस्थाएं पायी जाती है।

(A). अंडा (Egg)
(B). लार्वा (Larva)
(C). प्यूपा (Pupa)
(D). प्रौढ़ (Adult)

(A). अंडा (Egg) : अंडा फॉल आर्मीवर्म का प्रथम अवस्था है। व्यस्क मादा कीट पोषित पौधे के पत्तियों या मिट्टियों पर एक बार मे 50-200 तक पीले रंग का अंडा देना प्रारंभ करती है। मादा कीट इन अंडों को एक साथ गुच्छों मे बांढकर इकठ्ठा बना देती है। मादा कीट द्धारा बनाया गया यह गुच्छा आमतौर पर रेशम जैसा प्यारे पदार्थ होता है। एक मादा अपने जीवन काल में औसतन 1500 से 2000 तक अंडे देती है। यह अंडे 3 से 4 दिनों में परिपक्व हो कर फूट जाते हैं।

(B). लार्वा (Larva) : यह इस कीट का द्वितीय अवस्था है। लार्वा ही इस कीट का हानिकारक अवस्था माना जाता है। यदि समय रहते कीट के इस अवस्था को नियंत्रण नहीं किया गया तो यह फसलों को काफी नुकसान पहुंचाना प्रारंभ कर देते है। कीट के परिपक्व अंडा के फूटने के बाद लार्वा (Larva) बाहर निकलता है। अंडो से निकला हुआ लार्वा हरे रंग का होता है। प्रारंभ में इसकी कुल लम्बाई 1.7 मिमी. होता है जबकि पूर्ण विकसित होने पर यह 34 मिमी.लम्बाई का हो जाता है। प्रारंभ में फॉल आर्मीवर्म (fall armyworm in hindi) के लार्वा को पहचानना मुश्किल होता है लेकिन जैसे जैसे लार्वा बड़ा होता जाता है इसी पहचान करना आसान हो जाता है। फॉल आर्मीवर्म कीट के लार्वा के पीठ के नीचे तीन पतली सफेद धारियां और सिर पर एक अलग सफेद उल्टा अंग्रेजी शब्द के वाई (y) आकार के निशान दिखाई देता है। इसके साथ ही साथ इसके सिर पर चार बिंदु भी होते हैं जो इसके पहचान को आसान बनाते हैं। इस कीट के लार्वा का कुल जीवनकाल 14 से 22 दिनों का होता है इसके बाद यह प्यूपा मे बदल जाता हैं।

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(C). प्यूपा (Pupa) : फॉल आर्मीवर्म (fall armyworm in hindi) के तृतीय अवस्था को प्यूपा कहते है। प्यूपा बनते समय इस कीट का लार्वा मिट्टी की सतह से 2 से 8 सेंटीमीटर अन्दर गहराई में चला जाता है और वहां पर यह कीट लार्वा से प्यूपा में बदल जाता है। प्यूपा का रंग लाल या भूरा होता है जिसकी कुल लम्बाई 14 से 18 मिमी जबकि इसकी चौडाई 4 से 5 मिमी. होता है। मिट्टी में ही लगभग 7 से 13 दिनों तक कोषावस्था मे रहने के बाद यह प्यूपा प्रौढ़ (Adult) में बदल जाता है।

(D). प्रौढ़ (Adult) : इस कीट की चौथी अवस्था प्रौढ़ (Adult) कहलाता है जिसमें 2 जोड़ी पंख पाए जाते हैं। फॉल आर्मीवर्म (fall armyworm in hindi) के पौढ़ की कुल लम्बाई 15 से 20 मिमी. होता है। पंखों के फैलाव सहित इसकी कुल लम्बाई लगभग 32 से 40 मिमी. तक होती है। इस कीट का संपूर्ण जीवन काल 30 से 61 दिनों का होता है जो कि वातावरण की दशा के ऊपर निर्भर करता है। फॉल आर्मीवर्म का पौढ़ रात्रि के समय अधिक सक्रिय होता है तथा यह एक दिन में 100 किमी. से अधिक का उडान भर सकता है।

लार्वा है फॉल आर्मीवर्म का सबसे हानिकारक अवस्था | larvae are the most harmful state of the fall armyworm :

फॉल आर्मीवर्म (fall armyworm in hindi) का हानिकारक अवस्था लार्वा होती है जो इसके जीवनकाल की दूसरी अवस्था मानी जाती है। इस कीट मे काटने तथा चबाने वाले मुखांक पाए जाते हैं। फॉल आर्मीवर्म सबसे पहले मुलायम पत्तियों पर हमला करते हुए ऐसे क्षति पहुंचाता है जैसे पत्तियों को कैंची की तरह काटा गया हो। जब फॉल आर्मीवर्म के तादाद बढ़ जाते हैं तो यह पत्तियों से होते हुए मक्के के भुट्टो पर भी हमला करके उसे काफी क्षति पहुंचाते हैं जिससे कि मक्के का भुट्टा खाने योग्य नहीं रह जाता। तथा कभी-कभी पौधों मे भुट्टे ही नहीं बनते। यदि समय रहते इस कीट को नियंत्रण नहीं किया गया तो मक्का का फसल से 50 से 60% तक नुकसान कर बैठते हैं।

गर्म तथा आद्र जलवायु है फॉल आर्मीवर्म के लिए सबसे अनकूल | Warm and humid climate is best suited for fall armyworm :

गर्म तथा आद्र जलवायु जिसका वायुमंडली तापमान 20 से 32 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच हो फॉल आर्मीवर्म (fall armyworm in hindi) के लिए काफी अनुकूल होता है। भारत की जलवायु इस कीट के लिए काफी अनुकूल है जो उन्हें वर्ष भर भोजन उपलब्ध कराता रहता है। यही कारण है कि इसकी कीट का भारत में सर्वाधिक प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

मक्का है फॉल आर्मीवर्म का मुख्य पोषित पौधा | fall armyworm host plants in hindi :

फॉल आर्मीवर्म का मुख्य आहार मक्का होता है। मक्के की अनुपस्थिति में यह कीट कपास, बैगन, गन्ना, धान एवं सब्जियों सहित लगभग 80 से अधिक फसलों पर हमला कर उसे काफी नुकसान पहुंचाता रहता है।

मक्का का फॉल आर्मीवर्म का नियंत्रण | control of fall armyworm in maize in hindi :

(A). जहां तक संभव है ग्रीष्मकालीन मक्का की अगेती बुआई करना चाहिए क्योंकि यह कीट पछेती मक्का की बुवाई पर ज्यादा क्षति पहुचाता है।

(B). फॉल आर्मीवर्म का प्यूपा मिट्टी से 2 से 8 सेंटीमीटर अंदर जाकर बनता है। अतः खेत को गहरी जुताई करके इसके प्यूपा को नष्ट कर देना चाहिए।

(C). बुवाई के समय मृदा में नीम की खली का प्रयोग करने से भी इसके प्यूपा को नष्ट किया जा सकता है।

(D). एक ही खेत में मक्के की लगातार फसलें नहीं रहना चाहिए।

(E). खेत में रासायनिक उर्वरकों का संतुलित मात्रा में उपयोग करना चाहिए विशेषकर यूरिया का क्योंकि यूरिया की अधिकता फसलों को मुलायम बनाता है जिससे कि यह कीटों (fall armyworm in hindi) के लिए काफी अनुकूल हो जाता है।

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