भारत में विजेता धान कैसे उगाएं – किसान के लिए पूरी देसी गाइड

अगर आप धान की खेती करते हैं और सोच रहे हैं कि ऐसी कौन सी किस्म लगाएं जिससे पैदावार भी ज़्यादा हो, रोग भी कम लगें और दाम भी अच्छा मिले, तो जवाब है – विजेता धान. ये किस्म अपने नाम की तरह वाकई ‘विजेता’ है, क्योंकि यह कई मायनों में बाकी किस्मों से आगे है।

इस आर्टिकल में मैं आपको एक दोस्त की तरह विस्तार से समझाऊंगा कि भारत में विजेता धान की खेती कैसे करें, कब करें, कौन सी मिट्टी होनी चाहिए, खाद-पानी कितना देना है, और इससे जुड़ी 10 दिलचस्प बातें भी बताऊंगा।

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भारत में विजेता धान कैसे उगाएं – किसान के लिए पूरी देसी गाइड
भारत में विजेता धान कैसे उगाएं – किसान के लिए पूरी देसी गाइड

1. विजेता धान की खेती क्यों करें?

विजेता धान भारत में किसानों के बीच बहुत पॉपुलर हो रहा है। इसकी मुख्य वजह है – इसकी उच्च उत्पादन क्षमता, कीटों और बीमारियों से लड़ने की ताकत, और तेजी से पकने वाला स्वभाव।

पहली बात तो यह कि विजेता धान सिर्फ 120-125 दिन में तैयार हो जाता है, यानी बाकी किस्मों से जल्दी कटाई कर सकते हैं। इससे अगली फसल के लिए भी समय मिल जाता है। दूसरी बात, यह किस्म मध्यम से भारी मिट्टी में भी अच्छी होती है। इसकी बालियां भरपूर होती हैं और दाने भी लंबे होते हैं।

2. विजेता धान के लिए सही मौसम और समय

विजेता धान की खेती के लिए सही मौसम और समय का चयन बहुत ज़रूरी होता है, क्योंकि इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन सीधे प्रभावित होता है। विजेता धान मुख्यतः खरीफ मौसम की फसल है, जिसे भारत में मानसून के साथ बोया जाता है। इसकी बुवाई का सबसे उपयुक्त समय जून के मध्य से जुलाई के अंत तक माना जाता है, जब तापमान लगभग 25°C से 35°C के बीच होता है और मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है।

अगर बुवाई बहुत जल्दी कर दी जाए या बहुत देर से की जाए, तो फसल को रोग और कीटों का अधिक खतरा रहता है, जिससे पैदावार कम हो सकती है। विजेता धान की फसल को बेहतर बढ़वार के लिए निरंतर बारिश या सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर रोपाई के 20-30 दिन बाद तक। इसलिए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे अपने क्षेत्र की वर्षा की स्थिति और जल संसाधन को ध्यान में रखते हुए बुवाई का सही समय तय करें।

मौसम से जुड़ी ज़रूरी बातें:

बातजानकारी
बोने का समय20 जून से 15 जुलाई
तापमान25°C से 35°C
बारिश1200 मिमी से अधिक
कटाई का समयअक्टूबर के मध्य से नवंबर

अगर समय से देर हो जाए तो पौधों की बढ़त पर असर पड़ता है और पैदावार घट जाती है।

3. विजेता धान के लिए मिट्टी कैसी होनी चाहिए?

मिट्टी धान के स्वाद और उत्पादन में बहुत बड़ा रोल निभाती है। विजेता धान के लिए दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

पानी का ठहराव जरूरी है, इसलिए ज़मीन ऐसी होनी चाहिए जो पानी रोक सके लेकिन ज्यादा समय तक जलभराव न रहे। pH वैल्यू 5.5 से 7.5 के बीच हो तो अच्छा रहेगा।

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4. बीज की तैयारी और बुवाई कैसे करें?

बीज की तैयारी फसल की अच्छी शुरुआत का पहला कदम होता है। सबसे पहले किसान को उच्च गुणवत्ता वाले, रोगमुक्त और प्रमाणित बीज का चयन करना चाहिए। बीज को बुवाई से पहले फफूंदनाशक (जैसे – कार्बेन्डाजिम या थिरम) से उपचारित करना जरूरी होता है ताकि बीज अंकुरण के समय फफूंद जनित रोगों से सुरक्षित रहे। कुछ फसलें जैसे धान, मक्का या गेहूं के बीज को बुवाई से पहले पानी में भिगोकर अंकुरित भी किया जाता है, जिससे अंकुरण दर बढ़ती है और पौधे मजबूत बनते हैं।

बुवाई करते समय खेत की तैयारी, मौसम और बीज की मात्रा का खास ध्यान रखना चाहिए। खेत में उचित नमी होनी चाहिए और ज़मीन को भुरभुरा बनाकर समतल कर लेना चाहिए ताकि बीज गहराई में एकसमान पड़ सके। बीजों को निश्चित दूरी और गहराई पर बोना चाहिए, जिससे पौधों को पोषण, पानी और धूप सही मात्रा में मिले। लाइन में बुवाई करने से खरपतवार नियंत्रण और फसल प्रबंधन आसान होता है। इस तरह की तैयारी से फसल की नींव मजबूत होती है और उपज में भी बढ़ोतरी होती है।

बुवाई के तरीके:

तरीकाबीज दर (कितना बीज चाहिए)फ़ायदा
सीधी बुवाई20-25 किग्रा/हेक्टेयरसमय और श्रम की बचत
नर्सरी और रोपाई30-35 किग्रा/हेक्टेयरपौधों की बेहतर ग्रोथ

नर्सरी की उम्र 20-25 दिन हो तो सबसे बेहतर।

5. खेत की तैयारी और रोपाई का तरीका

खेत की तैयारी करते वक्त एक बार गहरी जुताई और दो बार हल्की जुताई करें। इसके बाद पाटा चलाकर ज़मीन को समतल करें ताकि पानी का प्रवाह सही बना रहे।

रोपाई करते समय दो पौधों का गुच्छा लगाएं और 20×15 सेमी की दूरी रखें। इससे पौधों को बढ़ने की जगह मिलती है और हवा का प्रवाह भी बना रहता है।

6. खाद और उर्वरक का इस्तेमाल (Vijeta dhan me khaad kitni aur kaise den?)

विजेता धान की अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत की मिट्टी को पोषक तत्वों से भरपूर रखना बहुत ज़रूरी है। इसकी शुरुआत खेत की तैयारी के समय से ही होनी चाहिए। पहले तो खेत जोतते समय 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से गोबर की सड़ी हुई खाद या कंपोस्ट डालना सबसे अच्छा होता है। इसके बाद, बीज रोपाई से पहले बेसल डोज के रूप में नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटाश (K) देना चाहिए – आमतौर पर प्रति एकड़ 40 किग्रा नाइट्रोजन, 20 किग्रा फॉस्फोरस और 20 किग्रा पोटाश की जरूरत होती है।

खास बात यह है कि नाइट्रोजन की पूरी मात्रा एक साथ नहीं दी जाती। इसे तीन भागों में बांटना चाहिए – पहला हिस्सा रोपाई के समय, दूसरा टिलरिंग स्टेज (15-20 दिन बाद) और तीसरा फूल आने से पहले देना चाहिए। इससे पौधों की ग्रोथ बेहतर होती है और उत्पादन ज़्यादा मिलता है। यदि किसान जैविक खेती करना चाहते हैं, तो नीम की खली, गोमूत्र से बनी खाद या वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग भी अच्छा विकल्प है। साथ ही, मिट्टी की जांच करवाकर ही खाद की मात्रा तय करें तो और बेहतर परिणाम मिलते हैं।

खाद और उर्वरक का इस्तेमाल (Vijeta dhan me khaad kitni aur kaise den?)
खाद और उर्वरक का इस्तेमाल (Vijeta dhan me khaad kitni aur kaise den?)

खाद की मात्रा:

उर्वरकमात्रा (हेक्टेयर में)कब देना है
नाइट्रोजन (N)100-120 किग्रा3 बार में – रोपाई के 15, 30 और 60 दिन बाद
फास्फोरस (P)40-50 किग्रारोपाई के समय
पोटाश (K)40-50 किग्रा2 बार में – रोपाई और 45 दिन बाद
जैविक खाद10-12 टनखेत की तैयारी के समय

गाय का गोबर, वर्मी कम्पोस्ट या नीम की खली भी कारगर होती है।

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7. पानी का प्रबंधन (Vijeta dhan me paani kab aur kaise dein?)

धान की फसल में पानी बहुत मायने रखता है, लेकिन विजेता धान में हमें स्मार्ट सिंचाई करनी होती है।

सिंचाई की ज़रूरी बातें:

  • रोपाई के तुरंत बाद – 3 से 4 दिन पानी भरकर रखें।
  • फिर हल्की नमी बनाए रखें, बहुत ज्यादा पानी से बचें।
  • फूल निकलते समय और दाना भरते समय पानी की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है।

कटाई से 10 दिन पहले सिंचाई रोक देना चाहिए, इससे दाने मजबूत बनते हैं।

8. रोग और कीट नियंत्रण

विजेता धान की एक खास बात ये है कि ये झुलसा रोग और ब्लास्ट जैसे रोगों के प्रति काफी हद तक सहनशील होता है।

सामान्य रोग और इलाज:

रोग / कीटलक्षणइलाज
झुलसापत्तियों का सूखनाकार्बेन्डाजिम का छिड़काव
ब्लास्टभूरे धब्बेट्राईसाइक्लाजोल का उपयोग
तना छेदकतना खोखला होनाक्लोरोपायरीफॉस का छिड़काव

रोकथाम के लिए खेत की सफाई और फसल चक्र जरूरी है।

9. कटाई और भंडारण

विजेता धान की फसल 120-125 दिन में पक जाती है। जब 80-85% बालियां पीली हो जाएं, तभी कटाई करें।

कटाई के बाद फसल को 2-3 दिन धूप में सुखाएं और फिर अच्छी तरह भंडारण करें। भंडारण के लिए साफ़ और सूखे गोदाम या बोरे का इस्तेमाल करें।

10. विजेता धान की उपज और बाज़ार में मांग

एक सही तरीके से की गई खेती से विजेता धान की उपज 60-70 क्विंटल/हेक्टेयर तक मिल सकती है।

इसके लंबे और चमकदार दाने होने के कारण बाज़ार में इसकी काफ़ी मांग रहती है। मंडी में भी इसका रेट अच्छा मिलता है, जिससे किसानों को सीधा लाभ होता है।

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टॉप 10 रोचक फैक्ट्स – विजेता धान से जुड़ी मज़ेदार बातें

  1. विजेता धान को “हाई यील्डिंग सुपर स्टार” भी कहा जाता है।
  2. यह किस्म 120 दिन में तैयार होकर किसानों को जल्दी कमाई देती है।
  3. इसमें ब्लास्ट रोग का ख़तरा काफी कम होता है।
  4. इसके दाने लंबे और चमकदार होते हैं – प्रीमियम क्वालिटी।
  5. कटाई के समय यह कम झड़ता है, जिससे नुकसान नहीं होता।
  6. विजेता धान की नर्सरी में अंकुरण दर 90% से अधिक होती है।
  7. यह धान अन्य किस्मों से 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ज़्यादा उपज देता है।
  8. भारत के कई राज्यों में यह सबसे पसंदीदा किस्म बन चुका है।
  9. यह किस्म कम पानी में भी बेहतर उत्पादन देती है।
  10. कुछ किसान इसे “बासमती का विकल्प” भी मानते हैं क्योंकि इसका स्वाद अच्छा होता है।

निष्कर्ष: भारत में विजेता धान कैसे उगाएं – किसान के लिए पूरी देसी गाइड

अगर आप एक ऐसी धान की किस्म ढूंढ रहे हैं जो कम समय में ज़्यादा उपज दे, कम रोग लगे, और बाज़ार में अच्छे दाम मिले – तो विजेता धान आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है। बस आपको सही समय, सही खाद और पानी का ध्यान रखना होगा।

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