नमस्कार किसान भाइयों आज हम खेती से जुड़ी उपयोगी मशीनों के बारे में बात करेंगे।जब बात खेती की होती है, तो दो बातें सबसे ज़्यादा मायने रखती हैं । मेहनत और पैसा। अब मेहनत तो किसान हमेशा करता ही है, लेकिन जब बात पैसों की आती है, खासकर खेती के लिए ज़रूरी मशीनों की खरीद की, तब जेब थोड़ा डर जाती है। ट्रैक्टर, थ्रेशर, रोटावेटर या बीज बोने की मशीन सब महंगी होती हैं। लेकिन इसी जगह सरकार किसान के कंधे से बोझ कम करती है, और देती है सब्सिडी। मतलब, सरकार खुद आपके लिए मशीन की कीमत का एक हिस्सा चुकाती है। यही है “खेती मशीनों पर मिलने वाली सरकारी सब्सिडी”।
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ये सब्सिडी कोई दिखावे की चीज़ नहीं है, बल्कि आपका अधिकार है। सरकार चाहती है कि किसान टेक्नोलॉजी से जुड़ें, उनकी मेहनत कम हो और उत्पादन ज़्यादा। लेकिन दिक्कत ये है कि बहुत से किसान भाई या तो इसके बारे में जानते नहीं हैं, या फिर उन्हें सही जानकारी नहीं मिल पाती बस कागज़ी कामों के डर से पीछे हट जाते हैं। तो चलिए, आज मैं आपको एक-एक बात इंसानी भाषा में समझाता हूं, बिना किसी सरकारी घुमाव के।
सब्सिडी होती क्या है? और क्यों मिलती है?
देखो, सब्सिडी का मतलब सीधा-सा है । अगर कोई मशीन 1 लाख की है और सरकार कहती है कि हम 50% सब्सिडी देंगे, तो इसका मतलब ये हुआ कि अब आपको उस मशीन के सिर्फ ₹50,000 देने हैं, बाकी आधे पैसे सरकार खुद मशीन वाले को दे देगी। अब सोचो, इससे क्या होता है? आप कम पैसों में बड़ी मशीन खरीद लेते हो, आपकी खेत में मेहनत भी कम होती है और काम तेज़ी से होता है।
सरकार ये सब्सिडी इसलिए देती है ताकि किसान आधुनिक खेती अपना सकें। पुराने तरीके से न ही उत्पादन ज़्यादा होता है, न ही मुनाफा। लेकिन अगर मशीनें आ जाएं खेत में, तो बोवाई से लेकर कटाई तक सब कुछ जल्दी, सटीक और कम खर्च में हो सकता है।
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किन-किन मशीनों पर मिलती है सब्सिडी?
कई किसान सोचते हैं कि शायद सब्सिडी सिर्फ ट्रैक्टर पर ही मिलती होगी, पर ऐसा नहीं है भाई। सरकार अब लगभग हर तरह की कृषि मशीन पर सब्सिडी देती है । चाहे वो बीज बोने वाली मशीन हो, खरपतवार हटाने वाला उपकरण हो या थ्रेशर। नीचे एक टेबल में मैंने कुछ आम मशीनों के नाम और उन पर मिलने वाली अनुमानित सब्सिडी दी है। राज्य के हिसाब से ये रेट थोड़ा ऊपर-नीचे हो सकते हैं, लेकिन अंदाज़ा आपको लग जाएगा।
मशीन का नाम | मिलने वाली सब्सिडी (%) |
---|---|
ट्रैक्टर (20-80 HP तक) | 20% से 50% तक |
रोटावेटर (Rotavator) | 40% तक |
मल्टीक्रॉप थ्रेशर | 40% से 50% तक |
सीड ड्रिल मशीन | 40% से 50% तक |
जीरो टिलेज सीड ड्रिल | 50% तक |
लेजर लैंड लेवलर | 40% से 50% तक |
रीपर मशीन (फसल काटने वाली) | 50% तक |
पावर स्प्रेयर | 50% तक |
स्ट्रॉ रीपर | 40% तक |
खाद डालने की मशीन | 40% से 50% तक |
सोलर पंप | 50% से 90% तक (राज्य अनुसार) |
ड्रिप इरिगेशन सिस्टम | 55% से 90% तक |
स्प्रिंकलर इरिगेशन सिस्टम | 50% से 85% तक |
मिल्टिचारजर (Multi-charger) मशीन | 40% तक |
पशु चारा कटर मशीन | 40% से 60% तक |
अब ध्यान देने वाली बात ये है कि कुछ राज्यों में पर्यावरणीय कारणों से खास मशीनों पर विशेष सब्सिडी दी जाती है। जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की समस्या है, तो वहां हैप्पी सीडर जैसी मशीनों पर 50% से भी ज्यादा सब्सिडी मिल जाती है।
सब्सिडी के लिए कौन-कौन पात्र होता है?
ये सवाल बहुत जरूरी है क्योंकि सब्सिडी सबको नहीं मिलती – इसके लिए कुछ शर्तें होती हैं। सबसे पहले, आप भारत के किसान होने चाहिए – मतलब आपके नाम पर ज़मीन होनी चाहिए, या आपके पास खेती का वैध अधिकार होना चाहिए। दूसरा, आपके पास आधार कार्ड, बैंक खाता और ज़रूरी दस्तावेज़ होने चाहिए। तीसरा, कई बार योजना के तहत विशेष वर्ग को प्राथमिकता दी जाती है – जैसे महिला किसान, अनुसूचित जाति/जनजाति के किसान या छोटे सीमांत किसान।इसका मतलब ये नहीं कि दूसरे किसान वंचित रह जाते हैं, लेकिन इन वर्गों को पहले अवसर दिया जाता है। और कई बार तो 100% तक सब्सिडी भी इन वर्गों को मिलती है।
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आवेदन के लिए क्या दस्तावेज़ चाहिए?
किसी भी सरकारी योजना, सब्सिडी या सुविधा के लिए आवेदन करते समय कुछ जरूरी दस्तावेज़ों की मांग की जाती है। ये दस्तावेज़ यह साबित करने के लिए होते हैं कि आवेदक वास्तव में उस योजना का हकदार है। आमतौर पर आधार कार्ड, पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो और बैंक खाता विवरण मांगे जाते हैं। अगर योजना खेती या ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ी है, तो जमीन के कागजात, खसरा-खतौनी और किसान पंजीकरण प्रमाण पत्र भी जरूरी हो सकते हैं।
- आधार कार्ड
- खेत की जमाबंदी या खतौनी
- बैंक पासबुक की कॉपी
- पासपोर्ट साइज फोटो
- जाति प्रमाण पत्र (अगर लागू हो)
- मशीन का कोटेशन (डीलर से लिया हुआ)
- मोबाइल नंबर

आवेदन कैसे करें | ऑनलाइन या ऑफलाइन?
आजकल सरकार ने सारी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी है ताकि बिचौलियों से छुटकारा मिले और किसान सीधे लाभ पा सकें। राज्य के हिसाब से कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाना होता है, जहां “कृषि यंत्र अनुदान योजना” के नाम से एक सेक्शन होता है। वहां पर फॉर्म भरना होता है, दस्तावेज़ अपलोड करने होते हैं और सबमिट करने के बाद एक रेफरेंस नंबर मिलता है।कुछ राज्यों में ये काम CSC सेंटर या KVK (कृषि विज्ञान केंद्र) से भी हो जाता है। वहां जाकर भी आप ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं।
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पैसा कब मिलेगा |यानी सब्सिडी कैसे ट्रांसफर होती है?
बहुत सारे किसान ये पूछते हैं कि “भाई, सब्सिडी का पैसा कब मिलेगा? मशीन खरीदने से पहले या बाद में?” इसका जवाब है – दो तरीके होते हैं:
- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): आप पहले मशीन खरीदते हैं, फिर उसका बिल जमा करते हैं। कुछ समय बाद सरकार आपके बैंक खाते में सब्सिडी का पैसा भेज देती है।
- अपफ्रंट सब्सिडी: कुछ मशीन डीलर सरकार से जुड़े होते हैं, जहां पर आपको मशीन की कीमत से सब्सिडी पहले से ही घटाकर दी जाती है। जैसे अगर सब्सिडी 50% है, तो आप मशीन आधे रेट में सीधे खरीद सकते हैं।
हर राज्य की अलग-अलग स्कीमें
राज्य का नाम | स्कीम / सुविधा का नाम या जानकारी |
---|---|
उत्तर प्रदेश | यंत्र सब्सिडी योजना – खेती मशीनों पर 40–60% तक सब्सिडी |
बिहार | कृषि यांत्रिकीकरण योजना – ट्रैक्टर, थ्रेशर पर सरकारी छूट |
मध्य प्रदेश | मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना – उन्नत खेती मशीनों में सहायता |
राजस्थान | कृषि यंत्र अनुदान योजना – ड्रिप सिस्टम, स्प्रिंकलर आदि पर सहायता |
महाराष्ट्र | शेतकरी कृषी यांत्रिकी योजना – किसानों को सस्ती मशीनें उपलब्ध |
हरियाणा | कृषि यंत्र अनुदान योजना – स्मार्ट सिंचाई तकनीक पर सब्सिडी |
पंजाब | कृषक मशीनरी सेवा योजना – मशीन किराए पर लेने की सुविधा |
छत्तीसगढ़ | मुख्यमंत्री मशीनीकरण योजना – ट्रैक्टर और उपकरण सब्सिडी |
झारखंड | कृषि यंत्रीकरण योजना – खेतों के लिए उन्नत मशीनें सस्ती दरों पर |
उत्तराखंड | पर्वतीय कृषि यांत्रिकी योजना – छोटे किसानों के लिए स्पेशल स्कीम |
तमिलनाडु | कृषि यंत्र सब्सिडी योजना – ऑटोमेटिक उपकरणों पर सहायता |
कर्नाटक | किसान यंत्रधारी योजना – ड्रोन स्प्रे, सौर पंप सब्सिडी |
केरल | स्मार्ट एग्रीकल्चर स्कीम – टेक्नोलॉजी आधारित खेती प्रोत्साहन |
आंध्र प्रदेश | वाईएसआर कृषि यंत्र सेवा – ट्रैक्टर बुकिंग और सब्सिडी सुविधा |
तेलंगाना | रायतु बंधु योजना – उपकरण किराए पर देने के लिए केंद्र |
गुजरात | ट्रैक्टर सब्सिडी योजना – राज्य पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन |
ओडिशा | फॉर्मर ट्रेनिंग + मशीन सब्सिडी योजना |
हिमाचल प्रदेश | हिल मशीनरी सहायता योजना – टेरेस फार्मिंग के लिए उपकरण |
असम | कृषि मशीन सेवा केंद्र – किराए पर खेती यंत्र की सुविधा |
पश्चिम बंगाल | कृषक बंधु योजना – आधुनिक यंत्रों पर आंशिक अनुदान |
कुछ ज़रूरी बातें जो किसान भूल जाते हैं
- आवेदन करते वक्त मशीन खरीदना नहीं चाहिए, पहले स्वीकृति पत्र लेना जरूरी है।
- पोर्टल पर हर साल एक लिमिटेड कोटा होता है, यानी जो पहले आता है उसे पहले मौका मिलता है।
- कभी-कभी डीलर फर्जी रसीद बनाकर किसान को फंसाते हैं, इसलिए सरकारी पंजीकृत डीलर से ही खरीदारी करें।
- सब्सिडी सिर्फ एक बार मिलती है – एक ही मशीन पर बार-बार नहीं।
- आवेदन के बाद पोर्टल पर अपनी स्थिति (status) चेक करते रहना चाहिए।
खेती मशीन सब्सिडी से जुड़े 10 रोचक तथ्य
- भारत में हर साल 1 लाख से ज्यादा किसान खेती मशीनों पर सब्सिडी का लाभ लेते हैं।
- महिला किसान को पुरुष किसान से 10% ज्यादा सब्सिडी मिलती है।
- उत्तर प्रदेश में “मंडी बोर्ड” भी कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देता है।
- पराली जलाने पर बैन के बाद हैप्पी सीडर की मांग और सब्सिडी बढ़ी है।
- “कस्टम हायरिंग सेंटर” बनाने पर सरकार 75% तक मदद देती है।
- पीएम किसान योजना से लिंक करने पर सब्सिडी ट्रांसफर और तेज़ होता है।
- 2025 तक सरकार का लक्ष्य है – हर गांव में एक कृषि मशीन बैंक।
- कई राज्य अब QR कोड आधारित वेरिफिकेशन शुरू कर चुके हैं।
- eNAM प्लेटफॉर्म से जुड़े किसान सब्सिडी प्रक्रिया में प्राथमिकता पाते हैं।
- राजस्थान में पहली बार 2024 में सब्सिडी पोर्टल पर व्हाट्सऐप अलर्ट शुरू हुआ।
निष्कर्ष: खेती मशीनों पर सरकारी सब्सिडी की पूरी जानकारी ?
खेती आज के ज़माने में मशीनों के बिना मुश्किल है। सब कुछ बदल रहा है । मौसम, मजदूरों की लागत, पैदावार का गणित। ऐसे में अगर सरकार आपको मशीन खरीदने के लिए पैसे दे रही है, तो उसका पूरा फायदा उठाइए। कागज़ों से मत डरिए, जानकारी लो, आवेदन भरो और समय पर सही काम करो। ये सब्सिडी सिर्फ छूट नहीं, आपकी मेहनत को सम्मान देने का तरीका है।