किसान भाइयों खेती सिर्फ मेहनत का नहीं, समझदारी का भी खेल है। आज के वक्त में जब हर किसान अपने खेत से ज्यादा से ज्यादा पैदावार निकालना चाहता है, आप ऐसे में सही बीज का चुनाव सबसे पहला और बड़ा कदम बन जाता है। और जब बात धान की हो, आप “विजेता धान की किस्म” आज किसानों के बीच एक चर्चित नाम बन चुकी है।
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चलिए दोस्तों, आज हम बात करेंगे उसी विजेता धान की – इसके फायदे, उपज, बोने का तरीका, इसकी खासियतें और वो सब कुछ जो एक किसान भाई को जानना जरूरी है।

विजेता धान की किस्म क्या है?
विजेता धान एक उन्नत हाइब्रिड किस्म है, जिसे खास तौर पर अधिक उत्पादन देने और रोगों से लड़ने के लिए विकसित किया गया है। ये किस्म मुख्यतः उत्तर भारत के कई राज्यों में बोई जाती है और वहां के मौसम के अनुकूल पाई जाती है। यह बीज न केवल अच्छी उपज देता है बल्कि इसके दाने भी चमकदार और लंबे होते हैं, जो बाजार में अच्छी कीमत दिलवाते हैं।
इस किस्म को ICAR और विभिन्न कृषि अनुसंधान संस्थानों द्वारा परीक्षण के बाद रिलीज़ किया गया है। इसका जीवनकाल (फसल अवधि) लगभग 130 से 140 दिनों का होता है, जो सामान्य किस्मों के मुकाबले थोड़ा कम है।
विजेता धान की खेती क्यों करें? (Top 5 फायदे)
- अधिक उपज की गारंटी – विजेता धान 55-60 क्विंटल/हेक्टेयर तक उत्पादन देता है, जो पारंपरिक किस्मों से कहीं ज्यादा है।
- कम समय में तैयार – इसकी फसल 130-140 दिनों में तैयार हो जाती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता – यह किस्म झुलसा, झोंका और ब्लास्ट जैसी बीमारियों से लड़ने में सक्षम है।
- कम सिंचाई की जरूरत – इस धान को बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, जिससे पानी की बचत होती है।
- बाजार में अच्छी मांग – लंबे और चमकदार दाने होने की वजह से यह किस्म व्यापारियों में लोकप्रिय है।
विजेता धान बोने का सही समय और प्रक्रिया
भारत के उत्तरी भागों में विजेता धान की बुवाई का सबसे अच्छा समय जून के अंतिम हफ्ते से जुलाई के दूसरे हफ्ते तक माना जाता है। इस समय मौसम में नमी रहती है जो अंकुरण के लिए उत्तम होती है।
बुवाई प्रक्रिया:
- बीज शोधन करें: बुवाई से पहले बीज को ट्राइकोडर्मा या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।
- नर्सरी में 25-30 दिन की पौध तैयार करें।
- खेत की जुताई अच्छे से करें और लेवलिंग के बाद पौध को रोपें।
- पौधों की दूरी 20×15 सेमी रखें ताकि हवा और धूप बराबर मिले।
खाद, सिंचाई और देखभाल – विजेता धान के लिए जरूरी बातें
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विजेता धान से अच्छा उत्पादन लेने के लिए जरूरी है कि उसमें संतुलित मात्रा में खाद दी जाए और सिंचाई समय पर की जाए।
✔ जरूरी खाद और मात्रा (प्रति हेक्टेयर):
खाद का नाम | मात्रा | देने का समय |
नाइट्रोजन (Urea) | 120-130 किग्रा | 3 बार में – रोपाई के 15, 30, 55 दिन बाद |
फॉस्फोरस (DAP) | 60 किग्रा | खेत तैयार करते समय |
पोटाश | 40-50 किग्रा | 2 बार में |
जैविक खाद | 4-5 टन | खेत तैयार करते समय |
सिंचाई:
- रोपाई के बाद लगातार 7-10 दिन तक हल्की सिंचाई करते रहें।
- फूल निकलने और दाना बनने के समय पानी की कमी नहीं होनी चाहिए।

रोग और कीट नियंत्रण
विजेता धान में भले ही रोग प्रतिरोधक क्षमता हो, लेकिन फिर भी कुछ कीट और बीमारियां आमतौर पर देखी जाती हैं। समय रहते इनका नियंत्रण जरूरी है।
मुख्य रोग:
- झोंका रोग – फफूंदीजनित रोग है, जिससे पत्तियां जलने लगती हैं।
- ब्लास्ट – दानों को नुकसान पहुंचाता है।
नियंत्रण उपाय:
- कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोनाजोल का छिड़काव करें।
- खेत में पानी का जमाव न होने दें।
किस-किस राज्य में होती है विजेता धान की खेती?
राज्य का नाम | मुख्य क्षेत्र | उपयुक्तता |
उत्तर प्रदेश | पूर्वांचल, तराई क्षेत्र | बहुत अच्छी |
बिहार | पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर | अच्छी |
मध्य प्रदेश | जबलपुर, छिंदवाड़ा | सीमित |
छत्तीसगढ़ | रायपुर, बिलासपुर | औसत |
झारखंड | रांची, धनबाद | अच्छी |
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बाजार में विजेता धान का रेट और उपलब्धता
विजेता धान की किस्म अब कई प्रमुख बीज कंपनियों जैसे KRIBHCO, Nuziveedu, Pioneer आदि द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। इसका बीज बाजार में लगभग ₹200-₹250 प्रति किलो की दर से मिलता है, लेकिन थोक में लेने पर कीमत कम भी हो सकती है।
विजेता धान को खरीदने की जगहें
- कृषि सेवा केंद्र (Kisan Seva Kendra)
- eNAM या राज्य मंडी पोर्टल
- Amazon / Flipkart (बीज कैटेगरी में)
- सीधा कंपनी डीलर से खरीदना (पक्का और सस्ता)
विजेता धान के बारे में 10 रोचक तथ्य
- विजेता धान एक सरकारी प्रमाणित हाइब्रिड किस्म है।
- इसका जीवनकाल लगभग 135 दिन होता है।
- प्रति हेक्टेयर 55-60 क्विंटल तक उपज मिलती है।
- इसकी दानों की लंबाई और चमक से बाजार में ज्यादा दाम मिलते हैं।
- यह झोंका और ब्लास्ट जैसे रोगों से सुरक्षित मानी जाती है।
- कम पानी की जरूरत इसे सूखे इलाकों में भी बोने लायक बनाती है।
- नर्सरी से रोपाई करने पर अंकुरण ज्यादा अच्छा होता है।
- उत्तर भारत के किसान इसे तेजी से अपना रहे हैं।
- इसे जैविक खेती में भी सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है।
- यह किस्म ICAR द्वारा मूल्यांकन के बाद मान्य की गई है।
निष्कर्ष:विजेता धान की किस्म – किसान भाइयों के लिए पूरी जानकारी देसी अंदाज़ में
देखो भाई, खेती अब पुराने जमाने जैसी नहीं रही कि जो मिला उसी से काम चला लिया। आज बाजार में कॉम्पिटीशन है, खर्च बढ़ गया है और मौसम भी हर साल बदल रहा है। ऐसे में हमें भी चालाकी से चलना होगा।
विजेता धान की किस्म एक ऐसा विकल्प है जो कम समय, कम लागत और ज्यादा पैदावार के साथ बाजार में अच्छी कीमत भी दिलवाता है। अगर आप अपने खेत में इसका सही तरीके से इस्तेमाल करते हो, तो इसका फायदा हर साल मिलता रहेगा।
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