नमस्कार किसान भाइयों अगर आप कभी बिहार, खासकर मिथिलांचल की तरफ सफर किया हो, तो वहां के लोग मखाने की बड़ी इज़्जत करते हैं। शादी-ब्याह से लेकर व्रत-उपवास तक, मखाना हर जगह काम आता है। लेकिन क्या तुम्हें पता है कि मखाना सिर्फ खाने की चीज़ नहीं, बल्कि एक कमाल की कमाई वाला खेती का ज़रिया भी है?मखाना की खेती कहां होती है?|| देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि मखाना की खेती भारत में कहां-कहां होती है, किस किस्म की मिट्टी चाहिए, कितना मुनाफा होता है, और किसान भाई इसे उगाकर लाखों कैसे कमा रहे हैं।
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1. मखाना क्या होता है?
किसान भाइयों आप को बता दें कि मखाना असल में ‘गोल बीज’ है जो कमल की तरह एक खास जलीय पौधे (Euryale ferox) से निकलता है। इसे तलाबों या पोखरों में उगाया जाता है और बाद में सुखाकर बाजार में बेचा जाता है। इसके बीजों को भूनकर खाने लायक बनाया जाता है।
- इसका इस्तेमाल पूजा-पाठ, मिठाइयों और हेल्दी स्नैक्स में किया जाता है।
- इसे “फॉक्स नट्स” या “लोटस सीड्स” भी कहा जाता है।

2. भारत मे मखाना की खेती सबसे ज्यादा कहा की जाती है?
मखाना की खेती भारत में सबसे ज़्यादा बिहार राज्य में होती है, खासकर मिथिलांचल क्षेत्र में। दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल और अररिया जैसे जिलों में इसके तालाबों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। बिहार के किसान पीढ़ियों से मखाना उगाते आ रहे हैं, और यहीं से देश भर में इसकी सबसे ज़्यादा सप्लाई होती है। राज्य सरकार ने भी इसे GI टैग दिलाकर किसानों को बाज़ार और ब्रांडिंग में ताकत दी है। यहां की मिट्टी और जलवायु मखाना के लिए एकदम अनुकूल मानी जाती है, खासकर क्योंकि यहां प्राकृतिक जलस्रोत और पुराने तालाब ज़्यादा हैं।
अब बात करें दूसरे राज्यों की, तो उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड और असम जैसे राज्यों में भी मखाना की खेती धीरे-धीरे फैल रही है। यूपी के गोरखपुर, कुशीनगर और बस्ती जैसे ज़िलों में किसान अब तालाबों को तैयार करके मखाना उगा रहे हैं, और इसमें उन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी और कूचबिहार, असम के नगांव और झारखंड के कोडरमा जैसे इलाकों में भी इसकी खेती शुरू हो गई है। यानी बिहार से शुरू हुआ ये मखाना अब पूरे देश में फैल रहा है और किसानों को एक नया मौका दे रहा है।
भारत में मखाना मुख्य रूप से नीचे दिए गए राज्यों में होता है:
राज्य का नाम | प्रमुख जिले | खेती की स्थिति |
बिहार | मधुबनी, दरभंगा, कटिहार, सुपौल, पूर्णिया | सबसे ज्यादा उत्पादन यहीं होता है |
पश्चिम बंगाल | जलपाईगुड़ी, कूचबिहार | मध्यम स्तर पर खेती |
असम | डिब्रूगढ़, तिनसुकिया | पारंपरिक खेती |
त्रिपुरा | अगरतला आसपास के क्षेत्र | सीमित क्षेत्र में |
उत्तर प्रदेश | गोरखपुर, बस्ती | धीरे-धीरे बढ़ रही है खेती |
झारखंड | साहिबगंज, गोड्डा | उभरती हुई खेती |
बिहार – मखाना की राजधानी
अगर मखाने की बात हो और बिहार का नाम न आए, तो बात अधूरी मानी जाएगी। बिहार के मिथिलांचल इलाके को मखाना उत्पादन की राजधानी कहा जाता है। यहां की जलवायु, मिट्टी और परंपरा – तीनों मिलकर इसे सबसे बेहतरीन उत्पादन क्षेत्र बनाते हैं।
3. मखाना उगाने के लिए सही परिस्थितियाँ
मखाना की खेती के लिए सबसे जरूरी चीज है – पानी से भरा तालाब या उथला खेत, जिसमें कम से कम 4 से 6 फीट तक पानी जमा रह सके। यह फसल ऐसी जगह पर होती है जहाँ नमी बनी रहती हो और मिट्टी में जलधारण क्षमता अच्छी हो। दोमट या चिकनी मिट्टी वाली जमीन जिसमें जैविक पदार्थ भरपूर हों, मखाना के पौधों को बेहतर पोषण देती है। इसके अलावा, खेत या तालाब में पानी का बहाव बहुत तेज नहीं होना चाहिए क्योंकि मखाना की फसल में बीज नीचे डूबते हैं और वहीं से अंकुरित होते हैं।
मखाना उगाने के लिए गर्मी और नमी वाला मौसम सबसे अनुकूल माना जाता है। इसकी बुवाई फरवरी-मार्च में शुरू होती है और कटाई जून-जुलाई तक होती है। बीजों के अंकुरण के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। दिन में अच्छी धूप और रात में हल्की नमी पौधों की ग्रोथ के लिए फायदेमंद होती है। अगर इन परिस्थितियों का ध्यान रखा जाए, तो मखाना की खेती से अच्छी पैदावार और मुनाफा दोनों मिलते हैं।
ज़रूरी बातें:
- मिट्टी: दोमट या चिकनी मिट्टी वाली जमीन जो जलभराव को सह सके।
- पानी: स्थिर जल वाला पोखरा या तालाब।
- तापमान: 20°C से 35°C के बीच सही रहता है।
- सूरज की रोशनी: ज्यादा तेज रोशनी की जरूरत नहीं, आंशिक छाया चलेगी।
जरूरत | विवरण |
जलवायु | आर्द्र और गर्म |
पानी का स्रोत | स्थिर पानी वाला तलाब या खेत |
बीज | 3-4 किलो प्रति एकड़ |
गहराई | 1.5 से 2 फीट |
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4. मखाना की खेती कैसे होती है?
Step-by-Step तरीका:
- तलाब की तैयारी
सबसे पहले 1.5-2 फीट गहरा तलाब बनाओ या पुराने पोखर को तैयार करो। उसमें पानी ठहरना चाहिए। - बीज का चुनाव और बुवाई
अच्छे बीज को अप्रैल महीने में पानी में डालकर बोया जाता है। बीज खुद नीचे बैठते हैं और अंकुर निकलने लगते हैं। - रख-रखाव
हर 15-20 दिन में पानी की सफाई करनी होती है। खरपतवार निकालने होते हैं। - कटाई और प्रोसेसिंग
सितंबर-अक्टूबर में मखाना फूलकर तैयार हो जाता है। फिर इसे पानी से निकालकर सुखाया जाता है और तुड़ाई की जाती है।
5. मखाना उत्पादन और मुनाफा
एक एकड़ से कितना उत्पादन?
विवरण | मात्रा |
बीज की जरूरत | 3-4 किलो/एकड़ |
उत्पादन | 800-1000 किलो मखाना बीज |
मार्केट रेट | ₹400 से ₹800 प्रति किलो |
अनुमानित आमदनी | ₹3 लाख से ₹7 लाख तक |
एक बात तो तय है भाई – अगर मखाना की सही तकनीक से खेती हो, तो यह सोने की खान बन सकती है।
6. सरकार की योजनाएं और मदद
अगर आप मखाना की खेती करना चाहते हैं, तो सरकार आपके साथ है। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कई योजनाएं और सब्सिडी दे रही हैं ताकि किसान मखाना की ओर बढ़ें। मखाना अब केवल पारंपरिक फसल नहीं रही, इसे “विशेष पोषक फसल” (Superfood) का दर्जा भी मिल चुका है। ऐसे में इसमें सरकार का ध्यान भी बढ़ा है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) और बिहार सरकार की मखाना संवर्धन योजना के तहत तालाबों की मरम्मत, बीज वितरण, प्रशिक्षण और भंडारण जैसी सुविधाएं मुफ्त या कम लागत में दी जाती हैं। ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) और राज्य कृषि विश्वविद्यालय समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर और फील्ड विजिट भी करवाते हैं ताकि किसान नई तकनीक सीख सकें।
मखाना की खेती करने वालों को सब्सिडी पर बीज, पानी की सुविधा, और ऑनलाइन बेचने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। सरकार का मकसद है कि किसान मखाने से कमाई का नया रास्ता खोल सकें।
योजना/सहायता | विवरण |
बिहार कृषि विश्वविद्यालय | तकनीकी ट्रेनिंग, बीज सहायता |
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) | तालाब निर्माण पर सब्सिडी |
मखाना मिशन | खासतौर पर मिथिलांचल के लिए |
7. मखाना की खेती से जुड़े फायदे
मखाना की खेती उन किसानों के लिए सोने पर सुहागा है, जिनके पास पानी से भरे तालाब या कम उपजाऊ ज़मीनें हैं। इस फसल को उगाने में न तो ज़्यादा खाद की ज़रूरत होती है, न ही कीटनाशक की—यानि कम लागत में ज़्यादा मुनाफा। एक एकड़ तालाब से सालाना 2 से 3 लाख रुपये तक की आमदनी आराम से हो सकती है। खास बात ये है कि मखाना की फसल में सरकार की ओर से सब्सिडी और प्रशिक्षण की सुविधाएं भी मिल रही हैं, जिससे नए किसान भी इसे आसानी से शुरू कर सकते हैं।
इसके अलावा, मखाना की मांग सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत ज़्यादा है क्योंकि इसे सुपरफूड माना जाता है। मखाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है—डायबिटीज, दिल की बीमारी, मोटापे जैसी चीज़ों में काम आता है, इसलिए मार्केट में इसका अच्छा रेट मिलता है। यही वजह है कि बिहार जैसे राज्यों में हजारों किसान मखाना की खेती से लाखों कमा रहे हैं और अपनी जिंदगी बदल रहे हैं।
- कम जमीन में ज्यादा मुनाफा
एक एकड़ में लाखों की आमदनी संभव है। - जलभराव वाली जमीन का सदुपयोग
जहां धान भी ना हो पाए, वहां मखाना उग सकता है। - उद्योगों की मांग
हेल्थ फूड और पूजा सामग्री में लगातार मांग बढ़ रही है। - निर्यात की संभावना
विदेशों में फॉक्स नट्स की डिमांड जबरदस्त है।

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8. मखाना के 10 रोचक तथ्य.?
- मखाना को आयुर्वेद में “शक्तिवर्धक” माना गया है।
- मखाना एकमात्र ऐसा अनाज है जो व्रत में भी खाया जाता है।
- बिहार का दरभंगा जिला देश का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक है।
- मखाना उबालकर, भूनकर और तलकर – हर तरीके से खाया जाता है।
- इसमें 80% तक कार्बोहाइड्रेट और 9% प्रोटीन होता है।
- जापान और अमेरिका में इसका निर्यात होता है।
- मखाना पौधे का जीवन चक्र 6 महीने का होता है।
- एक बीज से 2-3 पौधे तक तैयार हो सकते हैं।
- बिहार सरकार ने मखाना GI टैग दिलवाया है।
- एक हेक्टेयर में 5-6 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है।
9. निष्कर्ष:मखाना की खेती कहां होती है? – देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी
भाई, अब जब तुमने पढ़ ही लिया है कि मखाना की खेती कहां होती है, तो ये भी समझ लो कि ये सिर्फ तालाब में बीज डालने भर की खेती नहीं, बल्कि पूरी मेहनत, समझ और ध्यान मांगती है। अगर तुम बिहार या पूर्वी भारत के किसी हिस्से से हो और तुम्हारे पास कोई जलभराव वाली ज़मीन है, तो मखाना तुम्हारे लिए कमाई का पक्का ज़रिया बन सकता है।
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