मक्का की उन्नत खेती: देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी

नमस्कार किसान भाइयों मक्का यानी मकई की खेती आज के समय में सिर्फ खाना भर नहीं है, बल्कि ये आपके खेत की कमाई का बड़ा जरिया बन चुकी है। चाहे वो पशुओं का चारा हो, खाने का अनाज हो या फिर उद्योगों की ज़रूरत—मक्का हर जगह काम आती है।

 लेकिन अगर खेती वही पुरानी तरीके से करते रहोगे, तो फायदा भी वैसा ही छोटा मिलेगा। इसलिए आज हम बात करेंगे मक्का की “उन्नत खेती” की, जो कम मेहनत में ज्यादा उत्पादन और मुनाफा दिला सकती है।

यह भी जानें – मक्का उगाने का सही समय: देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी

1. मक्का की खेती के लिए सही समय

मक्का बोने का सही समय इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे किस मौसम में उगाना चाहते हैं – खरीफ, रबी या बसंत। भारत में सबसे ज्यादा मक्का की खेती खरीफ के मौसम में होती है, यानी जून से जुलाई के बीच मे। इस समय बारिश की शुरुआत होती है और मिट्टी में नमी बनी रहती है, जो बीजों के अंकुरण के लिए बहुत जरूरी है। अगर बुआई सही समय पर की जाएगी तो पौधों की वृद्धि अच्छी होती है। और उपज भी अधिक मिलती है।

रबी सीजन के लिए मक्का की बुआई अक्टूबर से नवंबर तक करनी चाहिए, खासकर उन इलाकों में जहां सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो। वहीं, बसंत मक्का की बुआई जनवरी से फरवरी के बीच की जाती है। ध्यान रहे कि मक्का ठंड या अधिक गर्मी दोनों को ही कम पसंद करता है, इसलिए बुआई के समय मौसम का खास ख्याल रखें। समय पर बुआई करने से पौधे बीमारियों और कीटों से भी कम प्रभावित होते हैं।

मक्का की उन्नत खेती देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी

मक्का बोने का सही समय:

सीजनबुवाई का समयफसल की अवधि (दिनों में)
खरीफजून – जुलाई90 – 110 दिन
रबीअक्टूबर – नवम्बर100 – 120 दिन
जायदफरवरी – मार्च80 – 100 दिन

खरीफ में अगर बारिश सही वक्त पर हो जाए, तो बिना सिंचाई के भी फसल अच्छी होती है। लेकिन रबी और जायद में पानी की ज़रूरत ज्यादा पड़ती है।

2. मक्का के लिए सही मिट्टी और जलवायु

अब देखो भाई, मक्का बहुत adaptable फसल है, मतलब कई तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है। लेकिन अगर आप उन्नत खेती करना चाहते हो, तो मिट्टी और मौसम का ध्यान रखना जरूरी है।

मिट्टी और मौसम की जानकारी:

तत्वजानकारी
मिट्टीदोमट, हल्की रेतीली या काली मिट्टी बेहतर
pH मान5.5 से 7.5
तापमान21°C से 30°C
वर्षा500 से 800 मिमी पर्याप्त

ध्यान रहे, बहुत ज्यादा पानी या पानी की निकासी ठीक न हो तो फसल सड़ जाती है।

यह भी जानें – मक्का की खेती कैसे करें – देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी

3. बीज चयन और उसकी मात्रा

बीज का चुनाव मक्का की उन्नत खेती का पहला बड़ा कदम है। आजकल हाइब्रिड बीज आ गए हैं, जो ज्यादा उत्पादन देते हैं।

मक्का की प्रमुख उन्नत किस्में:

किस्म का नामउपज क्षमता (क्विंटल/हे.)विशेषता
HQPM-180 – 100हाई प्रोटीन वाली किस्म
DKC-908190 – 110प्राइवेट हाइब्रिड किस्म
Vivek Maize Hybrid 4380 – 95पहाड़ी क्षेत्र के लिए
Bio-963785 – 100गर्मी सहने वाली किस्म

बीज मात्रा:

  • लाइन से बुवाई करें तो: 18–20 किलो प्रति हेक्टेयर
  • छिड़काव से बुवाई करें तो: 25 किलो प्रति हेक्टेयर

बीज को बुवाई से पहले फफूंदनाशक (थायरम या कार्बेन्डाजिम) से जरूर उपचारित करें।

4. खेत की तैयारी और बुवाई की विधि

मक्का की फसल को गहरी जुताई पसंद है। जब खेत भुरभुरा हो जाए, तभी बुवाई करें।

खेत तैयारी का तरीका:

  • पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें
  • 2-3 बार देसी हल या रोटावेटर चलाएं
  • खेत में समुचित जल निकासी का इंतजाम करें

बुवाई की सही विधि:

विधिदूरी (पौधा × लाइन)गहराई
कतार से बुवाई60 × 20 सेमी4-5 सेमी
बीज ड्रिल से60 × 25 सेमी4-5 सेमी

बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें ताकि अंकुरण अच्छा हो।

5. उर्वरक और पोषक तत्व प्रबंधन

अच्छी पैदावार के लिए पौधों को सही समय पर सही पोषक तत्व देना जरूरी है। मक्का को नाइट्रोजन सबसे ज्यादा चाहिए।

उर्वरक मात्रा (1 हेक्टेयर के लिए):

उर्वरकमात्राकब दें
नाइट्रोजन (N)150 किग्रा3 बार में विभाजित करें
फॉस्फोरस (P)60 किग्राबुवाई के समय
पोटाश (K)40 किग्राबुवाई के समय
जिंक सल्फेट25 किग्राबुवाई के समय

नाइट्रोजन को 3 हिस्सों में दें—पहला बुवाई के समय, दूसरा 30 दिन पर, और तीसरा 50-55 दिन पर

6. सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण

मक्का की अच्छी पैदावार के लिए समय पर और सही तरीके से सिंचाई करना बहुत जरूरी होता है। बीज बोने के तुरंत बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए, जिससे बीज ठीक से अंकुरित हो सके। इसके बाद मक्का की फसल में कुल मिलाकर 4 से 5 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है – खासकर टस्सा निकलने, फूल आने और दाना भरने के समय। अगर इन चरणों पर पानी की कमी हो जाए, तो फसल की उपज पर सीधा असर पड़ता है। जिन इलाकों में पानी की कमी रहती है, वहाँ ड्रिप सिंचाई या फव्वारा प्रणाली अपनाना भी एक अच्छा विकल्प है।

अब बात करें खरपतवार नियंत्रण की, तो मक्का की शुरुआती 30 से 40 दिन की अवधि सबसे नाजुक होती है। इस समय अगर खरपतवार न हटाया जाए, तो ये फसल से पोषक तत्व, पानी और सूरज की रोशनी छीन लेते हैं। इससे फसल कमजोर हो जाती है और उपज घट जाती है। खरपतवार हटाने के लिए एक बार निराई-गुड़ाई जरूर करनी चाहिए, खासकर 20-25 दिन और फिर 40-45 दिन के बीच। साथ ही पेंडिमिथालिन या एट्राजीन जैसे खरपतवारनाशकों का छिड़काव करने से भी घास-फूस पर अच्छा नियंत्रण पाया जा सकता है।

सिंचाई का समय:

समयजरूरी क्यों है?
अंकुरण के समयबीज जल्दी फूटे
घुटना निकलने परपौधा लंबा और मजबूत हो
फूल आने से पहलेदाने बनने में मदद मिलती है
दूध अवस्थादानों में भराव बढ़ता है

खरपतवार नियंत्रण:

  • पहले 30 दिन सबसे ज़रूरी होते हैं
  • Pendimethalin (1 ली./हे.) का छिड़काव बुवाई के बाद करें
  • हाथ से 2-3 बार निराई-गुड़ाई करें

7. रोग और कीट नियंत्रण

मक्का की फसल को सही तरीके से उगाने के लिए रोग और कीट नियंत्रण बेहद ज़रूरी होता है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो फसल में तना छेदक कीट, जड़ सड़न, पत्ती झुलसा, गंधक रोग जैसे नुकसानदायक हमले हो सकते हैं। तना छेदक कीट पौधे की तनों को खोकला कर देता है जिससे उत्पादन घट जाता है। वहीं पत्ती झुलसा रोग (Leaf Blight) पत्तियों को सुखा देता है, जिससे पौधा पूरा पोषण नहीं ले पाता। इन रोगों से बचाव के लिए खेत में साफ-सफाई रखें, बीज को बोने से पहले फफूंदनाशक दवा (जैसे कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें और फसल चक्र अपनाएं।

यदि कीटों का हमला हो जाए तो जैविक या रासायनिक उपाय तुरंत अपनाने चाहिए। उदाहरण के लिए, तना छेदक या पत्ती खाने वाले कीट दिखने पर 5% नीम का घोल या क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी की 2 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इसके अलावा खेत में फेरोमोन ट्रैप और पीले चिपचिपे बोर्ड भी लगाएं ताकि कीटों की संख्या नियंत्रित रहे। ध्यान रहे कि कीटनाशक का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें और जरूरत से ज्यादा दवाओं का प्रयोग न करें। इससे फसल सुरक्षित रहेगी और उत्पादन भी बेहतर मिलेगा।

आम रोग और उनके इलाज:

रोग का नामलक्षणसमाधान
तना छेदकतनों में सुराख, पौधे सूखते हैंChlorpyrifos का छिड़काव
झुलसा रोगपत्तों पर भूरे धब्बेMancozeb का छिड़काव
रतुआपत्तों पर पीले–भूरे चकत्तेPropiconazole का छिड़काव
जड़ सड़नपौधे नीचे से गलने लगते हैंTrichoderma से बीज उपचार

8. फसल की कटाई, मड़ाई और भंडारण

जब पौधे सूखने लगें और दानों का रंग पीला से सुनहरा हो जाए, तब मक्का की कटाई कर सकते हैं।

यह भी जानें –  1718 धान की खेती: कम समय, ज्यादा मुनाफा – देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी 

कटाई का तरीका:

कामध्यान रखने वाली बात
कटाईसुबह या शाम को करें
मड़ाईमक्का को अच्छे से सूखा लें
भंडारणदानों में 12% से कम नमी हो

दाने को सूखा कर टंकियों या बोरी में नीम की पत्तियों के साथ स्टोर करें ताकि कीड़े न लगें।

9. मक्का की खेती में मुनाफा कितना?

मक्का की खेती अगर सही तरीके से की जाए तो किसान भाई अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। एक एकड़ खेत में अच्छी किस्म का बीज, संतुलित खाद, और समय पर सिंचाई व कीट नियंत्रण करके किसान 25 से 30 क्विंटल तक मक्का पैदा कर सकता है। अब अगर बाजार में मक्का का रेट 18 से 22 रुपये प्रति किलो है, तो सिर्फ उपज से ही लगभग ₹45,000 से ₹60,000 तक की आमदनी हो जाती है। वहीं एक एकड़ पर कुल खर्च (बीज, खाद, मजदूरी, सिंचाई आदि मिलाकर) करीब ₹15,000 से ₹20,000 तक होता है।

यानि सीधे तौर पर देखें तो एक एकड़ में मक्का की खेती से ₹25,000 से ₹40,000 तक का शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है। अगर किसान उन्नत किस्में अपनाए, फसल चक्र का पालन करे और मंडी के बजाय सीधी बिक्री या प्रोसेसिंग जैसे विकल्प अपनाए, तो मुनाफा और भी बढ़ सकता है। मतलब मक्का, मेहनत और तकनीक के सही मेल से खेती को घाटे का नहीं बल्कि कमाई का जरिया बना सकता है।

लागत और मुनाफा (1 हेक्टेयर का अनुमान):

खर्च का विवरणलागत (रुपये में)
बीज₹4,000
खाद-उर्वरक₹6,000
सिंचाई₹3,000
दवा/कीटनाशक₹2,000
मजदूरी आदि₹5,000
कुल लागत₹20,000
उपज (90 क्विंटल)₹54,000 (₹600 प्रति क्विंटल)
कुल मुनाफा₹34,000

10. सरकारी योजनाएं और सब्सिडी

आज के दौर में खेती करना जितना जरूरी है, उतना ही चुनौती भरा भी हो गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार समय-समय पर किसानों के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी लेकर आती है। इनका मकसद साफ है – खेती की लागत कम करना और किसानों की आमदनी बढ़ाना। मक्का, धान, गेहूं या किसी भी फसल की बात हो, बीज से लेकर सिंचाई तक और खाद से लेकर फसल बीमा तक हर पहलू पर सरकार सहायता देती है।

किसानों को बीज पर सब्सिडी, सोलर पंप पर अनुदान, ट्रैक्टर व कृषि यंत्रों की खरीद पर छूट, फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना जैसी कई स्कीमें मिलती हैं। इसके अलावा राज्य सरकारें भी अपनी जरूरतों के हिसाब से योजनाएं चलाती हैं। जरूरत बस इतनी है कि किसान भाई सही समय पर आवेदन करें और योजना की शर्तों को समझें। पंचायत स्तर से लेकर कृषि विभाग तक हर जगह जानकारी मिलती है, बस जागरूक रहने की ज़रूरत है।

, जैसे:

  • बीज सब्सिडी: कृषि विभाग से सस्ते में हाइब्रिड बीज मिलते हैं।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: मिट्टी की जांच करवाकर उर्वरक की सही जानकारी मिलती है।
  • कृषि यंत्र अनुदान योजना: ट्रैक्टर, बुवाई मशीन, रोटावेटर पर सब्सिडी मिलती है।

अपने नजदीकी कृषि अधिकारी से जानकारी लेकर इन योजनाओं का फायदा उठाएं।

यह भी जानें – 828 धान की खेती: कम लागत, बढ़िया मुनाफा – देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी

10 रोचक तथ्य: मक्का के बारे में जो शायद आपको न पता हो

  1. मक्का दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है।
  2. भारत में सबसे ज्यादा मक्का कर्नाटक और बिहार में होती है।
  3. मक्का का इस्तेमाल सिर्फ खाने में नहीं, बायोफ्यूल बनाने में भी होता है।
  4. मक्का के डंठल से पशुओं का चारा भी बनता है।
  5. हाइब्रिड बीजों से सामान्य बीजों की तुलना में 25-30% ज्यादा उत्पादन होता है।
  6. मक्का का पहला वैज्ञानिक नाम “Zea mays” है।
  7. मक्का के दाने रंग-बिरंगे भी होते हैं—पीले, सफेद, काले और नीले।
  8. popcorn मक्का की ही एक खास किस्म से बनता है।
  9. मक्का की खेती में पानी की जरूरत धान से काफी कम होती है।
  10. अमेरिका मक्का का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

निष्कर्ष: मक्का की उन्नत खेती: देसी अंदाज़ में पूरी जानकारी    

मक्का की खेती अगर परंपरागत तरीके से की जाए, तो आमदनी सीमित रहती है, लेकिन जब आप उन्नत तकनीकों, हाइब्रिड बीज, संतुलित उर्वरक, और सही समय पर सिंचाई और रोग नियंत्रण को अपनाते हो—तो मुनाफा भी दोगुना-तिगुना होने लगता है।

किसान भाइयों आप लोगों को यह आर्टिकल पढ़ाकर कैसा लगा है अगर अच्छा लगा हो तो दोस्तों के पास शेयर करो और कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बताए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top