प्रणाम किसान भाइयों जैसा की आप जानते हैं की खेती अब पुरानी सोच का काम नहीं रहा। आज का युवा अगर चाहे तो मिट्टी से सोना पैदा कर सकता है – और इसी का जीता-जागता उदाहरण है अभिनव, एक 25 साल का नौजवान जिसने बिना किसी बड़ी डिग्री या मोटी पूंजी के, सिर्फ अपनी मेहनत, सोच और आत्मविश्वास से खुद को सफल किसान साबित कर दिखाया। अभिनव – मेहनत से सफलता की मिसाल बना एक युवा किसान आइए जानते हैं पूरी कहानी क्या है?

अभिनव बचपन से संघर्ष देखा, लेकिन हार नहीं मानी
अभिनव का परिवार खेती-किसानी से जुड़ा था, लेकिन घर की हालत कमजोर थी। कई बार खेत में बुआई के लिए बीज और खाद भी उधारी से आती थी। स्कूल जाने से पहले और बाद में वह खेत में अपने पापा का हाथ बंटाता था। वहीं से उसे मिट्टी से लगाव हो गया।
लेकिन वो बस परंपरागत खेती तक सीमित नहीं रहना चाहता था। जब गांव के बाकी लड़के PUBG खेलते थे, तब अभिनव यूट्यूब पर देखता था – “कम लागत में ज़्यादा पैदावार कैसे लें?”, “जैविक खेती के फायदे”, और “किसानों की सफलता की कहानियाँ”।
नई तकनीकों से गांव में मचाया बदलाव
अभिनव ने खेती को विज्ञान से जोड़ा। उसने खेत में ये बदलाव किए:
- ड्रिप इरिगेशन लगाया ताकि पानी की बचत हो और सीधी जड़ों में सिंचाई हो।
- गौमूत्र, नीम और गोबर से जैविक खाद बनाना सीखा, जिससे लागत घटी और मिट्टी की सेहत सुधरी।
- मोबाइल ऐप जैसे IFFCO Kisan, Kisan Suvidha और AgriApp से मंडी के रेट, फसल की बीमा जानकारी, और मौसम अपडेट देखना शुरू किया।
इन सबका असर तब दिखा जब गांव में बारिश से कई किसानों की फसल खराब हो गई, लेकिन अभिनव की फसल 80% तक सुरक्षित रही। ये उसका पहला बड़ा “असली रिजल्ट” था।

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किसानों के लिए प्रेरणा बना – गाँव में हीरो जैसी पहचान
अब गांव के लोग उसे “मोबाइल वाला किसान” कहते हैं। कई बूढ़े किसान जिनके लिए मोबाइल सिर्फ कॉल करने का ज़रिया था, अब उसी मोबाइल से जैविक कीटनाशक बनाना सीखते हैं – वो भी अभिनव से।
उसने गाँव में एक छोटा ट्रेनिंग ग्रुप बनाया, जहां वो हफ्ते में एक दिन 10-15 किसानों को खेत में ही डिजिटल खेती सिखाता है। उनका नारा है:
“न कमाई की टेंशन, न मौसम की मार – जब हो किसान डिजिटल यार।”
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10 दमदार फैक्ट्स जो अभिनव की कहानी से जुड़ते हैं:
- भारत के 60% युवा किसान आज भी परंपरागत तरीकों पर निर्भर हैं।
- एक एकड़ ज़मीन से 10x मुनाफा लिया जा सकता है – अगर खेती प्लानिंग से हो।
- अभिनव ने एक बार ₹7,000 की लागत में ₹52,000 की सब्ज़ी बेची थी।
- जैविक खेती से अभिनव को पहले ही सीजन में खर्च 40% तक कम करने में मदद मिली।
- उसने गांव के 8 किसानों को ऑनलाइन मंडी रेट्स सिखाए – अब वो बिचौलियों से नहीं फंसते।
- उसके यूट्यूब चैनल पर अब तक 2 लाख+ व्यूज़ आ चुके हैं।
- अभिनव की प्रेरणा से 3 गांवों के 50+ किसान अब रासायनिक खाद से दूरी बना चुके हैं।
- उसने एक मोबाइल कैमरा और ₹150 की ट्राइपॉड से शुरुआत की थी – कोई बड़ी टीम नहीं थी।
- अभिनव ने अभी हाल ही में कृषि विभाग की तरफ से “Best Innovative Farmer” अवॉर्ड जीता।
- उसका सपना है – एक ऐसा Kisan Digital Center बनाना, जहां युवा खेती सीख सकें, रोजगार पा सकें।
सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता – अभिनव खुद इसकी मिसाल है
अभिनव के लिए आज भी दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे होती है। पहले खेत की तैयारी, फिर रिकॉर्डिंग और शाम को खेत में वीडियो एडिटिंग। वो बिना थके, बिना रुके, लगातार आगे बढ़ रहा है।
वो मानता है –
“अगर किसान खुद नहीं बदलेगा, तो कोई सिस्टम उसे नहीं बचा पाएगा। लेकिन अगर किसान बदल गया, तो सिस्टम खुद झुक जाएगा।”
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किसानों के लिए संदेश: आप भी कर सकते हैं
अगर आप किसान हैं और सोचते हैं कि मेरे पास तो कुछ खास नहीं है, तो एक बार अभिनव की कहानी फिर से पढ़िए।
न मोबाइल महंगा था, न पढ़ाई ज़्यादा हुई थी – बस सोच नई थी।
छोटी शुरुआत, लगातार सीखना, मेहनत, और खेती के प्रति लगाव – यही असली ‘फॉर्मूला’ है।
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निष्कर्ष: अभिनव सिर्फ एक नाम नहीं, एक सोच है
जमीन से जुड़े रहो, लेकिन सोच को ऊँचा रखो – इस कहावत को सच करता है अभिनव। वो सिर्फ अपनी ज़िंदगी नहीं बदल रहा, बल्कि गांव, खेती और पूरे समाज में एक बदलाव ला रहा है। उसकी कहानी आज के हर युवा किसान के लिए एक रोडमैप है – जहाँ ज्ञान, तकनीक और मेहनत का मेल होता है, वहाँ सिर्फ अनाज नहीं, बल्कि सफलता भी उगती है।